आलू की खेती का सीजन शुरू हो चूका है। किसान अब आलू की बुआई करने लगे है लेकिन क्या आपको इस बात का ध्यान है की आलू की खेती करने के लिए आपको कुछ बातों का खास ध्यान देंना होता है। अगर आप सही विधि से आलू की बुआई करते है तो आपको उत्पादन चार गुना ज्यादा होगा।
इस प्रकार करे आलू की बोआई
सबसे पहले आपको आलू की बुआई से पूर्व इसके लिए सही किस्मों का चुनाव करना होगा। जिससे सही तरह से उत्पादन प्राप्त किया जा सके। आप अगर कुफरी G, कुफरी अलंकार, कुफरी सतलज, कुफरी ख्याति इन किस्मों के आलू की बुआई आप करते है तो आपको इस बात का ध्यान रखना है कि आपको एक हेक्टेयर में लगभग 8 से 10 क्विंटल आलू की ही बुआई करनी होगी।
साथ ही आपको इस बात का भी खास ध्यान रखना होगा की इन आलू का साइज लगभग 40 से 50 ग्राम होना जरुरी है। इससे बड़े साइज का आलू है तो आप इसको काट के दो टुकड़े भी कर सके है। जब आप प्रति हेक्टेयर 20 से 25 क्विंटल के हिसाब से बुआई करेंगे तब आपको लगभग 400 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उत्पादन प्राप्त होने की पूरी सम्भावना है।
आलू की बुआए करने से पहले आपको इन बीज के आलुओं का आपको पहले उपचार कर लेना चाहिए। आलू में मैंकोजेब या जैविक फफूंदनाशक ट्राइकोडर्मा का उपचार करना बहुत जरुरी होता है। आलू की बुआई के लिए जमीन में नहीं होना आवश्यक है। आलू की बुआई का सही समय 20 अक्टूबर से 20 नवंबर तक माना जाता है।
आलू की खेती के लिए अगर आप बुआई 20 अक्टूबर से 20 नवंबर के बिच में करते है तो आपको इस फसल से बम्पर उत्पादन प्राप्त होता है। आलू की खेती से आप इस विधि से अच्छा मुनाफा कमा सकते है। लेकिन प्रदेश के कुछ इलाकों हमे अभी आलुओं बुआई चली हुई है।
कब डालें खाद
बोआई के 30 दिन बाद 45 किलो यूरिया खेत में डालें। खेत की तैयारी के समय 100 किलो जिप्सम प्रति एकड़ प्रयोग करने से अच्छे परिणाम मिलते हैं। शीतगृह से आलू निकालकर सात-आठ दिन छाया में रखने के बाद ही बोआई करें यदि बड़े आलू हो तो उन्हें काटकर बोआई करें। लेकिन प्रत्येक टुकड़े का वजन 35-40 ग्राम के करीब रहे। प्रत्येक टुकड़े में कम से कम 2 स्वस्थ आंखें हो। इस प्रकार प्रति एकड़ के लिए 10 से 12 क्विंटल कंद की आवश्यकता होगी। बोआई से पहले कंद को तीन प्रतिशत बोरिक एसिड या पेंसीकुरान (मानसेरिन), 250मिली/आठ क्विंटल कंद या पेनफ्लूफेन (इमेस्टो), 100 मिली/10 क्विंटल कंद की दर से बीज का उपचार करके ही बुवाई करें। बोआई के समय खेत में पर्याप्त नमी रखें। एक पंक्ति की दूसरी पंक्ति 50 से 60 सेमी की दूरी पर रखें। कंद से कंद 15 सेमी की दूरी पर बोएं।
आलू की बोआई के 7 से 10 दिन के बाद हल्की सिंचाई कर दें। खरपतवार नियंत्रण के दो से चार पत्ती आने पर मेट्रिब्यूज़ीन 70 फीसद, डब्ल्यूपी 100 ग्राम मात्रा 200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें।