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पंचांग

आज का पंचांग: 13 जुलाई 2022; आप सभी को गुरु पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएं, जानिए आज का शुभ मुहूर्त..

July 13, 2022 08:39 AM

हिन्दू पंचांग पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :- 1:- तिथि (Tithi) 2:- वार (Day) 3:- नक्षत्र (Nakshatra) 4:- योग (Yog) 5:- करण (Karan)

पंचांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे ।

जानिए बुधवार का पंचांग

* शास्त्रों के अनुसार तिथि के पठन और श्रवण से माँ लक्ष्मी की कृपा मिलती है ।

* वार के पठन और श्रवण से आयु में वृद्धि होती है।

* नक्षत्र के पठन और श्रवण से पापो का नाश होता है।

* योग के पठन और श्रवण से प्रियजनों का प्रेम मिलता है। उनसे वियोग नहीं होता है ।

* करण के पठन श्रवण से सभी तरह की मनोकामनाओं की पूर्ति होती है ।

इसलिए हर मनुष्य को जीवन में शुभ फलो की प्राप्ति के लिए नित्य पंचांग को देखना, पढ़ना चाहिए।

बुधवार का पंचांग

13 जुलाई 2022

गणेश गायत्री मंत्र :ॐ एकदन्ताय विद्महे वक्रतुंडाय धीमहि तन्नो बुदि्ध प्रचोदयात ।।

।। आज का दिन मंगलमय हो ।।

दिन (वार) – बुधवार के दिन तेल का मर्दन करने से अर्थात तेल लगाने से माता लक्ष्मी प्रसन्न होती है धन लाभ मिलता है।

बुधवार का दिन विघ्नहर्ता गणेश का दिन हैं। बुधवार के दिन गणेश जी के परिवार के सदस्यों का नाम लेने से जीवन में शुभता आती है।

बुधवार के दिन गणेश जी को रोली का तिलक लगाकर, दूर्वा अर्पित करके लड्डुओं का भोग लगाकर उनकी की पूजा अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

बुधवार को सभी ग्रहो के राजकुमार बुध देव की आराधना करने से ज्ञान मिलता है, वाकपटुता में प्रवीणता आती है, धन लाभ होता है। बुधवार को गाय को हरा चारा खिलाने तथा रात को सोते समय फिटकरी से दाँत साफ करने से आर्थिक पक्ष मजबूत होता है ।

*विक्रम संवत् 2079, *शक संवत – 1944*कलि संवत 5124*अयन – उत्तारायण*ऋतु – ग्रीष्म ऋतु*मास – आषाढ़ माह*पक्ष – शुक्ल पक्ष*चंद्र बल – मिथुन, सिंह, तुला, वृश्चिक, कुम्भ, मीन

तिथि (Tithi)- गुरु पूर्णिमा

तिथि के स्वामी – पूर्णिमा तिथि के स्वामी चंद्र देव जी है।आज अति शुभ गुरु पूर्णिमा है । इस दिन लोग अपने गुरु का पूजन करके उनसे आशीर्वाद प्राप्त कर अपने जीवन को सफल करते हैं।

आषाढ़ पूर्णिमा के दिन महाभारत के रचयिता कृष्ण द्वैपायन व्यास का जन्म हुआ था। वे संस्कृत के प्रकांड विद्वान थे, जिन्होंने महाभारत की रचना की थी साथ ही उन्होंने 6 शास्त्रों, 18 पुराणों की भी रचना की। इसी कारण इनका नाम वेद व्यास प्रसिद्ध हुआ।

इस साल गुरु पूर्णिमा के दिन काफी अद्भूत संयोग बन रहे हैं । गुरु पूर्णिमा के दिन गुरु, मंगल, बुध और शनि ग्रह के शुभ संयोग से रुचक, शश, हंस और भद्र नामक राजयोग का निर्माण हो रहा है जो अति मंगलकारी है ।

सूर्य-बुध की युति से बुधादित्य योग, मंगल के मेष राशि में होने से रुचक योग, गुरु के मीन राशि में होने के कारण केंद्र में हंस योग, बुध के मिथुन में होने के कारण भद्र योग और शनिदेव के मकर राशि में गोचर करने से शश योग जैसे अति कल्याणकारी योग बन रहे हैं।

शास्त्रों के अनुसार गुरु पूर्णिमा के दिन गुरु पूजन, गुरु के आशीर्वाद से कुंडली में गुरु दोष व पितृदोष समाप्त होता है, संकटो का नाश होता है, जीवन में प्रत्येक क्षेत्र में सफलता के नए नए मार्ग खुलने लगते है ।

संत कबीर दास जी ने भी कहा है कि – ‘हरि रूठे गुरु ठौर है, गुरु रूठे नहिं ठौर॥’

