हिमाचल प्रदेश के कृषि एवं पशुपालन मंत्री चंद्र कुमार ने शिक्षा और स्वास्थ्य विभाग में सक्रिय ट्रांसफर माफिया पर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि नीरज भारती की नाराजगी ट्रांसफर को लेकर थी लेकिन इस्तीफे की जरूरत नहीं पड़ी, क्योंकि मुख्यमंत्री से बातचीत के बाद मामला सुलझा लिया गया है।
शिमला: मंत्री चंद्र कुमार ने कहा कि प्रदेश में ट्रांसफर और एडजस्टमेंट को कुछ लोगों और कार्यकर्ताओं ने 'पेशा' बना लिया है, जिससे सरकार की छवि खराब हो रही है। खासकर शिक्षा विभाग में तो हालात बेहद गंभीर हैं, जहां ट्रांसफर माफिया सक्रिय हैं और विभाग "पिंडौरा बॉक्स" बन चुका है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री को इस पर सख्त लगाम लगानी चाहिए।
उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि उनके स्वयं के विधानसभा क्षेत्र में भी कुछ कार्यकर्ता ट्रांसफर के काम में लगे हुए हैं। ऐसे कार्यकर्ताओं की प्राथमिकता जनसेवा नहीं बल्कि ट्रांसफर के जरिए लाभ लेना है। चंद्र कुमार ने बताया कि कई बार ट्रांसफर पॉलिसी बनाने की बात हुई लेकिन अब तक कोई ठोस नीति लागू नहीं हो पाई है।
नीरज भारती द्वारा इस्तीफे की बात कहे जाने पर चंद्र कुमार ने कहा कि यह नाराजगी ट्रांसफर माफिया को लेकर थी, लेकिन मुख्यमंत्री से बातचीत में मामला शांतिपूर्वक हल हो गया है।
"प्रदेश में ट्रांसफर को पेशा बना लिया गया है। शिक्षा विभाग ट्रांसफर का पिंडौरा बॉक्स बन गया है।"— चंद्र कुमार, कृषि एवं पशुपालन मंत्री

आपदा राहत पर भी केंद्र को घेरा:
इसके साथ ही चंद्र कुमार ने वर्ष 2023 की प्राकृतिक आपदा को लेकर केंद्र सरकार द्वारा दी गई 2006 करोड़ की राहत राशि को “ऊंट के मुंह में जीरा” बताया। उन्होंने कहा कि नुकसान का जो आंकलन किया गया था, उसकी तुलना में यह राशि बहुत ही कम है।
"केंद्र की राहत राशि ऊंट के मुंह में जीरा है। राज्य को इससे कहीं अधिक सहायता की जरूरत थी।"— चंद्र कुमार, कृषि एवं पशुपालन मंत्री
डिस्क्लेमर:- यह समाचार कृषि एवं पशुपालन मंत्री चंद्र कुमार के सार्वजनिक बयानों और प्रेस ब्रीफिंग पर आधारित है। इसमें व्यक्त किए गए विचार संबंधित व्यक्ति के निजी विचार हैं। "himdarshan.com" किसी भी प्रकार की राजनीतिक या व्यक्तिगत टिप्पणी की पुष्टि नहीं करता। समाचार का उद्देश्य मात्र सूचना प्रदान करना है।