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हिमाचल | शिमला

शिमला में निजी बसें ठप, शहर की रफ्तार थमी, सड़कें सूनी, लोग पैदल गंतव्य की ओर - HRTC प्रबंधन के दावों की खुली पोल - पढ़ें पूरी खबर

November 03, 2025 12:15 PM
Om Prakash Thakur

हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला सोमवार को निजी बस ऑपरेटरों की हड़ताल से थम गई। सुबह से ही शहर की सड़कों पर सन्नाटा पसरा रहा - न बसें चलीं, न यात्री पहुंचे। स्कूल जाने वाले बच्चे, कर्मचारी और रोज़मर्रा के यात्री घंटों बस स्टॉपों पर खड़े रहे। एचआरटीसी की अतिरिक्त बसें भी राहत नहीं दे सकीं। परिणामस्वरूप राजधानी की रफ्तार रुक गई और नाराज़गी का माहौल पूरे शहर में फैल गया। पढ़ें पूरी खबर..

शिमला: हिमाचल प्रदेश की राजधानी आज सुबह से ठहर सी गई। सोमवार को निजी बस ऑपरेटरों की अनिश्चितकालीन हड़ताल के चलते शिमला में बस सेवाएं पूरी तरह ठप रहीं। इससे स्कूल जाने वाले बच्चों से लेकर सरकारी और निजी क्षेत्र के कर्मचारी घंटों बसों का इंतजार करते नजर आए। कई जगहों पर लोगों को पैदल ही दफ्तरों और स्कूलों तक पहुंचना पड़ा।

शहर में शिमला सिटी प्राइवेट बस चालक-परिचालक संघ ने अपनी मांगों के समर्थन में आरटीओ कार्यालय के बाहर बसें खड़ी कर दीं और जमकर नारेबाजी की। संघ ने एचआरटीसी द्वारा जारी 18 रूटों की सूची को भ्रामक करार देते हुए हड़ताल का ऐलान किया।

एचआरटीसी ने राहत के लिए 70 अतिरिक्त बसें चलाने का दावा किया है, लेकिन इसका जमीनी असर नगण्य रहा। सुबह के समय निगम की बसें खचाखच भरी रहीं और यात्रियों की लंबी कतारें बस स्टॉपों पर लगी रहीं।

राजधानी में 40 किलोमीटर से अधिक दूरी से आने वाली बड़ी बसों को पुराने बस अड्डे में एंट्री न देने के प्रशासनिक फैसले ने विवाद को और गहरा कर दिया है। शहर के व्यापारियों के बाद अब शिमला नागरिक सभा ने भी परिवहन विभाग को यह निर्णय तुरंत वापस लेने की मांग की है।

शहर में करीब 106 निजी बसें चलती हैं, जिनसे हर दिन हजारों लोग सफर करते हैं। संघ का कहना है कि एचआरटीसी की सूची में शिमला-2 डिपो की कोई भी बस शामिल नहीं की गई, जबकि शिमला-सोलन, चायल-ओध्र, बुधार, खटनोल, डवारू जैसे प्रमुख रूटों की बसें इनसे जुड़ी हैं।

संघ ने वर्ष 2011 की उपायुक्त अधिसूचना का हवाला देते हुए कहा कि अगर नियम लागू करना है, तो 40 किलोमीटर से अधिक दूरी तय करने वाली एचआरटीसी और निजी - दोनों तरह की बसों पर एक समान पाबंदी लगाई जाए।

संघ का आरोप - एकतरफा नीति से भड़के ऑपरेटर

संघ का आरोप है कि एचआरटीसी ने जिन रूटों की सूची जारी की है, उनमें से कई बसें वर्षों से बंद हैं, जबकि अन्य बसें दूसरे डिपो से शिमला भेजी जाती हैं और लोक रूटों पर चलाई जाती हैं। इससे स्थानीय निजी बस ऑपरेटरों के हितों को नुकसान पहुंच रहा है।

प्रशासन ने संभाली कमान, दावा – यात्री नहीं रहेंगे परेशान

एचआरटीसी प्रबंधन ने कहा कि निगम ने 70 अतिरिक्त बसें शहर के भीतर चलाने का निर्णय लिया है ताकि यात्रियों को दिक्कत न हो। लेकिन, सुबह के समय सड़कों पर भीड़ और स्टॉपों पर लगी कतारों ने प्रबंधन के दावों की पोल खोल दी।

शिमला की सड़कों पर आज सरकार और निजी बस ऑपरेटरों के बीच खींचतान का खामियाज़ा जनता ने भुगता। राजधानी की रफ्तार थम गई, और प्रशासनिक निर्णयों को लेकर असंतोष अब खुलकर सड़कों तक पहुंच गया है। अगर जल्द समाधान नहीं निकला तो आने वाले दिनों में स्थिति और बिगड़ सकती है।


 राजधानी शिमला में निजी बस ऑपरेटरों की हड़ताल ने न केवल परिवहन व्यवस्था की पोल खोल दी, बल्कि प्रशासनिक निर्णयों पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। आम जनता, विद्यार्थी और कर्मचारी सड़कों पर परेशान दिखे जबकि समाधान की दिशा में अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। अगर सरकार और बस ऑपरेटरों के बीच जल्द सहमति नहीं बनी, तो आने वाले दिनों में यह संकट और गहराने की आशंका है।

 

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