भोपाल: ( HD News); हिमाचल प्रदेश विधान सभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानियां ने मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में समिति प्रणाली की समीक्षा हेतु आयोजित पीठासीन अधिकारियों की समिति की बैठक को सम्बोधित करते हुए कहा कि विधायी समितियाँ हमारी किविधायिकाओं की रीढ़ हैं – जो विस्तृत जॉच द्विदलीय विचार – विमर्श और प्रभावी निगरानी को सक्षम बनाती है। अपना अनुभव सांझा करते हुए पठानियां ने कहा कि उन्होने भी कई चुनौतियाँ देखी हैं जो उनकी पूरी क्षमता को बाधित करती हैं।
गौरतलब है कि पठानियां पीठासीन अधिकारियों की समिति बैठक में भाग लेने गत सायं नई दिल्ली से वायुमार्ग द्वारा भोपाल पहुँचे थे। लोक सभा अध्यक्ष द्वारा अलग-अलग विषयों की समीक्षा हेतु छ: से सात राज्यों के पीठासीन अधिकारियों की समितियों का गठन किया गया है जबकि समिति प्रणाली के सुदृढ़ीकरण विषय हेतु समीक्षा के लिए 7 राज्यों के पीठासीन अधिकारियों की समिति का गठन किया गया है जिसमें उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, उड़ीसा, सिक्किम, पश्चिम बंगाल तथा मध्य प्रदेश विधान मण्डलों के पीठासीन अधिकारी शामिल हैं।

बैठक आरम्भ होने से पूर्व सभी पीठासीन अधिकारियों ने मध्य प्रदेश विधान सभा परिसर में पौधारोपण का कार्य किया तदोपरान्त मध्य प्रदेश विधान सभा अध्यक्ष नरेन्द्र सिंह तोमर ने कार्यक्रम में मौजूद सभी पीठासीन अधिकारियों का शॉल व स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मान किया ।
बैठक को उत्तर प्रदेश विधान सभा के पीठासीन अधिकारी सतीश महाना, राजस्थान के वासुदेव देवरानी, उड़ीसा की सूरमा पाढ़ी, सिक्किम के मिम्मा नोरबू शेरपा, पश्चिम बंगाल के विमन बनर्जी तथा मध्य प्रदेश के पीठासीन अधिकारी नरेन्द्र सिंह तोमर ने भी सम्बोधित किया।
बैठक को अपने चिर-परिचित अंदाज में सम्बोधित करते हुए पठानियां ने कहा कि अब समय आ गया है कि हमें किसी भी कार्य को हल्के से नहीं लेना होगा अब जनता तथा समाज जागृत हो चुका है और जवाबदेही भी सुनिश्चित करनी होगी। आज डिजिटल तथा टैक्नोलॉजी का जमाना है जहाँ सोशल मिडिया के माध्यम से खबर आग की तरह फैलती है वहीं जनता ही परोक्ष रूप से जवाब देना शुरू करती है।
अपना अनुभव सांझा करते हुए पठानियां ने कहा कि आज समिति बैठक में कम उपस्थितियाँ, विचार-विमर्श में कम भागीदारी, मुद्दों पर गहन बहस का अभाव, समिति रिपोटों को बिना सार्थक बहस के सदन के समक्ष रखना, पार्टी लाईन के कारण पक्षपात पूर्ण रूख तथा विभागीय उत्तरों में गोलमोल बातें व समिति अधिकारी का पूरी तरह से प्रशिक्षित न होना जो बैठक के लिए प्रभावशाली प्रश्नावली तैयार कर सकें जैसी सामान्य चुनौतियाँ हैं जिनका समिति प्रणाली के सुदृढ़ीकरण हेतु निराकरण आवश्यक है।
अपने सम्बोधन में समिति प्रणाली के सुदृढीकरण हेतु पठानियां ने कई महत्वपूर्ण सुझाव देते हुए कहा कि सबसे पहले विधान मण्डलों में अनुसंधान और सचिवालय सहायता में वृद्वि करने की आवश्यकता है जिसके लिए समर्पित अनुसंधान कर्मचारी और विषय विशेषज्ञों तक पहुँच व विशिष्ट क्षेत्रों में कर्मचारियों की क्षमता निर्माण हेतु निरंतर प्रशिक्षण की सुविधा उपलब्ध करवानी होगी। इंटरैक्टिव प्रशिक्षण को संस्थागत बनाना होगा तथा अनुभवी विधायकों द्वारा नियमित कार्यशालाएं और मार्गदर्शन देना होगा। पठानियां ने कहा कि विभागीय उत्तरों की वरिष्ठ स्तरीय जाँच होनी चाहिए तथ सभी उत्तरों की सचिवों व विभागाध्यक्षों द्वारा समीक्षा की जानी चाहिए।
उन्होने कहा कि गोलमाल व भ्रामक जानकारी के लिए विभागों को जिम्मेवार व जवाबदेह ठहराना होगा तथा मंत्रियों के साथ संचार में सुधार करने की आवश्यकता होगी। प्रत्येक सत्र की शुरूआत में संतुलित कार्यभार सुनिश्चित करने के लिए अध्यक्ष और अध्यक्षों के परामर्श से समितियों को व्यवस्थित रूप से विषय सौंपे जाने चाहिए तथा मिडिया की भागीदारी और पारदर्शिता को मजबूत करना होगा जबकि समिति की सिफारिशों और सरकारी प्रतिक्रियाओं को मिडिया और जनता तक सक्रिय रूप से प्रसारित किया जाना चाहिए।
विधायिका के संरक्षक के रूप में अध्यक्षों की भूमिका पर बोलते हुए पठानियां ने कहा कि प्रगति की समीक्षा के लिए अध्यक्षों के साथ नियमित बैठकें आयोजित करनी होगी तथा उपस्थिति, गुणवता और समयबद्वता के लिए मार्ग दर्शन प्रदान करना तथा अपेक्षाएं भी निर्धारित करनी होगी। उन्होने कहा कि समिति प्रणाली की सुदृढीकरण हेतु सार्वजनिक परामर्श और समिति समय जैसे नवाचारों को बढ़ाना होगा तथा सचिवालय को प्रशिक्षण और संसाधनों से सशक्त बनाना होगा। इस अवसर पर हिमाचल प्रदेश विधान सचिव यशपाल शर्मा भी मौजूद थे।