हिमाचल प्रदेश की राजनीति में ऐतिहासिक बदलाव की बुनियाद रखी जा चुकी है। अब अयोग्य ठहराए गए विधायकों को न तो पेंशन मिलेगी, न कोई भत्ता। कांग्रेस सरकार द्वारा विधानसभा में पारित इस सख्त विधेयक को राजभवन ने राष्ट्रपति भवन भेज दिया है। राष्ट्रपति की मंजूरी मिलते ही यह कानून प्रभाव में आ जाएगा और दल-बदल जैसी गतिविधियों पर सीधा प्रहार करेगा।
शिमला: (HD News); हिमाचल प्रदेश में अयोग्य ठहराए गए विधायकों की पेंशन और भत्तों पर रोक लगाने की दिशा में बड़ा कदम उठाया गया है। राज्य सरकार द्वारा विधानसभा से पारित विधेयक को राजभवन ने राष्ट्रपति भवन को भेज दिया है। राष्ट्रपति की मंजूरी मिलते ही यह विधेयक कानून का रूप ले लेगा और प्रदेश में लागू हो जाएगा।
यह विधेयक बीते वर्ष मानसून सत्र में कांग्रेस सरकार द्वारा विधानसभा में पारित किया गया था। इसमें पिछले बजट सत्र के दौरान भाजपा में शामिल हुए अयोग्य विधायकों को पेंशन और भत्तों से वंचित करने का प्रावधान किया गया है। यही नहीं, विधेयक में यह भी उल्लेख है कि ऐसे पूर्व विधायकों से पूर्व में दी गई पेंशन और भत्तों की राशि की वसूली की जा सकेगी।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह कदम दल-बदल जैसी प्रवृत्तियों पर रोक लगाने में प्रभावी हो सकता है। यह विधेयक यदि कानून बनता है, तो हिमाचल प्रदेश देश के उन चुनिंदा राज्यों में शामिल हो जाएगा, जहां अयोग्य घोषित विधायकों को वित्तीय लाभ नहीं मिलेंगे।
राजभवन से मिली जानकारी के अनुसार, अब फैसला राष्ट्रपति के विवेक पर निर्भर करेगा। राज्य सरकार को उम्मीद है कि इससे लोकतंत्र की गरिमा को बनाए रखने में मदद मिलेगी। राज्य सरकार को अब राष्ट्रपति की स्वीकृति का इंतजार है। मंजूरी मिलते ही यह विधेयक हिमाचल में एक मिसाल बनेगा, जहां अयोग्य घोषित जनप्रतिनिधियों को किसी भी प्रकार का वित्तीय लाभ नहीं मिलेगा।

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