झारखंड विधान सभा की लोक उपक्रम समिति के सदस्यों ने हिमाचल प्रदेश विधान सभा का दौरा किया और अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानियां से शिष्टाचार भेंट की। इस अवसर पर दोनों राज्यों के विधायी कार्यों, ऐतिहासिक महत्व और डिजिटल पहलों पर विचार-विमर्श किया गया।
शिमला, 3 जून 2025: (HD News); झारखंड विधान सभा की लोक उपक्रम समिति हिमाचल प्रदेश के पांच दिवसीय अध्ययन प्रवास पर शिमला पहुँची। मंगलवार को अपराह्न 12:30 बजे समिति हिमाचल प्रदेश विधान सभा सचिवालय पहुँची, जहाँ समिति ने विधान सभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानियां से शिष्टाचार भेंट की। इस दौरान दोनों राज्यों के बीच विधायी कार्यप्रणालियों, ऐतिहासिक विरासत और डिजिटल पहलुओं को लेकर विचार-विमर्श हुआ।
झारखंड विधान सभा की लोक उपक्रम समिति का नेतृत्व सभापति नीरल पूर्ति कर रहे हैं। समिति में माननीय सदस्य राजेश कछप, संजीव सरदार और अमित यादव भी शामिल हैं। हिमाचल आगमन पर सभी सदस्यों का गर्मजोशी से स्वागत किया गया। विधान सभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानियां ने हिमाचली परंपरा के अनुसार समिति सदस्यों को टोपी, शॉल और मफलर पहनाकर स्वागत किया।

हिमाचल विधान सभा का ऐतिहासिक परिचय
विधान सभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानियां ने बैठक के दौरान समिति को अवगत करवाया कि हिमाचल प्रदेश विधान सभा का भवन — जिसे कौंसिल चैम्बर के नाम से जाना जाता है — एक ऐतिहासिक धरोहर है। यह भवन 1920 से 1925 के बीच 10 लाख रुपये की लागत से निर्मित किया गया था और इसे देश की प्रथम राष्ट्रीय असेंबली का दर्जा प्राप्त है।
उन्होंने बताया कि 1925 में स्वराज पार्टी के विठ्ठल भाई पटेल ने ब्रिटिश प्रतिनिधि फ्रेडरिक वाईट को हराकर इस सदन के प्रथम चेयरमैन बनने का गौरव प्राप्त किया था। उस समय अध्यक्ष की सीट पर रखी गई टिक की बनी हुई कुर्सी तत्कालीन बर्मा की सरकार द्वारा बर्तानिया सरकार को उपहार स्वरूप दी गई थी, जो आज भी ज्यों की त्यों सुरक्षित रखी गई है; केवल इसकी कैनोपी को बदला गया है।
ई-विधान मॉडल की हिमाचल में पहल
अध्यक्ष पठानियां ने जानकारी दी कि हिमाचल प्रदेश देश की पहली ई-विधान सभा है, जिसकी शुरुआत 4 अगस्त, 2014 को हुई थी। इस मॉडल को देश के 22 से अधिक राज्यों ने अपनाया है। उन्होंने बताया कि अब हिमाचल प्रदेश ने राष्ट्रीय ई-विधान (NeVA) प्लेटफॉर्म को भी अपनाकर डिजिटल इंडिया अभियान को और गति प्रदान की है।
ऐतिहासिक घटनाओं का गवाह रहा है यह सदन
अध्यक्ष ने यह भी बताया कि यह सदन ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ और ‘महिलाओं को मताधिकार’ जैसे ऐतिहासिक प्रस्तावों का साक्षी रहा है। शिमला को भारत की ग्रीष्मकालीन राजधानी के रूप में भी जाना जाता रहा है और 2 जुलाई 1972 को यहीं स्थित राजभवन में भारत-पाकिस्तान के बीच प्रसिद्ध शिमला समझौता पर हस्ताक्षर हुए थे।
झारखंड विधान सभा की जानकारी भी साझा
झारखंड विधान सभा की लोक उपक्रम समिति के सभापति नीरल पूर्ति ने बताया कि झारखंड विधान सभा में कुल 81 सदस्य हैं और झारखंड देश के कुल खनिज संसाधनों का 40 प्रतिशत हिस्सा प्रदान करता है। इसमें सोना, हीरा, यूरेनियम और बॉक्साइट जैसी महत्वपूर्ण धातुएँ शामिल हैं। उन्होंने झारखंड विधान सभा की कार्यप्रणाली, क्रियाकलापों और सदस्यों को मिलने वाली सुविधाओं के बारे में भी विस्तृत जानकारी साझा की। इस अवसर पर हिमाचल प्रदेश विधान सभा के सचिव यशपाल शर्मा भी उपस्थित रहे।
हिमाचल और झारखंड विधान सभाओं के बीच यह संवादात्मक बैठक न केवल संसदीय परंपराओं के आदान-प्रदान का माध्यम बनी, बल्कि डिजिटल इंडिया की दिशा में ई-विधान प्रणाली को अपनाने जैसे साझा प्रयासों को भी रेखांकित करती है। इस भेंट से दोनों राज्यों को विधायी प्रणाली में सुधार और नवाचारों को समझने का अवसर मिला।