पटना: (HD News); राजनीति अब गंभीरता नहीं, 'हरकतों का हाईलाइट शो' बनती जा रही है - और इसकी ताज़ा मिसाल बिहार की राजधानी पटना में देखने को मिली, जहाँ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मंच पर ऐसा काम कर दिया, जिसे देख जनता सोच में पड़ गई कि ये कोई प्रशासनिक समारोह था या कॉमेडी शो!
कृषि भवन में आयोजित एक सरकारी कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री ने कैबिनेट अपर मुख्य सचिव एस. सिद्धार्थ के स्वागत में लाए गए पौधे के गमले को सीधे उनके सिर पर रख दिया। न कोई पूर्व सूचना, न कोई चेतावनी — बस मुख्यमंत्री आए और गमला रखा। मंच पर मौजूद अधिकारी भी हक्के-बक्के, और कैमरा चालू। नतीजा? वायरल वीडियो और तीखी प्रतिक्रियाएं।

कई लोगों ने इस हरकत को वरिष्ठ अधिकारियों का अपमान बताते हुए शालीनता की सीमा लांघने वाला कहा, तो कुछ समर्थकों ने इसे "मुख्यमंत्री का हल्का-फुल्का अंदाज़" कहकर मामला रफादफा करने की कोशिश की। लेकिन सवाल यही है — अगर यही 'हास्य' है, तो फिर गंभीरता कहाँ गई?
अब तक मुख्यमंत्री कार्यालय और खुद एस. सिद्धार्थ की ओर से कोई बयान नहीं आया है। हो सकता है वो अभी भी सिर से गमला हटवा रहे हों या शब्दों की तलाश में हों।
जब किसी राज्य का सर्वोच्च नेतृत्व मंच पर मर्यादा की मिट्टी और गंभीरता की जड़ों को उखाड़ने लगे, तो समझिए - सत्ता की उम्र बढ़ गई है, पर सोच बचपन में ही अटक गई है। एक लोकतंत्र में जनता उम्मीद करती है कि उनका नेता निर्णयों से सिर ऊँचा करे, न कि गमले से सिर सजाए। यह घटना केवल एक वीडियो नहीं, बल्कि एक आईना है - जो दिखा रहा है कि हमारी राजनीति में कब शालीनता, संवेदनशीलता और ज़िम्मेदारी की जगह ‘तमाशा’ ने ले ली।
राजनीति में उम्र के साथ अनुभव आता है और कभी-कभी 'अतिअनुभव' भी, जहाँ नेता मंच पर फूल नहीं, गमला ही सिर पर रख देते हैं। ऐसे में जनता को तय करना होगा:क्या उन्हें विकास चाहिए या "वायरल क्षण"?