देश के बैंकों में पड़ी जनता की हजारों करोड़ रुपये की रकम बिना दावे के पड़ी हुई है। संसद में पेश आंकड़ों के अनुसार, सरकारी और प्राइवेट बैंकों में कुल ₹67, 330 करोड़ से अधिक की राशि अनक्लेम्ड डिपॉजिट के रूप में दर्ज है। इनमें सबसे बड़ा हिस्सा स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) का है, जिसमें अकेले ₹19, 329 करोड़ से ज़्यादा बिना दावे के जमा हैं। सरकार ने इस रकम को भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के डिपॉजिटर एजुकेशन एंड अवेयरनेस फंड में ट्रांसफर करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। पढ़ें पूरी खबर.
नई दिल्ली: (HD News); संसद के मानसून सत्र के दौरान केंद्र सरकार ने चौंकाने वाले आंकड़े पेश किए हैं। देशभर के सरकारी और प्राइवेट बैंकों में ऐसे खातों में ₹67, 330.28 करोड़ की राशि पड़ी है, जिन पर वर्षों से किसी ने दावा नहीं किया है। इन अनक्लेम्ड डिपॉजिट्स को भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के डिपॉजिटर एजुकेशन एंड अवेयरनेस फंड (DEAF) में ट्रांसफर किया जा रहा है।
सरकारी बैंकों में ₹58 हजार करोड़ से अधिक
वित्त मंत्रालय के अनुसार, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में ही ₹58, 330.26 करोड़ पड़ी है। इसमें सबसे बड़ा हिस्सा स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) का है, जिसके खातों में ₹19, 329.92 करोड़ बिना दावे के पड़े हैं।

सरकारी बैंकों में बिना दावे की राशि (₹ करोड़ में)
- 🏦 स्टेट बैंक ऑफ इंडिया – 19, 329.92
- 🏦 पंजाब नेशनल बैंक – 6, 910.67
- 🏦 बैंक ऑफ बड़ौदा – 6, 278.14
- 🏦 कैनरा बैंक – 5, 277.36
- 🏦 बैंक ऑफ इंडिया – 3, 938.88
- 🏦 सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया – 2, 394.82
- 🏦 यूनियन बैंक ऑफ इंडिया – 2, 385.79
- 🏦 इंडियन बैंक – 1, 198.94
- 🏦 इंडियन ओवरसीज बैंक – 1, 131.19
- 🏦 यूको बैंक – 831.46

21 प्राइवेट बैंकों में ₹8, 673 करोड़ से अधिक
सरकारी बैंकों के अलावा 21 निजी बैंकों में भी बिना दावे की भारी रकम जमा है, जो कुल ₹8, 673.22 करोड़ है। इसमें एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक, ऐक्सिस बैंक और इंडसइंड बैंक सहित कई अन्य बैंक शामिल हैं।
कोई भी व्यक्ति कर सकता है दावा
सरकार ने बताया कि udgam.rbi.org.in पोर्टल पर जाकर कोई भी व्यक्ति अपने नाम से जुड़ी अनक्लेम्ड डिपॉजिट की जानकारी खोज सकता है। इसके लिए नामांकित व्यक्ति या कानूनी वारिस वैध दस्तावेज दिखाकर राशि का दावा कर सकते हैं।
RBI को ट्रांसफर होगी राशि
नियमों के तहत, ऐसे खातों में 10 साल या उससे अधिक समय तक कोई लेन-देन न होने पर उन्हें अनक्लेम्ड डिपॉजिट माना जाता है और रकम RBI के DEAF फंड में स्थानांतरित कर दी जाती है।
बिना दावे की यह भारी-भरकम राशि इस बात का संकेत है कि लोग अपने बैंक खातों की समय-समय पर जांच नहीं कर रहे या खाताधारकों के निधन के बाद उनके वारिस इस पर दावा नहीं कर पा रहे हैं। सरकार और RBI ने जनता से अपील की है कि वे अपने निष्क्रिय खातों को सक्रिय रखें और udgam.rbi.org.in पोर्टल के जरिए अनक्लेम्ड डिपॉजिट की जानकारी लेकर समय पर दावा करें, ताकि उनकी मेहनत की कमाई फंड में ट्रांसफर न हो जाए।