गुरु पूर्णिमा के दिन प्रत्येक मनुष्य को अपनी गुरु की पूर्ण श्रद्धा और सामर्थ्य से फल, मिष्ठान, वस्त्र, उपहार, भूमि, स्वर्ण आभूषण, और दक्षिणा आदि अर्पित करके उनकी पूजा करनी चाहिए, उनका आशीर्वाद लेना चाहिए इससे गुरु ग्रह शुभ फल देने लगते है, ज्ञान और तेज की प्राप्ति होती है, जीवन सुखमय होता है ।

पूर्णिमा तिथि को चन्द्रमा सम्पूर्ण होता है। पूर्णिमा तिथि माँ लक्ष्मी को अत्यंत प्रिय है, इस दिन सुख समृद्धि के लिए माँ लक्ष्मी की विधि पूर्वक उपासना अवश्य करें।

पूर्णिमा तिथि को संध्या के समय में सत्यनारायण भगवान की पूजा तथा कथा की जाती है एवं चंद्रमा को अर्घ्य दिया जाता है।

नक्षत्र (Nakshatra)- पूर्वाषाढ़ा

नक्षत्र के देवता, ग्रह स्वामी- पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र के देवता (अष्ट वसुओं में से एक जल के देवता) और स्वामी शुक्र देव है।

पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र 20वें नंबर का नक्षत्र है। ‘पूर्वाषाढ़ा’ का अर्थ है ‘विजय से पूर्व’। पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र के देवता (अष्ट वसुओं में से एक जल के देवता) और स्वामी शुक्र देव है ।

शुक्र का प्रभाव पड़ने से जातक आकर्षक, प्रेम करने वाला, तथा जिंदादिल इंसान होता है। यह हाथी दांत या हाथ का पंखा जैसा नज़र आता है जो कि शक्ति और विजय को दर्शाता है।

पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र का लिंग पुरुष है। पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र का आराध्य वृक्ष वेत और नक्षत्र का स्वभाव उग्र माना गया है।

पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र के लिए भाग्यशाली संख्या 3 और 6, भाग्यशाली रंग, काला, गहरा भूरा, भाग्यशाली दिन रविवार, शनिवार, शुक्रवार और गुरुवारका माना जाता है।

पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में जन्मे जातको को तथा जिस दिन यह नक्षत्र हो उस दिन सभी को “ॐ पूर्वाषाढाभ्यां नमः”। मन्त्र का जाप अवश्य करना चाहिए । जीवन में निरंतर शुभ समय के लिए पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र के जातको को माँ लक्ष्मी, माँ ललिता और देवी त्रिपुर सुंदरी की पूजा उपासना करनी चाहिए। लक्ष्मी सहस्त्रनाम, ललिता सहस्त्रनाम, कनकधारा स्त्रोत, महालक्ष्मी अष्टक का पाठ करना जातक के लिए कल्याणकारी होता है। इसके अतिरिक्त पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र के जातको को नित्य भगवान शंकर जी की आराधना भी बहुत शुभ फलदाई होती है ।

योग(Yog) – इंद्र 12.45 PM तक तत्पश्चात वैधृतिप्रथम करण : – विष्टि 14.04 PM तकद्वितीय करण : – बव

गुलिक काल : – बुधवार को शुभ गुलिक 10:30 से 12 बजे तक ।

दिशाशूल (Dishashool)- बुधवार को उत्तर दिशा में दिशा शूल होता है । इस दिन कार्यों में सफलता के लिए घर से सुखा/हरा धनिया या तिल खाकर जाएँ ।

सूर्योदय – प्रातः 5.26 AM

सूर्यास्त – सायं 19.27

विशेष – सप्तमी को ताड़ का सेवन करने से रोग बढ़ते है।

पर्व त्यौहार- गुरु पूर्णिमा

आज का शुभ मुहूर्त 13 जुलाई 2022 : ब्रह्म मुहूर्त सुबह 04 बजकर 11 मिनट से 04 बजकर 51 मिनट तक। विजय मुहूर्त दोपहर 02 बजकर 45 मिनट से 03 बजकर 40 मिनट तक रहेगा। निशिथ काल मध्‍यरात्रि 12 बजकर 07 मिनट से 12 बजकर 47 मिनट तक। गोधूलि बेला शाम 07 बजकर 08 मिनट से 07 बजकर 32 मिनट तक। अमृत काल शाम 07 बजकर 07 मिनट से 08 बजकर 31 मिनट तक।

आज का उपाय : भगवान शिवजी की पूजा करें, गुरु चरणों की पूजा करके उनसे आशीर्वाद लें।

“हे आज की तिथि (तिथि के स्वामी), आज के वार, आज के नक्षत्र (नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस पंचांग को सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो “।

आप का आज का दिन अत्यंत मंगल दायक हो ।

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