धार्मिक आस्था और मानसिक शांति की तलाश में निकला एक परिवार जब घर लौट रहा था, तब किसी ने नहीं सोचा था कि उनकी यात्रा का अंत इस तरह होगा। पंचकूला के शांत इलाके में खड़ी एक कार ने सोमवार सुबह उस सन्नाटे को चीर दिया, जिसमें सात जिंदगियाँ हमेशा के लिए थम चुकी थीं। देहरादून से बागेश्वर धाम की हनुमंत कथा में शामिल होकर लौट रहे इस पूरे परिवार ने कार में ज़हर खाकर सामूहिक आत्महत्या कर ली। यह घटना न सिर्फ दिल को झकझोरने वाली है, बल्कि समाज के सामने यह सवाल भी खड़ा करती है – क्या हम आज भी ऐसे परिवारों को समय रहते बचा पा रहे हैं जो अंदर ही अंदर टूट रहे होते हैं?
पंचकूला : (HD News); धार्मिक आस्था से ओतप्रोत मन और भक्ति से भरी यात्रा ने ऐसा भयानक मोड़ ले लिया, जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी। सोमवार सुबह पंचकूला के सेक्टर-27 में उस समय सनसनी फैल गई जब सड़क किनारे खड़ी एक कार से एक ही परिवार के सात लोगों के शव बरामद किए गए।
मृतक परिवार देहरादून निवासी प्रवीण मित्तल का था, जो बागेश्वर धाम में आयोजित हनुमंत कथा में भाग लेने के लिए पंचकूला आया था। वापसी की राह में ही उन्होंने जिंदगी से हमेशा के लिए अलविदा कह दिया।

कार के अंदर बंद मिले शव – आत्महत्या की पुष्टि
पुलिस के अनुसार, मृतकों में प्रवीण मित्तल (42), उनकी पत्नी, माता-पिता और तीन मासूम बच्चे शामिल हैं। सभी शव कार के अंदर बंद हालत में पाए गए, जो बाहर से लॉक थी। कार में किसी तरह के संघर्ष या बाहरी हस्तक्षेप के निशान नहीं मिले हैं, जिससे सामूहिक आत्महत्या की आशंका को बल मिला है।
सुसाइड नोट में आर्थिक तंगी और कर्ज का जिक्र
मौके से एक सुसाइड नोट बरामद किया गया है, जिसमें परिवार ने कर्ज और मानसिक तनाव के चलते यह खौफनाक कदम उठाने की बात स्वीकार की है। पुलिस सूत्रों के मुताबिक, परिवार लंबे समय से वित्तीय संकट से जूझ रहा था, जिससे मानसिक स्थिति पर गहरा असर पड़ा।
धार्मिक आस्था से लौटकर मिली मौत
प्रवीण मित्तल का परिवार बागेश्वर धाम के संत धीरेंद्र शास्त्री की कथा में श्रद्धा से शामिल हुआ था। लेकिन वापसी के समय उन्होंने पंचकूला में अपनी कार रोकी और वहीं सामूहिक रूप से ज़हर खाकर आत्महत्या कर ली।
जांच में जुटी पुलिस और फोरेंसिक टीमें
घटना की जानकारी मिलते ही पंचकूला पुलिस, फोरेंसिक टीम और वरिष्ठ अधिकारी मौके पर पहुंचे। डीसीपी हिमाद्री कौशिक और डीसीपी (लॉ एंड ऑर्डर) अमित दहिया स्वयं स्थल पर मौजूद रहे। फोरेंसिक विशेषज्ञों ने साक्ष्य जुटाए और कार को जब्त कर आगे की जांच शुरू कर दी है। शवों को पंचकूला के निजी अस्पताल में पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया है।
गौर हो कि पंचकूला में एक ही परिवार की सामूहिक आत्महत्या की यह घटना सिर्फ एक खबर नहीं, बल्कि एक गहरी सामाजिक चेतावनी है। धार्मिक आस्था से लौटते हुए आत्महत्या जैसा कदम उठाना यह दर्शाता है कि मानसिक और आर्थिक समस्याएं किस हद तक किसी को तोड़ सकती हैं। यह समय है जब समाज, सरकार और परिवार मिलकर ऐसे संकटग्रस्त लोगों तक समय रहते पहुंचें, उन्हें सहारा दें और ऐसी त्रासदियों को रोकने के लिए संवेदनशील और मजबूत सामाजिक तंत्र विकसित करें। एक साथ सात जिंदगियों का बुझ जाना सिर्फ एक परिवार का दुख नहीं, पूरे समाज की जिम्मेदारी है।