29 मई 2025 का दिन आध्यात्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से अत्यंत शुभ और विशेष है। आज जहां एक ओर रम्भा तृतीया व्रत का पर्व मनाया जा रहा है, वहीं राष्ट्रवीर महाराणा प्रताप की जयंती भी पूरे श्रद्धाभाव से मनाई जा रही है। ज्योतिषीय गणनाओं के अनुसार, आज का दिन तिथि, नक्षत्र, योग और करण के हिसाब से कई शुभ संयोग लेकर आया है। साथ ही, राहुकाल, गुलिक काल, अमृत काल जैसे अशुभ व शुभ समयों की जानकारी के साथ आज का दिन धार्मिक अनुष्ठानों, पूजा-पाठ और शुभ कार्यों के लिए उपयुक्त अवसर प्रदान करता है।
पंचांग : राष्ट्रीय मिति ज्येष्ठ 08, शक संवत 1947, ज्येष्ठ, शुक्ला, तृतीया, बृहस्पतिवार, विक्रम संवत् 2082। सौर ज्येष्ठ मास प्रविष्टे 16, जिल्हिजा 01, हिजरी 1446 (मुस्लिम) तदनुसार अंग्रेजी तारीख 29 मई सन् 2025 ई॰। सूर्य उत्तरायण, उत्तर गोल, ग्रीष्म ऋतुः। राहुकाल अपराह्न 01 बजकर 30 मिनट से 03 बजे तक। तृतीया तिथि रात्रि 11 बजकर 19 मिनट तक उपरांत चतुर्थी तिथि का आरंभ।

आद्र्रा नक्षत्र रात्रि 10 बजकर 39 मिनट तक उपरांत पुनर्वसु नक्षत्र का आरंभ। शूल योग अपराह्न 03 बजकर 47 मिनट तक उपरांत उपरांत गण्ड योग का आरंभ। तैतिल करण मध्याह्न 12 बजकर 37 मिनट तक उपरांत वणिज करण का आरंभ। चन्द्रमा दिन रात मिथुन राशि पर संचार करेगा।
आज के व्रत त्योहार रम्भा तृतीया व्रत, महाराणा प्रताप जयंती।
सूर्योदय का समय 29 मई 2025 : सुबह में 5 बजकर 24 मिनट तक।
सूर्यास्त का समय 29 मई 2025 : शाम में 7 बजकर 12 मिनट पर
आज का शुभ मुहूर्त 29 मई 2025 :
ब्रह्म मुहूर्त 4 बजकर 3 मिनट से 4 बजकर 44 मिनट तक। विजय मुहूर्त दोपहर 2 बजकर 37 मिनट से 3 बजकर 32 मिनट तक रहेगा। निशिथ काल मध्य रात्रि रात में 11 बजकर 58 मिनट से 12 बजकर 39 मिनट तक। गोधूलि बेला शाम में 7 बजकर 12 मिनट से 7 बजकर 32 मिनट तक।
आज का अशुभ मुहूर्त 29 मई 2025 :
दोपहर में 1 बजकर 30 मिनट से 3 बजे तक राहुकाल रहेगा। सुबह में 9 बजे से 10 बजकर 30 मिनट तक गुलिक काल रहेगा। सुबह में 6 बजे से 7 बजकर 30 मिनट तक यमगंड रहेगा। अमृत काल का समय सुबह में 5 बजकर 24 मिनट से 7 बजकर 8 मिनट तक। दुर्मुहूर्त काल सुबह में 10 बजकर 1 मिनट से 10 बजकर 56 मिनट तक।
आज का उपाय : आज केले पेड़ की 5 बार परिक्रमा करें और नीचे बैठकर ओम बृं बृहस्पतये नमः मंत्र का 108 बार जप करें।
इस प्रकार 29 मई 2025 को ग्रह-नक्षत्रों की शुभ स्थिति और व्रत-त्योहारों की महत्ता के कारण दिन विशेष बन गया है। रम्भा तृतीया व्रत और महाराणा प्रताप जयंती जैसे पर्व न केवल धार्मिक आस्था को प्रबल करते हैं, बल्कि सांस्कृतिक चेतना को भी जीवंत बनाए रखते हैं। शुभ मुहूर्त में पूजन और आज बताए गए उपायों को करने से आध्यात्मिक लाभ और मानसिक शांति प्राप्त हो सकती है। आइए, हम इस पावन दिन का सदुपयोग करें और श्रद्धा, भक्ति व संयम के साथ अपने जीवन को सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ाएं।
डिस्क्लेमर: इस लेख में प्रस्तुत समस्त जानकारी, ज्योतिषीय गणनाएं एवं सामग्री विभिन्न पंचांगों, ज्योतिष शास्त्रों, धार्मिक ग्रंथों, विशेषज्ञों के मतों एवं सार्वजनिक स्रोतों से संकलित की गई है। यह केवल सामान्य सूचना देने के उद्देश्य से प्रकाशित की गई है। इसकी पूर्णतः शुद्धता, सटीकता या विश्वसनीयता की कोई गारंटी नहीं दी जाती। पाठक किसी भी निर्णय या विश्वास के लिए स्वयं उत्तरदायी होंगे। हमारा उद्देश्य किसी प्रकार की मान्यता थोपना नहीं, बल्कि जानकारी उपलब्ध कराना मात्र है।