लीलों का बास (विराटनगर), राजस्थान — एक दिल दहला देने वाली घटना में, माँ की मृत्यु के बाद बेटा उसके चांदी के कड़े मांगने की ज़िद पर इतना अड़ गया कि अंतिम संस्कार तक रोक दिया। मामला विराटनगर क्षेत्र के लीलों का बास गांव का है, जहाँ विरासत को लेकर बेटे ने चिता पर ही लेट कर हंगामा कर दिया। इस घटना ने केवल परिवार को नहीं, बल्कि पूरे गांव और समाज को झकझोर दिया। जहाँ भावनाएं सर्वोपरि होनी चाहिए थीं, वहाँ स्वार्थ ने सबसे ऊपर स्थान ले लिया। क्या संपत्ति का मोह अब रिश्तों से बड़ा हो गया है? क्या है पूरा मामला पढ़ें ..
जयपुर ज़िले के विराटनगर क्षेत्र के लीलों का बास गांव से आई घटना ने इंसानियत की नींव को हिला कर रख दिया। माँ की मृत्यु के बाद बेटा चांदी के कड़ों की मांग को लेकर इतना उत्तेजित हो गया कि चिता को आग देने से पहले ही झगड़ा शुरू हो गया। बात यहाँ तक बढ़ गई कि बेटा चिता पर ही लेट गया और जोर देने लगा: “पहले बंटवारा करो, फिर संस्कार।”
इस लिंक पर क्लिक करे देखें Video 👇
“जयपुर के पास बेटे ने माँ की चिता पर मचाया हंगामा: चांदी के कड़ों के लिए अंतिम संस्कार रुका” देखें वीडियो
जयपुर ज़िले के विराटनगर क्षेत्र के लीलों का बास गांव में एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जिसने समाज की संवेदनाओं और पारिवारिक मूल्यों पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। एक बेटे ने अपनी माँ के चांदी के कड़े मांगते हुए अंतिम संस्कार को रोक दिया और चिता पर ही लेट गया।
क्या है पूरा मामला?
गांव की एक वृद्ध महिला का हाल ही में निधन हुआ था। परिवारजन चिता सजाकर अंतिम संस्कार की तैयारी कर रहे थे। तभी महिला का बेटा — जो पहले से संपत्ति को लेकर विवाद कर चुका था — वहां पहुंचा और माँ के हाथों में पहने चांदी के कड़े अपनी हिस्सेदारी का दावा करते हुए मांगने लगा।

परिवार ने समझाने की कोशिश की, लेकिन मामला बढ़ता चला गया। स्थिति तब और भयावह हो गई जब बेटे ने खुद चिता पर लेटकर अंतिम संस्कार रोक दिया और कहा — "जब तक बंटवारा नहीं होगा, चिता को आग नहीं दी जाएगी!"
गांव में फैला तनाव
घटना की सूचना मिलते ही आसपास के ग्रामीण और रिश्तेदार एकत्र हो गए। मौके पर काफी तनावपूर्ण स्थिति बन गई। कई बुजुर्गों और पंचायत प्रतिनिधियों ने बीच-बचाव किया, जिसके बाद काफी देर में जाकर बेटे को चिता से हटाया गया और माँ का अंतिम संस्कार किया गया।
भावनाएं शर्मसार, मर्यादा तार-तार
जहाँ परिजन और गांव वाले माँ को अंतिम विदाई देने आए थे, वहां संपत्ति और गहनों को लेकर हुआ हंगामा सबको असहज कर गया। कई ग्रामीणों ने कहा कि उन्होंने पहली बार देखा कि कोई बेटा अपनी माँ के अंतिम संस्कार को रोककर चिता पर लेट गया हो।

समाज के लिए चेतावनी
यह घटना केवल एक परिवार की कहानी नहीं है, यह उस सोच का आईना है जहाँ विरासत, संपत्ति और गहनों का लालच रिश्तों, संस्कारों और संवेदनाओं पर हावी होता जा रहा है।
इस प्रकार की घटनाएं केवल कानून नहीं, बल्कि मानवता और नैतिक मूल्यों की जागरूकता से ही रोकी जा सकती हैं।
माँ, जिसने जीवन भर बच्चों के लिए कष्ट सहे, उसके अंतिम संस्कार से पहले उसकी विरासत पर विवाद ? यह घटना केवल एक पारिवारिक कलह नहीं है — यह उस नैतिक पतन और संवेदनहीनता की जीवंत मिसाल है, जिसमें आज का समाज डूबता जा रहा है।
गाँव के लोगों की मदद से किसी तरह मामला शांत हुआ, लेकिन अंतिम संस्कार तब हुआ जब रिश्तों की गरिमा, संवेदना और मर्यादा पहले ही जल चुकी थीं।
क्या इंसान वाकई इतने नीचे गिर चुका हैं?क्या अब माँ की चिता भी हमें रोक नहीं पाती — अपनी लालसा का प्रदर्शन करने से?
यह केवल एक परिवार का मामला नहीं है। यह एक सामूहिक सामाजिक चेतावनी है — कि हमें संभलना होगा, वरना कल यही दृश्य हर घर की दहलीज़ पर दस्तक दे सकता है।