हिमाचल की पंचायतें अब विकास की नहीं, भ्रष्टाचार की प्रयोगशाला बनती जा रही हैं। जनता की गाढ़ी कमाई को कैसे मोटरसाइकिल और फर्जी बिलों के जरिए चूसकर ठेकेदारों की जेब में भरा जा रहा है, इसका ताजा और चौंकाने वाला उदाहरण सिरमौर की रामपुर भारापुर पंचायत में सामने आया है। RTI से खुलासा हुआ है कि किस तरह नियमों और तर्कों की धज्जियाँ उड़ाकर एक बाइक को "ट्रक" बना दिया गया और उस पर टनों रोड़ी-रेत ढोने की झूठी एंट्री कर सरकारी खजाने को लूट लिया गया। ये सिर्फ एक मामला नहीं, बल्कि हिमाचल की पंचायत व्यवस्था के भीतर सड़ चुके उस तंत्र का पर्दाफाश है, जिसे सत्ताधारी दलों का संरक्षण प्राप्त है। सवाल यह नहीं कि यह कैसे हुआ, सवाल यह है कि अब तक कोई जेल क्यों नहीं गया ? पढ़ें विस्तार से..
शिमला: (HD NEWS); हिमाचल प्रदेश में पंचायतों में भ्रष्टाचार के मामलों की परतें लगातार खुलती जा रही हैं। इस बार जो घोटाला सामने आया है, वह न केवल हास्यास्पद है, बल्कि सिस्टम को चुनौती देने वाला भी है। चौपाल से भाजपा विधायक और प्रदेश प्रवक्ता बलबीर सिंह वर्मा ने सिरमौर जिले की रामपुर भारापुर पंचायत में ऐसे घोटाले का भंडाफोड़ किया है, जिसे सुनकर आम आदमी चौंक जाए। RTI से मिले दस्तावेजों में सामने आया है कि पंचायत ने बाइक और छोटी गाड़ियों पर "टन के हिसाब से" रेत-बजरी ढोई दिखाकर सरकारी खजाने से मोटी रकम ठेकेदारों को बांटी है।
भाजपा विधायक बलबीर सिंह वर्मा ने आरटीआई के दस्तावेजों का हवाला देते हुए कहा कि सिरमौर जिले की रामपुर भारापुर पंचायत में भ्रष्टाचार ने नए रिकॉर्ड कायम किए हैं। एक मोटरसाइकिल HP-71-5062 से दो फेरों में 17.80 मीट्रिक टन और HP-71-6233 से दो चक्कर में 8 मीट्रिक टन रेता और रोड़ी ढुलाई दर्शाई गई है। और ये कोई मज़ाक नहीं है, बल्कि RTI से प्राप्त आधिकारिक दस्तावेज़ों में दर्ज तथ्य हैं।

इतना ही नहीं, HP-71-4878 नंबर की 945 किलोग्राम की क्षमता वाली छोटी गाड़ी से 21.70 मीट्रिक टन रोड़ी की ढुलाई दिखाई गई है। यह सिर्फ आंकड़ों की बाज़ीगरी नहीं, बल्कि सरकारी धन की खुली लूट है।
बलबीर वर्मा ने आगे बताया कि एक ही ठेकेदार के नाम पर दो बिल - बिल संख्या 152 और 154 - बिल्कुल एक जैसे हैं, जिनमें समान सामग्री भेजी गई और दोनों का भुगतान भी कर दिया गया। यानी एक घोटाले को दो बार कैश किया गया !
सीमेंट ढुलाई दरों में भी बड़ा घपला सामने आया है। वर्ष 2022 में सीमेंट की ढुलाई दर ₹2998 प्रति यूनिट थी, जबकि 2024 में वही काम ₹1534 में दर्शाया गया है। जहां देश में महंगाई आसमान छू रही है, वहां दरें आधी कैसे हो गईं ? यह सवाल सरकार की नीयत और भ्रष्टाचार में उसकी भूमिका को कटघरे में खड़ा करता है।
यह केवल एक पंचायत की कहानी नहीं है, बल्कि पूरे सिस्टम में फैले भ्रष्टाचार की गूंज है। आरटीआई से निकला यह खुलासा सरकार की आंखें खोलने के लिए काफी है। विधायक बलबीर वर्मा की मांग है कि इस गंभीर और सुनियोजित घोटाले की उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए, जिसमें न्यायपालिका और वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी शामिल हों। यदि समय रहते इस पर कार्रवाई नहीं की गई तो यह भ्रष्टाचार का कैंसर पूरे राज्य की जड़ों को खोखला कर देगा।
