हिमाचल प्रदेश की देवभूमि में आस्था और परंपरा की जड़ें जितनी गहरी हैं, उतनी ही बुनियादी सुविधाओं की अपेक्षा भी स्वाभाविक है। लेकिन जब श्रद्धालुओं को अपने तीर्थस्थल तक पहुंचने के लिए जान जोखिम में डालनी पड़े, तो यह सिर्फ एक प्रशासनिक चूक नहीं, बल्कि जनभावनाओं के साथ सीधा अन्याय बन जाता है। बाड़ीधार मेला, जहां हर वर्ष हजारों श्रद्धालु आषाढ़ संक्रांति के पावन पर्व पर एकत्रित होते हैं, इस वर्ष एक बड़ी चुनौती के दौर से गुजर रहा है और वह है सरयांज से बाड़ीधार तक की खस्ताहाल सड़क। जहां एक ओर प्रदेश भर से श्रद्धालु इस पर्व में शामिल होने की तैयारी कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर टूटी-फूटी सड़कों, गड्ढों और अधूरी मरम्मत ने उनकी सुरक्षा और यात्रा को खतरे में डाल दिया है। अब सवाल यह है: क्या प्रशासन समय रहते जागेगा, या इस बार भी श्रद्धा को अनदेखी की धूल में दबा दिया जाएगा ? पढ़ें पूरी खबर..
सोलन/अर्की: हिमाचल प्रदेश के सोलन ज़िले की अर्की तहसील स्थित बाड़ीधार, जहां हर वर्ष आषाढ़ महीने की संक्रांति पर पांच पांडवों के मिलन के उपलक्ष्य में विशाल मेला आयोजित होता है, आज बुनियादी सुविधाओं की घोर अनदेखी का शिकार बन रहा है। इस ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल तक पहुंचने वाली सरयांज से बाड़ीधार सड़क की स्थिति इतनी खराब हो चुकी है कि श्रद्धालुओं की यात्रा न केवल असुविधाजनक, बल्कि जानलेवा भी बन सकती है।
🚧 सड़क या जोखिम भरा रास्ता ?
बाड़ीधार मार्ग पर जगह-जगह बड़े-बड़े गड्ढे और टूटे हुए हिस्से सड़क की दुर्दशा बयां करते हैं। क्षेत्रवासियों के अनुसार, इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है कि इन गड्ढों को तारकोल से पैच करने के बजाय सिर्फ मिट्टी से भरा जा रहा है, जो किसी भी मामूली बारिश में बह जाएगी। ऐसे में संक्रांति के दिन जब हजारों श्रद्धालु इस मार्ग से गुजरेंगे, तो दुर्घटनाओं की संभावनाएं कई गुना बढ़ जाएंगी।
🌧️ बारिश बनी सकती है बड़ी चुनौती
हिमाचल की पहाड़ी जलवायु में जून-जुलाई की बारिश आम बात है। यदि इस दौरान सड़क की हालत यूं ही बनी रही, तो यह मार्ग पूरी तरह से वाहन-योग्य नहीं रहेगा। महिलाओं, बुजुर्गों, और पैदल यात्रा कर रहे श्रद्धालुओं को इस मार्ग पर भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है।
🛕 मेला: आस्था का केंद्र
हर वर्ष आषाढ़ संक्रांति पर आयोजित होने वाला बाड़ीधार मेला धार्मिक आस्था, लोक संस्कृति और सामाजिक समरसता का प्रतीक है। दूर-दराज से लोग पैदल चलकर यहां पहुंचते हैं, विशेषकर अर्की तहसील की 26 पंचायतों के लगभग 212 गांवों से श्रद्धालु इस आयोजन में भाग लेते हैं। लेकिन जब इस मार्ग पर चलना ही जानलेवा हो जाए, तो श्रद्धा भी प्रशासन की उदासीनता से आहत होती है।
🙏 जनता की मांग – प्रशासन करे तुरंत कार्रवाई
स्थानीय निवासियों, पंचायत प्रतिनिधियों और सामाजिक संगठनों ने लोक निर्माण विभाग (PWD) से आग्रह किया है कि बाड़ीधार मेले से पूर्व इस सड़क की स्थायी मरम्मत की जाए, न कि केवल औपचारिक खानापूर्ति। यह मार्ग केवल मिट्टी डालने से सुरक्षित नहीं होगा। यह पक्के रिपेयर और तारकोलिंग की मांग करता है।
🔍 यह सिर्फ सड़क नहीं, श्रद्धा और जीवन का मार्ग
बाड़ीधार मेला केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, लाखों लोगों की भावनाओं और आस्थाओं का केंद्र है। ऐसी स्थिति में सड़क जैसी बुनियादी जरूरत की अनदेखी न केवल श्रद्धालुओं को असुविधा में डालती है, बल्कि प्रशासन की जवाबदेही पर भी गंभीर सवाल उठाती है। श्रद्धा का यह मार्ग सुरक्षित न रहा तो यह सिर्फ लापरवाही नहीं, बल्कि आस्था के साथ खुला खिलवाड़ है।
बता दें कि सरयांज से बाड़ीधार सड़क की मौजूदा स्थिति प्रशासनिक लापरवाही का जीवंत उदाहरण बन चुकी है। श्रद्धालुओं की आस्था और उनकी सुरक्षा दांव पर है। समय रहते अगर सुनियोजित और ठोस कार्रवाई नहीं की गई, तो एक धार्मिक आयोजन भारी अव्यवस्था और दुर्घटनाओं का कारण बन सकता है। लोक निर्माण विभाग से निवेदन है कि बिना किसी देरी के इस मार्ग को सुरक्षित और सुलभ बनाया जाए। 