हिंदू धर्म में नवरात्रि के पर्व का विशेष महत्व होता है। नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ अलग-अलग स्वरुपों की पूजा की जाती है। नवरात्रि में लोग 9 दिनों तक उपवास भी रखते है। किसी भी धार्मिक अनुष्ठान से पहले हिंदू धर्म में कलश की स्थापना की जाती है। नवरात्रि में मां दुर्गा की कलश स्थापना के बाद देवी मां की चौकी स्थापित की जाती है। फिर मां दुर्गा के 9 स्वरूपों की 9 दिनों तक पूजा की जाती है। बता दें कि चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से चैत्र नवरात्रि शुरु हो जाती है। लेकिन इस बार चैत्र नवरात्रि की शुरुआत 8 या 9 अप्रैल से हो रही है इसको लेकर काफी लोग कंफ्यूज है। तो आइये जानते है कब से शुरु हो रही है चैत्र नवरात्रि।
9 अप्रैल से शुरू होगी चैत्र नवरात्रि
बता दें कि हिंदू कैलेंडर के अनुसार इस साल चैत्र माह की प्रतिपदा तिथि 08 अप्रैल 2024 को रात 11 बजकर 50 मिनट से शुरु हो रही है जो 9 अप्रैल को रात 8 बजकर 30 मिनट पर समाप्त होगी। बता दें, हिंदू धर्म में कोई भी त्योहार उदया तिथि के आधार पर मनाई जाती है इसलिए इस बार 09 अप्रैल यानि मंगलवार से चैत्र नवरात्रि शुरु हो रही है। वहीं घटस्थापना का मुहूर्त 9 अप्रैल को सुबह 6 बजकर 02 मिनट से लेकर सुबह 10 बजकर 16 मिनट तक रहेगा। घटस्थापना का अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 57 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 48 मिनट तक रहेगा।
नवरात्रि की तिथि
प्रतिपदा (मां शैलपुत्री): 9 अप्रैल 2024, द्वितीया (मां ब्रह्मचारिणी): 10 अप्रैल 2024, तृतीया (मां चंद्रघंटा): 11 अप्रैल 2024, चतुर्थी (मां कुष्मांडा): 12 अप्रैल 2024, पंचमी (मां स्कंदमाता): 13 अप्रैल 2024, षष्ठी (मां कात्यायनी): 14 अप्रैल 2024, सप्तमी (मां कालरात्रि): 15 अप्रैल 2024, अष्टमी (मां महागौरी): 16 अप्रैल 2024, नवमी (मां सिद्धिदात्री): 17 अप्रैल 2024.
पूजा-विधि : सुबह उठकर स्नान करें और मंदिर साफ करें माता का गंगाजल से अभिषेक करें। अक्षत, लाल चंदन, चुनरी और लाल पुष्प अर्पित करें। प्रसाद के रूप में फल और मिठाई चढ़ाएं। घर के मंदिर में धूपबत्ती और घी का दीपक जलाएं दुर्गा सप्तशती और दुर्गा चालीसा का पाठ करें । पान के पत्ते पर कपूर रख माता की आरती करें। अंत में क्षमा प्राथर्ना करें।
नवरात्रि में इस बार पांच दिव्य राजयोग का महासंयोग बनेगा। गजकेसरी योग, लक्ष्मी नारायण योग, शश राज योग, बुधादित्य योग और मालव्य राजयोग एक साथ बन रहे हैं। चैत्र नवरात्र के पहले दिन सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग का निर्माण हो रहा है। इन दोनों योग का निर्माण सुबह 07 बजकर 32 मिनट से लेकर अगले दिन 10 अप्रैल को सुबह 05 बजकर 06 मिनट तक है। साथ ही चैत्र नवरात्र पर अश्विनी नक्षत्र का भी योग बन रहा है। इन सभी संयोग के बीच मां भगवती की आराधना अति शुभ रहेगी।
नवरात्रों का समापन 17 अप्रैल को होगा। हिंदू नववर्ष की शुरूआत और विक्रम संवत की शुरूआत भी मंगल से ही हो रही है। इसलिए संवत के स्वामी मंगल ही रहेंगे। मंगल की वजह से हिंदू वर्ष काफी अग्रेसिव रहेगा। क्योंकि मंगल साहस, पराक्रम, सेना, प्रशासन, सिद्धांत आदि का कारक ग्रह है। राजा मंगल और मंत्री शनि होने के कारण वर्ष उथल-पुथल भरा रहेगा।
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