हर वर्ष जून माह में हिमाचल प्रदेश का एक शांत, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक धरोहर से भरा देवस्थान "बाड़ीधार" आस्था के रंग में रंग जाता है। बाड़ेश्वर महादेव और पाँच पांडवों की पावन स्थली बाड़ीधार में आयोजित होने वाला मेला न केवल धार्मिक भावनाओं का प्रतीक है, बल्कि यह क्षेत्र की समृद्ध लोकसंस्कृति, परंपराओं और सामाजिक समरसता का भी अद्भुत उत्सव है। इस वर्ष यह मेला 14 व 15 जून 2025 को आयोजित किया जा रहा है। पढ़ें विस्तार से..
बाड़ीधार मेला: आस्था, परंपरा और लोकसंस्कृति का जीवंत संगम
“जय बाड़ेश्वर महादेव”, “जय पाँच पांडव” - यह नारा सिर्फ एक उद्घोष नहीं, बल्कि उस आस्था की अभिव्यक्ति है जो पीढ़ियों से हिमाचल के हृदयस्थली बाड़ीधार में समाहित है। जैसे ही जून का महीना दस्तक देता है, पूरे क्षेत्र में बाड़ीधार मेले की तैयारियां एक उत्सव का रूप लेने लगती हैं। और इस वर्ष भी, परंपरा को जीवंत रखते हुए 14 व 15 जून 2025 को यह भव्य मेला आयोजित होने जा रहा है।
यह आयोजन न केवल धार्मिक विश्वास का प्रतीक है, बल्कि लोकसंस्कृति, सामाजिक एकता और सामुदायिक भागीदारी का भी अनुपम उदाहरण बन चुका है। बाड़ीधार, डाकघर सरयांज, तहसील अर्की, जिला सोलन - यह स्थल अब केवल एक गांव नहीं, एक सांस्कृतिक केंद्र बन चुका है, जहां वर्ष में एक बार देवता स्वयं अपने भक्तों से मिलने आते हैं।

15 जून 2025 को बाड़ीधार में होगा देव मिलन ..
इस बार भी शनिवार 14 जून को रात्रि जागरण और रविवार 15 जून को देव मिलन का आयोजन होगा। जागरण की रात बाड़ेश्वर महादेव के भजन, कीर्तन और श्रद्धा के गीतों से गूंज उठेगी, वहीं देव मिलन का दृश्य लोक मान्यताओं के अनुसार साक्षात देव उपस्थिति का अनुभव कराता है।
यह मेला मात्र धार्मिक उत्सव नहीं है यह अवसर है समाज के हर वर्ग को जोड़ने का, अपनी जड़ों से फिर से जुड़ने का और उन परंपराओं को संजोने का जो आधुनिकता की दौड़ में कहीं छूटती जा रही हैं।
आज के समय में जब गांव, संस्कृति और रिश्ते पीछे छूट रहे हैं, बाड़ीधार मेला हमें याद दिलाता है कि हमारी असली शक्ति हमारी आस्था, एकता और विरासत में है। यह मेला एक पुकार है अपने गांव लौटने की, अपनी मिट्टी से जुड़ने की।
🧾 निवेदन
देव भूमि हिमाचल के समस्त श्रद्धालुओं और क्षेत्रवासियों से आग्रह है कि वे इस पावन अवसर पर परिवार सहित पधारें और बाड़ेश्वर महादेव के दर्शन कर पुण्य लाभ प्राप्त करें।
✍️ निवेदक: समस्त बाड़ीधार निवासी
बाड़ीधार मेला एक पारंपरिक आयोजन मात्र नहीं, बल्कि यह हमारी जड़ों से जुड़ने, अपनी आस्था को जीवंत रखने और समाज में सामूहिकता का भाव जगाने का पर्व है। यह आयोजन आज की पीढ़ी को यह सिखाता है कि तकनीक और आधुनिकता के बीच भी हमारी संस्कृति और परंपराएं हमारे जीवन की आत्मा हैं। ऐसे आयोजनों में भाग लेना न केवल धार्मिक लाभ देता है, बल्कि यह हमारे समाज के मूल्यों को संरक्षित रखने की दिशा में एक सशक्त कदम भी है।
