हिमाचल प्रदेश सरकार की दो दिवसीय कैबिनेट बैठक सोमवार से शिमला में शुरू हो रही है, जिसमें सरकारी कर्मचारियों की रिटायरमेंट उम्र 58 से बढ़ाकर 59 या उससे अधिक करने पर विचार किया जा सकता है। साथ ही पेंशनरों के लिए कम्युटेशन सुविधा बंद करने पर भी फैसला लिए जाने की संभावना है। इन प्रस्तावों पर कैबिनेट में गहन चर्चा की जाएगी, जिससे प्रदेश के लाखों कर्मचारियों और पेंशनर्स पर सीधा असर पड़ सकता है। पढ़ें पूरी खबर..
शिमला: हिमाचल प्रदेश कैबिनेट की मीटिंग आज और कल मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की अध्यक्षता में होगी। 2 दिन चलने वाली इस बैठक में कई विषय पर चर्चा के बाद महत्वपूर्ण फैसले लिए जाएंगे। प्रदेश में पहली बार कैबिनेट मीटिंग लगातार दो दिन की बुलाई गई है।
कैबिनेट में सरकारी कर्मचारियों की रिटायरमेंट एज 58 से बढ़ाकर 59 वर्ष करने को लेकर चर्चा होगी। आय के संसाधान बढ़ाने और आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए गठित कैबिनेट सब कमेटी की सिफारिश पर कर्मचारियों की सेवानिवृति आयु एक साल के लिए बढ़ा सकती है। ऐसा करके सरकार पेंशन की लगभग 3000 करोड़ रुपए की देनदारी एक साल तक टाल सकती है।
कैबिनेट मीटिंग की अध्यक्षता करते हुए सीएम सुक्खू (फाइल फोटो)राज्य सरकार यदि रिटायरमेंट एज बढ़ाती है तो इससे बेरोजगारों पर मार पड़नी तय है। ऐसे में सरकार कैबिनेट में विस्तृत चर्चा के बाद इस पर फैसला लेगी। पूर्व वीरभद्र सरकार ने भी एक बार आर्थिक संकट के बीच ऐसा किया था। इससे कर्मचारियों की देनदारी खत्म नहीं होंगी, लेकिन एक साल को टाली जा सकेगी।

रिटायरमेंट एज एक साल बढ़ा सकती है सरकार
सरकार यदि रिटायरमेंट एज 59 साल नहीं करती तो शिक्षा विभाग में सभी कर्मचारियों को 31 मार्च को रिटायरमेंट देने का भी फैसला हो सकता है। इसी तरह 40 फीसदी कम्युटेशन बंद करने को लेकर भी कैबिनेट में चर्चा हो सकती है। कैबिनेट सब कमेटी ने आर्थिक संकट को टालने के लिए रिटायरमेंट के वक्त मिलने वाली 40 प्रतिशत कम्युटेशन को बंद करने का सुझाव दिया है। ऐसा किया गया तो कर्मचारियों को रिटायरमेंट पर पेंशन के तौर पर मिलने 40 प्रतिशत राशि एडवांस में नहीं ली जा सकेगी। इस पर भी कैबिनेट में चर्चा के बाद फैसला होना है।
कैबिनेट मीटिंग में नई नौकरियों को लेकर भी चर्चा होनी है। राज्य सरकार ने 2003 की कॉन्ट्रेक्ट पॉलिसी के तहत भर्तियां बंद कर दी है। अब सरकार प्रोबेशनरी या ट्रेनी भर्ती करने पर विचार कर रही है। इन पॉलिसी के तहत पांच साल तक कमीशन पास करने वाले लोगों की सेवाएं प्रोबेशनरी या ट्रेनी के तौर पर लेने की योजना है। इस अवधि में कर्मचारियों को नाममात्र सैलरी दी जाएगी। ठीक उसी तरह जैसे कॉन्ट्रेक्ट पीरियड में अनुबंध कर्मचारियों को भी नाममात्र सैलरी दी जाती थी।

नौकरियों के लिए आवेदन की फीस हो सकती है तय
कैबिनेट में राज्य चयन आयोग द्वारा विभिन्न पदों के लिए मांगे जाने वाले आवेदनों की फीस भी तय की जा सकती है। इसे लेकर कैबिनेट में पहले चर्चा होगी, उसके बाद फैसला होना है।
करुणामूलक नौकरी को लेकर हो सकती है चर्चा
हिमाचल में करुणामूलक नौकरी के लंबित मामलों को एकमुश्त निपटाने को लेकर भी कैबिनेट में चर्चा संभावित है, क्योंकि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने विधानसभा सत्र में भी करुणामूलक नौकरी के सभी मामले एकमुश्त निपटाने का भरोसा दिया था।