विश्वविद्यायाल में हर रोज काले बिल्ले लगा कर कार्य कर रहे शिक्षक, हपुटवा ने दी आंदोलन की चेतावनी, सरकार और विश्वविद्यालय प्रशासन बना मूकदर्शक, पढ़ें पूरी खबर..
शिमला: हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय शिक्षक कल्याण संघ (हपुटवा) ने लंबे समय से लंबित पड़ी शिक्षकों की मांगें अब तक पूरी न होने पर आंदोलन शुरू करने की तैयारी में है। इसी कड़ी में शिक्षक काले बिल्ले लगाकर है हर रोज कार्य कर रहें है। सरकार और विश्वविद्यालय प्रशासन मूक दर्शक बना हुआ है। विश्वविद्यालय मेें हपुटवा की बैठक बैठक डा. नितिन व्यास की अध्यक्षता में आयोजित की गई। बैठक में निर्णय लिया गया कि अगर उनकी मांगें जल्द नही मानी गई तो विश्वविद्यालय शिक्षक कल्याण संघ सरकार और प्रशासन के खिलाफ उग्र आंदोलन करेगा।
विश्वविद्यालय शिक्षक कल्याण संघ के अध्यक्ष डा. नितिन व्यास ने कहा कि करियर एडवांसमैंट स्कीम (सीएएस) की अलग अधिसूचना जारी न होने से हजारों शिक्षकों को पदोन्नति नहीं मिल पा रही है। उन्होंने कहा कि पिछली सरकार ने जो नया वेतनमान लागू किया था उसमें जो करियर एडवांसमैंट स्कीम के तहत अधिसूचना जारी होनी थी उसको प्रदेश सरकार ने अभी तक जारी नहीं किया है जिस कारण हिमाचल प्रदेश के तीनों विश्वविद्यालय और कालेजों में सेवाएं देने वाले हजारों शिक्षकों को जो यूजीसी के नियमों के तहत संचालित होते हैं, को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
उन्होंने कहा कि यूजीसी द्वारा नया पे स्केल 2016 में दे दिया गया था, जिसे पिछली भाजपा सरकार ने शिक्षकों को 2022 में जारी कर दिया था परंतु सीएएस के लिए अलग से अधिसूचना जारी करने की बात कही थी। उन्होंने कहा कि वर्तमान प्रदेश सरकार ने 2 वर्षों से ज्यादा समय में भी इस विषय में कोई निर्णय नहीं लिया गया है। सरकार के समय रहते निर्णय न लेने से विश्वविद्यालय, कालेजों और यू.जी.सी. द्वारा संचालित विभिन्न शिक्षण संस्थानों के सात हजार कर्मचारियों की पदोन्नति रुक गई है।
हपुटवा के अध्यक्ष डा. नितिन व्यास ने कहा कि हाल ही में प्रदेश सरकार ने एक अधिसूचना जारी की है जिसमे मुख्यतः हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय , सरदार पटेल विश्विद्यालय मंडी के लिये की गई है जिसे प्रदेश सरकार को वापिस लेना चाहिए तथा CAS को बहाल करना चाहिए ।
विश्वविद्यालय में कुछ विभागों में शिक्षक मूल भूत सुविधाओं से वंचित
हपूटवा का मानना है कि हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में कुछ विभागों में शिक्षक मूल भूत सुविधाओं से वंचित हैं कई शिक्षकों के पास तो बैठने के लिए भी ठीक से जगह नहीं है कंप्यूटर प्रिंटर के लिए भी शिक्षकों को लड़ाई लड़नी पड़ रही हैं। हपूटवा ने माँग रखी कि शिक्षकों के लिए नये आवासीय भवन बनाये जायें उन्होंने सुझाव भी दिया कि PM उषा के तहत आये बजट में शिक्षकों के लिए नये आवासीय भवन की नींव रखी जाये। इसके साथ साथ 2014 के बाद आचार्यों के लिए पीएचडी इंक्रीमेंट को बंद कर दिया गया जो की एक लंबे समय की माँग है।
विश्विद्यालय में बहुत से अध्यापक ऐसे हैं जिन्हें बहुत सी एजेंसियों चाहे आईसीएसआर हो या यूजीसी फंडेड प्रोजेक्ट मिलें है परंतु डीन रिसर्च ना होने से या विश्वविद्यालय की उपयुक्त गाइडलाइन ना होने से बहुत से प्रोजेक्ट शिक्षकों के वापिस जा रहे हैं जिससे विश्विद्यालय की रैंकिंग में नुक़सान हो रहा है तथा शिक्षक प्रोजेक्टों को वापिस कर रहे हैं ।
इसके साथ साथ अध्यक्ष डॉ नितिन व्यास एवं महासचिव अंकुश भारद्वाज ने बताया कि आज शिक्षकों को नया स्केल जो 2016 में मिला था उसका एरियर सरकार द्वारा रोका हुआ है जिससे प्रदेश के समस्त कर्मचारियों को वित्तीय नुक़सान है हिमाचल प्रदेश प्रदेश का पहला राज्य होगा जहां 2016 के नये वेतन मान के लाभों को अभी तक रोका गया है जिससे कर्मचारी एवं अध्यापक वर्ग में भारी रोष है ।
उन्होंने बताया कि यह दुर्भाग्य की बात है कि विश्वविद्यायाल में शिक्षक काले बिल्ले लगा कर रोज़ काम कर रहे हैं परंतु सरकार एवं विश्वविद्यालय प्रसाशन मूक दर्शक बना हुआ है । हपूटवा इसी तरह से तब तक आंदोलन्नित रहेगा जब तक शिक्षकों की माँगों को पूरा नहीं कर लिया जाता । प्रदर्शन में अध्यक्ष डॉ नितिन व्यास , उपाध्यक्ष डॉ योगराज , महासचिव डॉ अंकुश , कोषाध्यक्ष डॉ राम , डॉ जोगिंदर सकलानी , डॉ रमेश विशेष रूप से उपस्थित थे ।