हिमाचल प्रदेश सरकार ने जनहित और जनसुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। राज्य में प्रस्तावित पंचायत राज संस्थानों के चुनाव अब सड़कों की पूर्ण बहाली और सामान्य स्थिति लौटने के बाद ही आयोजित किए जाएंगे। आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा जारी आदेश में स्पष्ट कहा गया है कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया उतनी ही महत्वपूर्ण है जितनी जनता की सुरक्षा और सुविधा, इसलिए चुनाव तब तक नहीं होंगे जब तक प्रत्येक क्षेत्र में सुगम संपर्क और आवश्यक व्यवस्थाएं सुनिश्चित नहीं हो जातीं। मानसून 2025 की भीषण आपदा के बाद प्रदेश के कई हिस्से अब भी पुनर्बहाली की प्रक्रिया में हैं। ऐसे में सरकार ने तात्कालिक राजनीति से ऊपर उठकर एक संवेदनशील, व्यावहारिक और दूरदर्शी निर्णय लिया है, ताकि कोई भी मतदाता, अधिकारी या नागरिक कठिन परिस्थितियों में जोखिम में न पड़े। यह कदम हिमाचल सरकार की उस प्रतिबद्धता का प्रतीक है जिसमें जनहित, सुरक्षा और सुव्यवस्था सर्वोपरि हैं। पढ़ें विस्तार से -
शिमला: (HD News); हिमाचल प्रदेश सरकार ने मानसून 2025 की भारी तबाही और सड़क तंत्र की खस्ता हालत को देखते हुए एक बड़ा निर्णय लिया है। सरकार ने आदेश जारी करते हुए स्पष्ट कर दिया है कि प्रदेश में प्रस्तावित पंचायत राज संस्थानों के चुनाव अब सड़कों की पूरी तरह से बहाली और सामान्य स्थिति बहाल होने के बाद ही कराए जाएंगे। इस संबंध में राज्य सरकार के राजस्व विभाग, आपदा प्रबंधन प्रकोष्ठ (Disaster Management Cell) की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि वर्तमान परिस्थितियों में चुनाव कराना जनसुरक्षा और प्रशासनिक दृष्टि से उचित नहीं होगा।

आदेश में बताया गया है कि मानसून 2025 ने हिमाचल को गहरे जख्म दिए हैं। 19 जून से शुरू हुए इस मानसून सीजन में राज्य के लगभग सभी जिलों में तबाही का आलम रहा। धर्मशाला, कुल्लू, मंडी, चंबा, लाहौल-स्पीति से लेकर किन्नौर तक भूस्खलन, बादल फटने और फ्लैश फ्लड ने कहर बरपाया। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, इस दौरान 270 लोगों की जान गई, जबकि 198 लोगों की मृत्यु सड़क हादसों में हुई। इसके अतिरिक्त, 1817 मकान पूरी तरह से ढह गए और 8323 मकान आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हुए। आपदा से कुल आर्थिक नुकसान 5, 426 करोड़ रुपये से अधिक आंका गया है।

सरकार ने बताया कि इस अवधि में 47 बादल फटने, 98 फ्लैश फ्लड और 148 बड़े भूस्खलन दर्ज किए गए, जिससे राज्य के विभिन्न हिस्सों का सड़क संपर्क बुरी तरह से टूट गया। भारी वर्षा के बाद भी प्रदेश के कई इलाकों में अभी तक बहाली का कार्य पूरा नहीं हो पाया है और भूस्खलन का खतरा बरकरार है। ऐसे में ग्रामीण क्षेत्रों तक पहुंचना अब भी चुनौतीपूर्ण बना हुआ है।
आदेश में कहा गया है कि आने वाले समय में दिसंबर 2025 और जनवरी 2026 के दौरान पंचायत राज संस्थानों के चुनाव प्रस्तावित हैं, लेकिन इस अवधि में हिमाचल में भारी बर्फबारी और कड़ाके की ठंड होती है। इससे न केवल मतदान कर्मियों बल्कि मतदाताओं की सुरक्षा पर भी खतरा मंडरा सकता है। राज्य के कई हिस्सों में सड़कें अभी भी बंद हैं, पुल क्षतिग्रस्त हैं और ग्रामीण संपर्क मार्ग बहाल नहीं हो पाए हैं। इस स्थिति में चुनाव कराना जोखिम भरा साबित हो सकता है।

मुख्य सचिव-सह-अध्यक्ष, राज्य कार्यकारी समिति (SDMA) संजय गुप्ता ने आदेश में कहा है कि राज्य आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 की धारा 24 (e) के तहत यह निर्णय लिया गया है कि पंचायत चुनाव तभी कराए जाएंगे जब तक पूरे राज्य में सड़क संपर्क बहाल न हो जाए और जनसुविधाएं सामान्य स्थिति में न लौट आएं। उन्होंने स्पष्ट किया कि किसी भी मतदाता को सड़क बंद होने के कारण मतदान के अधिकार से वंचित नहीं होना चाहिए और न ही किसी अधिकारी या कर्मचारी की सुरक्षा से समझौता किया जा सकता है।

इस निर्णय की प्रतियां राज्य निर्वाचन आयुक्त, सभी उपायुक्तों, पंचायत राज विभाग, पुलिस महानिदेशक, और अन्य वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों को भेज दी गई हैं ताकि आवश्यक कार्रवाई तुरंत सुनिश्चित की जा सके। यह आदेश हिमाचल सरकार के आपदा प्रबंधन प्रकोष्ठ की ओर से जारी किया गया है, जिसमें राज्य की मौजूदा भौगोलिक और आपदा संबंधी स्थिति को विस्तार से दर्ज किया गया है।
सरकार का यह कदम हिमाचल की मौजूदा परिस्थितियों में एक विवेकपूर्ण और जनहित में उठाया गया निर्णय है। सड़क संपर्क बहाली और सुरक्षा इंतज़ामों के बाद ही चुनाव कराना न केवल लोकतांत्रिक प्रक्रिया की गरिमा को बनाए रखेगा, बल्कि मतदाताओं और कर्मियों की सुरक्षा को भी सुनिश्चित करेगा। इस फैसले से स्पष्ट संदेश गया है कि राज्य सरकार किसी भी प्रकार के जोखिम से पहले जनता की सुरक्षा और राहत कार्यों को प्राथमिकता दे रही है।

मुख्य बिंदु एक नजर में:
मानसून 2025 ने हिमाचल को गहरे घाव दिए - 270 लोगों की जान गई और 5, 426 करोड़ रुपये का भारी नुकसान दर्ज हुआ। इस आपदा काल में 47 बादल फटने, 148 भीषण भूस्खलन और 98 फ्लैश फ्लड की घटनाओं ने पहाड़ों को भीतर तक हिला दिया। मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि पंचायत चुनाव अब तभी होंगे जब तक सड़कें पूरी तरह से बहाल और जनजीवन पूरी तरह से सामान्य नहीं हो जाता।
यह महत्वपूर्ण निर्णय मुख्य सचिव-सह-अध्यक्ष, राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (SDMA) संजय गुप्ता द्वारा जारी किया गया है। अनुमान है कि चुनाव दिसंबर 2025 या जनवरी 2026 तक स्थगित रह सकते हैं, जब तक राज्य का संपूर्ण सड़क नेटवर्क और प्रशासनिक ढांचा फिर से सशक्त रूप में तैयार न हो जाए।