हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में आज पेंशनरों का गुस्सा फूट पड़ा। लंबित एरियर, डीए (महंगाई भत्ता) और मेडिकल बिलों का भुगतान न होने से नाराज़ पेंशनर सड़कों पर उतर आए। “अपने लिए माननीयों के पास पैसा ही पैसा, जनता के लिए आर्थिक तंगी” के नारों के साथ उन्होंने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। पेंशनरों का कहना है कि जिन्होंने जीवनभर प्रदेश की सेवा की, आज वही अपने हक़ के लिए संघर्ष करने को मजबूर हैं जो सरकार की नीतियों पर गंभीर सवाल खड़े करता है। पढ़ें विस्तार से
शिमला: (HD News); हिमाचल प्रदेश में पेंशनरों ने अपनी लंबित वित्तीय देनदारियों का भुगतान न होने के खिलाफ आज शिमला में जोरदार प्रदर्शन किया। पेंशनर संयुक्त संघर्ष समिति के बैनर तले बड़ी संख्या में सेवानिवृत्त कर्मचारी राजधानी की सड़कों पर उतरे और सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। प्रदर्शनकारियों का कहना था कि सरकार अपने हितों और माननीयों के भत्तों के लिए तो खजाना खोल देती है, लेकिन पेंशनरों और जनता के लिए हमेशा आर्थिक तंगी का हवाला देती है।

पेंशनरों ने आरोप लगाया कि सरकार लगातार उनके साथ अन्याय कर रही है। हाल ही में तीन फ़ीसदी महंगाई भत्ता (DA) जारी किया गया है, जबकि कुल 16 फ़ीसदी डीए लंबित है। उन्होंने कहा कि चार फ़ीसदी की किस्त जारी होनी थी, लेकिन सरकार ने केवल एक फ़ीसदी जारी कर “झोल” कर दिया है। पेंशनरों ने इसे सीधा-सीधा धोखा बताते हुए कहा कि जिस सरकार को कर्मचारियों और पेंशनरों के सहयोग से सत्ता मिली, वही अब उनके हक़ मारने पर उतारू है।

समिति ने कहा कि छठे वेतन आयोग का एरियर वर्ष 2016 से लंबित पड़ा है, जबकि जनवरी 2026 से नया वेतनमान लागू होने जा रहा है। पेंशनरों ने सवाल उठाया कि जब नया वेतनमान आने में अब कुछ ही महीने शेष हैं, तो पुराने एरियर का निपटारा कब होगा? उन्होंने इसे सरकार की लापरवाही और असंवेदनशीलता की पराकाष्ठा बताया।

मेडिकल बिलों के भुगतान में हो रही देरी को लेकर भी पेंशनरों ने तीखा आक्रोश व्यक्त किया। उनका कहना था कि सालों से मेडिकल बिलों का भुगतान नहीं हुआ, जिससे कई बुजुर्गों को इलाज के अभाव में जूझना पड़ रहा है। कुछ पेंशनर इलाज के अभाव में जान भी गंवा चुके हैं, जो कि एक बेहद शर्मनाक स्थिति है। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि यह सरकार की विफलता है कि जिन्होंने जीवनभर प्रदेश की सेवा की, आज वही लोग अपने इलाज और हक़ के लिए सड़कों पर उतरने को मजबूर हैं।

पेंशनर नेताओं ने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने शीघ्र ही उनकी मांगों पर ठोस कदम नहीं उठाए, तो वे प्रदेशव्यापी आंदोलन शुरू करेंगे। उन्होंने कहा कि कर्मचारी और पेंशनर हिमाचल में किसी भी सरकार की नींव माने जाते हैं, और यदि सुक्खू सरकार ने उनकी अनदेखी जारी रखी, तो इसका खामियाजा आगामी चुनावों में भुगतना पड़ेगा।
अंत में पेंशनर संयुक्त संघर्ष समिति ने स्पष्ट किया कि उनकी लड़ाई किसी राजनीतिक दल से नहीं, बल्कि अपने अधिकारों के लिए है। उन्होंने कहा कि वेतन, एरियर, डीए और मेडिकल बिलों के भुगतान के बिना कोई भी आश्वासन स्वीकार नहीं किया जाएगा।

हिमाचल प्रदेश के पेंशनरों का यह प्रदर्शन सिर्फ आर्थिक देनदारियों की मांग नहीं, बल्कि सम्मान और हक़ की लड़ाई बन चुका है। सरकार जहां आर्थिक तंगी का हवाला देकर देरी कर रही है, वहीं पेंशनरों का कहना है कि “राजनीति के लिए पैसा है, पर जनता के लिए नहीं।” यदि राज्य सरकार ने शीघ्र कोई ठोस कदम नहीं उठाया, तो यह असंतोष आने वाले चुनावों में बड़ा मुद्दा बन सकता है।