शिमला: (HD News); सीपीआईएम राज्य कमेटी हिमाचल प्रदेश ने आगामी 26 नवंबर 2025 और 19 जनवरी 2026 को होने वाले मजदूरों और किसानों के देशव्यापी प्रदर्शनों को सफल बनाने के लिए एक राज्य स्तरीय अधिवेशन कालीबाड़ी हॉल, शिमला में आयोजित किया। अधिवेशन में लगभग दो सौ पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं ने भाग लिया। पार्टी ने सभी प्रदेश कार्यकर्ताओं से इन प्रदर्शनों को सफल बनाने का आह्वान किया और उनका पूर्ण समर्थन देने की घोषणा की।
अधिवेशन का संचालन राज्य सचिव संजय चौहान ने किया। प्रस्ताव पेश करते हुए डॉ. ओंकार शाद ने कहा कि केंद्र सरकार की नवउदारवादी नीतियों के खिलाफ संघर्ष को और तेज करना आवश्यक है। अधिवेशन में पार्टी नेताओं राकेश सिंघा, प्रेम गौतम, विजेंद्र मेहरा, कुशाल भारद्वाज, डॉ. कुलदीप सिंह तंवर, भूपेंद्र सिंह, गीता राम, राजेंद्र ठाकुर, मोहित वर्मा, जोगिंद्र कुमार, अशोक कटोच, नरेंद्र विरुद्ध ने संबोधित किया।

वक्ताओं ने कहा कि मोदी सरकार की कॉर्पोरेट-सांप्रदायिक नीतियों से गरीब और मजदूर वर्ग पर विपरीत प्रभाव पड़ा है। किसानों पर वर्ष 2020 में थोपे गए काले कृषि कानून और मजदूर विरोधी चार लेबर कोड यह स्पष्ट कर चुके हैं कि सरकार केवल पूंजीपतियों के मुनाफे के पक्ष में काम कर रही है। इन नीतियों के कारण गरीब और अधिक गरीब, अमीर और अधिक अमीर हुआ है।
अधिवेशन में यह भी कहा गया कि इन नीतियों से किसानों की आत्महत्याओं में वृद्धि हुई है, मजदूरों की सामाजिक सुरक्षा खत्म हो रही है, और उनकी वास्तविक आय लगातार घट रही है। हिमाचल प्रदेश में किसानों की बेदखली, मुआवजा और अन्य मसले अब भी अनसुलझे हैं। मजदूर वर्ग को नियमित रोजगार की बजाय आउटसोर्स, ठेका, पार्ट टाइम, टेंपरेरी, मल्टी टास्क, मित्र योजना, ट्रेनी जैसी श्रेणियों में रखा जा रहा है, जहां उनका मासिक वेतन केवल 4, 000 से 12, 000 रुपए तक है।

पार्टी नेताओं ने चेताया कि देश की सबसे बड़ी पांच पूंजीपति कंपनियों के पास देश की बीस प्रतिशत संपत्ति, जबकि आधी जनता के पास केवल तीन प्रतिशत जीडीपी के बराबर संपत्ति है। उन्होंने कहा कि सरकार सांप्रदायिक नीतियों के माध्यम से जनता का ध्यान भटका रही है, जिससे देश की एकता और अखंडता पर खतरा मंडरा रहा है।
अधिवेशन में जोर देकर कहा गया कि अब समय आ गया है कि जनता व्यापक एकता बनाकर मोर्चाबंदी और संघर्ष के लिए तैयार हो। सीपीआईएम ने मजदूरों और किसानों के प्रदर्शनों को सफल बनाने के लिए सभी कार्यकर्ताओं से सक्रिय भागीदारी की अपील की।

सीपीआईएम हिमाचल प्रदेश का यह अधिवेशन न केवल आगामी प्रदर्शनों के लिए रणनीतिक तैयारी का मंच रहा, बल्कि यह संदेश भी देता है कि पार्टी केंद्र सरकार की नवउदारवादी नीतियों और मजदूर-किसान विरोधी फैसलों के खिलाफ लगातार संघर्ष करती रहेगी। पार्टी ने प्रदेश कार्यकर्ताओं को चेताया कि मजदूर और किसान ही देश की असली शक्ति हैं और उनका हक़ सुरक्षित करने के लिए व्यापक एकता बनाना अब सबसे जरूरी है।
