हिमाचल प्रदेश में विकास के नाम पर राजनीतिक दल सिर्फ वोट बटोरने का काम करते हैं। हर गांव में बिजली, पानी और सड़क और पक्के रास्तों की सुविधा के वादे तो किए जाते हैं, लेकिन चुनाव के बाद ये वादे और जनता दोनों को ही राजनीतिक दल भूल जाते हैं। ऐसा ही एक मामला सोलन जिले के अर्की विधानसभा क्षेत्र से भी सामने आया है। यहां की ग्राम पंचायत लग के डबरोटा गांव में लोग आज भी मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं। हालात ये हैं कि गांव से स्कूल तक पहुंचने के लिए लोगों को जिस रास्ते से होकर गुजरना पड़ता वह रास्ता भी खस्ताहाल है। आजादी के 77 साल बाद भी अर्की विधानसभा क्षेत्र के इस गांव के लिए एम्बुलेंस रोड़ तो दूर कच्चा रास्ता भी नही बन पाया है। पढ़ें विस्तार से..
सोलन: (HD News); देश को आजाद हुए 77 साल बीत चुके हैं। देश डिजिटल इंडिया की तरफ बढ़ रहा है। पर, कुछ क्षेत्र ऐसे हैं, जहां आज भी विकास की किरण नहीं पहुंची है। ऐसा ही हाल अर्की विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत खंड नालागढ की ग्राम पंचायत लग के गाँव डबरोटा का हैं। जहां आजादी के सात दशक बीतने के बाद भी आज तक गांव तक पहुंचने के लिए ढंग का रास्ता तक नहीं है। सरकार और जिले के नुमाइंदे और जनप्रतिनिधि मूलभूत सुविधाएं देने के बड़े बड़े दावे तो जरूर करते हैं पर धरातल पर करते कुछ नहीं।
अर्की विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत खंड नालागढ की ग्राम पंचायत लग के गाँव ऊखू-डबरोटा ग्रामीणों सनू देवी, राजेन्द्र कुमार, बिंता देवी, सुनील कुमार, सर्वतु देवी और रामपाल ने अपने घर के खस्ताहाल रास्ते की वीडियो सोशल मीडिया में शेयर की है। इन्होंने अर्की विधानसभा क्षेत्र के विधायक संजय अवस्थी एवं सरकार तथा जिला प्रशासन से आग्रह किया है कि कृपया हमें रास्ते और एम्बुलेंस सड़क से वंचित नही रखे ! शीघ्र ही उनकी मांग मानी जाए...
स्थानीय निवासी बिंता देवी और सन्नू देवी का कहना है हर बार चुनाव के समय नेताओं के द्वारा पक्के रास्ते व सड़क बनाने का आश्वासन दिया जाता है, लेकिन चुनावों के बाद कोई भी नेता गांव की तरफ नहीं देखता है। डबरोटा निवासी सनू देवी ने हिमदर्शन समाचार को बताया कि पैदल चलने वाले रास्ते की हालत बहुत खराब है बच्चों को स्कूल भेजना मुश्किल हो गया है। उनकी पढ़ाई प्रभावित हो रही है। वहीं, अगर गांव में कोई बीमार हो जाए, तो उसे कंधों पर या पालकी में उठा कर मुख्य सड़क तक ले जाने तक का रास्ता नही है। आजादी के 77 साल बीत जाने के बाद भी ग्रामीण गांव तक सड़क सुविधा न होने का दंश झेल रहे हैं। उन्होंने बताया कि ग्रामीणों ने पंचायत प्रतिनिधियों, प्रशासन और विभाग को इसके बारे में कई बार अवगत करवाया, लेकिन स्थिति जस की तस बनी रही।
स्थानीय निवासी बिंता देवी और सन्नू का कहना है हर बार चुनाव के समय नेताओं के द्वारा पक्के रास्ते व सड़क बनाने का आश्वासन दिया जाता है, लेकिन चुनावों के बाद कोई भी नेता गांव की तरफ नहीं देखता है। डबरोटा निवासी सनू देवी ने हिमदर्शन समाचार को बताया कि पैदल चलने वाले रास्ते की हालत बहुत खराब है बच्चों को स्कूल भेजना मुश्किल हो गया है। उनकी पढ़ाई प्रभावित हो रही है। वहीं, अगर गांव में कोई बीमार हो जाए, तो उसे कंधों पर या पालकी में उठा कर मुख्य सड़क तक ले जाने में मुशिकलों का सामना करना पड़ रहा है। सनू देवी का बताया कि उन्होंने पंचायत प्रतिनिधियों, प्रशासन, विभाग और स्थानीय नेताओं को इसके बारे में कई बार अवगत करवाया, लेकिन स्थिति जस की तस बनी हुई।
ग़ौरतलब है कि लग पंचायत के डबरोटा गांव तक सड़क का निर्माण तो दूर पैदल चलने के लिए ढंग का रास्ता तक नही है। सड़क और रास्ते के अभाव में ग्रामीणों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इस गांव के लोग टूटी-फूटी पगडंडियों के सहारे छोटे छोटे बच्चों को स्कूल तक पहुंचने को मजबूर है। जहां एक तरफ सरकार हर गांव के विकास के लिए योजनाओं का पिटारा खोल रही हैं लेकिन इस गांव की जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है। यहां के लोग आज भी मूलभूत सुविधाओं से कोसों दूर हैं।