हिमाचल में नई आबकारी नीति को कैबिनेट की मंजूरी, 2850 करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य, बीपीएल सूची में शामिल करने के लिए किए हैं कई प्रावधान, पढ़ें मंत्रिमंडल अहम फैसले..
शिमला: हिमाचल प्रदेश में साल 2025-26 में शराब ठेके नीलाम होंगे। मंगलवार देर शाम को राज्य सचिवालय में मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में यह फैसला लिया गया। सरकार ने प्रदेश में बीपीएल श्रेणी के चयन के लिए बड़ा फैसला लेते हुए वार्षिक आय 36 हजार रुपये को बढ़ाकर अब 50 हजार रुपये कर दिया है। सरकार ने विधवाओं-अनाथों के कल्याण, कानून व्यवस्था, शिक्षा और कौशल विकास के लिए जिला खनन फंड को खर्च करने का फैसला भी लिया।

मंत्रिमंडल ने निर्णय लिया कि अब जेओए आईटी के पदों पर सीधे कोई भी विभाग नियुक्तियां नहीं कर सकेगा। कार्मिक विभाग के माध्यम से ही इनकी भर्तियां होंगी। स्वास्थ्य विभाग में नर्सों, पैरा मेडिकल, चालकों से स्वास्थ्य शिक्षा और स्वास्थ्य विभाग में से एक में सेवाएं देने का विकल्प भी मांगा जाएगा। इनसे विकल्प मांगा जाएगा कि चिकित्सा स्वास्थ्य निदेशालय (डीएमई ) में सेवा देनी है या स्वास्थ्य निदेशालय (डीएचएस) में। मंत्रिमंडल ने जिला सोलन की दिग्गल पीएचसी का दर्जा बढ़ाकर सीएचसी कर दिया है।
मंगलवार देर शाम करीब सात बजे मंत्रिमंडल की बैठक शुरू हुई। विधानसभा सत्र समाप्त होने के बाद मुख्यमंत्री सहित सभी मंत्री सचिवालय पहुंचे। कांग्रेस ने सत्ता में आते ही शराब ठेकों की नीलामी का फैसला लिया था। पूर्व की भाजपा सरकार के समय में शराब ठेकों का दस फीसदी बढ़ोतरी के साथ नवीनीकरण किया जाता था। अधिक राजस्व प्राप्ति के लिए सरकार ने नवीनीकरण का फैसला बदलते हुए नीलामी का निर्णय किया है। आबकारी नीति को मंजूरी मिलते ही अब इसी सप्ताह प्रदेश के 2, 100 शराब ठेकों का जिलावार आवंटन का शेड्यूल जारी होगा। एक अप्रैल, 2025 से नए कारोबारियों को शराब ठेके आवंटित किए जाएंगे। 31 मार्च, 2025 तक 2, 700 करोड़ का राजस्व जुटाने का विभाग ने लक्ष्य रखा है। नए वित्त वर्ष में 2, 850 करोड़ राजस्व प्राप्त होने की उम्मीद है।

बीपीएल सूची में शामिल करने के लिए किए हैं कई प्रावधान
उधर, प्रदेश में बीपीएल सर्वे एक अप्रैल से शुरू होना है। मौजूदा समय में प्रदेश में 2.65 लाख परिवार बीपीएल श्रेणी में शामिल हैं। प्रदेश की 38 पंचायतें बीपीएल मुक्त हैं। इस बार इन पंचायतों से भी बीपीएल में शामिल होने के लिए आवेदन आए हैं। सरकार पहले ही तय कर चुकी है कि बीपीएल सूची में वे परिवार भी शामिल होंगे, जिनमें 18 से 59 वर्ष की आयु के बीच कोई व्यस्क सदस्य नहीं है और जिन परिवारों की मुखिया महिलाएं हैं। जिन परिवारों का मुखिया 50 प्रतिशत या उससे अधिक दिव्यांग है, जिन परिवारों ने पिछले वित्त वर्ष में मनरेगा के तहत कम से कम 100 दिन काम किया है, जिन परिवारों के कमाने वाले सदस्य कैंसर, अल्जाइमर, पार्किंसन, मस्कुलर डिस्ट्राफी, थैलेसीमिया या किसी अन्य गंभीर बीमारी से पीड़ित हैं, जिस कारण स्थायी विकलांगता हो सकती है। अब सरकार ने वार्षिक आय सीमा को दोगुना कर दिया है।
