संकट में हैंडलूम और हैंडीक्राफ्ट को मंच प्रदान करने वाली हिमबुनकर, 5 शोरूम में लगा ताला, कर्मचारियों का भविष्य दांव पर, पढ़ें पूरी खबर
शिमला: (HD News); हिमबुनकर की डूबती नैया में कर्मचारियों का भविष्य दांव पर लग गया है। हैरानी की बात है कि हिमबुनकर के कर्मचारी 3 वर्षों से बिना बेतन कार्य कर रहे हैं। कर्मचारी जिंदगी के इस मोड़ पर खड़े हैं जहां से वे न तो इस नौकरी को छोड़कर दूसरी जगह भविष्य की तलाश कर सकते हैं। ऐसे में कर्मचारी असमंजस में हैं और सरकार के फैसले का इंतजार कर रहे हैं ताकि उनके परिवार का पालन पोषण ठीक से चल सके।
हिमबुनकर के प्रदेश के मुख्य कार्यालय भुंतर में वर्तमान में 9 कर्मचारी हैं जो 3 वर्षों से यह इंतजार कर रहे हैं कि हिमबुनकर को लेकर सरकार कोई उचित कदम उठाकर अगला रास्ता निकालेगी। इस उम्मीद के साथ कर्मचारी रोज सुबह कार्यालय आते हैं और शाम को घर लौट जाते हैं। हिमबुनकर में तैनात इन 9 कर्मचारियों को अप्रैल, 2022 से वेतन नहीं मिला है।
बिजली-पानी का ही खर्चा
वर्तमान में हालात ये है कि कर्मचारियों को वैतन और भते वर्षों से बंद हैं लेकिन शिमला के शो-रूम से जो आय होती है उससे मुख्य कार्यालय भुंतर की बिजली व पानी का बिल ही भरा जा रहा है।
लिहाजा, शिमला हिमबुनकर कार्यालय बंद होने के बाद हिमबुनकर के पास आय का कोई साधन नहीं बच पाएगा। ऐसे में भुंतर कार्यालय का बिजली व पानी का कनैक्शन भी कट सकता है और कार्यालय में ताला लग जाएगा। जानकारी के अनुसार शिमला स्थित हिमबुनकर के शो-रूम से मासिक करीब 30 हजार रुपए की आय होती हैं जो बिल आदि भरने से में खर्च हो जाते हैं जबकि कर्मचारियों के हिस्से में कुछ नहीं आ रहा है।
रिकॉर्ड के चौकीदार बनकर रह गए कर्मचारी-अधिकारी
हिमबुनकर के मुख्य कार्यालय भुतर का हाल कुछ ऐसा हो गया है कि यहां कच्चे माल की इंडस्ट्री, प्रसाधन कार्यालय के साथ- साथ शो-रूम पूरी तरह बंद हो गया है लेकिन मुख्य कार्यालय खुला है जहां 9 कर्मचारी आते हैं जो हिसबुनकर से संबंधित आय-व्यय और अन्य रिकार्ड के दस्तावेज की रखवाली करने वाले चौकीदार बनकर रह गए है।
सेवानिवृत्त 3 कर्मचारियों के ड्यूज
हिमबुनकर के 16 कर्मचारी थे जिनमें से आधा दर्जन से अधिक कर्मचारी सेवानिवृत्त हो चुके हैं। जब हिमबुनकर की आर्थिक हालात ठीक थी तो सेवानिवृत्ति पर दिए जाने वाले वित्तीय लाभ कुछ कर्मचारियों को दिए जा चुके है लेकिन पिछले 5 वर्षों में सेवानिवृत हुए 3 कर्मचारियों के वित्तीय लाभ देय है। ये बुजुर्ग कर्मचारी अपने वित्तीय लाभ का इंतजार कर रहें है।
हिमबुनकर के महाप्रबंधक डी.सी. वर्मा ने बताया कि हिमबुनकर में आय के साधन सिमट गए है जिस कारण कर्मचारियों को वेतन देने के लिए धन नहीं है। इस संदर्भ में सरकार से कोई उचित कदम उठाने का आग्रह किया गया है। सरकार के अगले कदम और निर्देश का इंतजार किया जा रहा है।
जानकारों के अनुसार कार्यालय में काम कर रहे कर्मचारी और अन्य खर्च को मिलाकर भुंतर कार्यालय का एक महीने का करीब 5 लाख रुपए का खर्चा आता है। लिहाजा कभी करोड़ों का कारोबार करने वाली हिमबुनकर के पास पिछले 3 वर्षों से कर्मचारियों को देने और कार्यालय का खर्चा चलाने के लिए 5 लाख रुपए भी नहीं हैं। ऐसे में हिमबुनकर की डूबती नैया में काम करने वाले कर्मचारियों का भविष्य दांव पर लग गया है।