जब बैंकों के वसूली एजेंट आम लोगों के घर तक पहुंचकर डराने, धमकाने और उत्पीड़न पर उतर आएं - तो यह सिर्फ कानून का नहीं, मानवता का भी सीधा उल्लंघन है। भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने साल 2008 में ही साफ कर दिया था कि यदि वसूली एजेंटों को लेकर शिकायतें मिलती हैं, तो संबंधित बैंक की एजेंसी पर प्रतिबंध लगाया जा सकता है। फिर आज 2025 में भी वही गुंडागर्दी क्यों? क्या RBI के निर्देशों को ताक पर रख दिया गया है? क्या बैंकों के सामने कानून बौना पड़ गया है? अब वक्त आ गया है कि इस गंभीर सवाल का जवाब लिया जाए और लोन वसूली के नाम पर हो रहे उत्पीड़न पर देशव्यापी बहस शुरू हो।
नई दिल्ली : (HD News); देश में बैंकों और उनके एजेंटों की बेलगाम वसूली कार्रवाई अब सिर्फ बैंकिंग नीति का सवाल नहीं रही, यह अब आम नागरिक की गरिमा, अधिकार और जीवन सुरक्षा का प्रश्न बन चुकी है। लोन वसूली के नाम पर उत्पीड़न की घटनाएं अब आए दिन सामने आ रही हैं, जिनमें महिलाओं को धमकाना, बुजुर्गों को तंग करना और ग्राहकों की सामाजिक प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाना आम बात हो गई है। क्या यही है बैंकिंग प्रणाली का चेहरा? क्या यही है डिजिटल भारत और आर्थिक न्याय की कल्पना?
जब सरकार और संसद चेतावनी दे चुके हैं, तो क्यों नहीं सुधर रहे बैंक ?
लोकसभा के हालिया सत्र में स्वयं केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने माना कि उन्हें लोन वसूली के नाम पर बैंकों और एजेंटों की अमानवीय हरकतों की ढेरों शिकायतें मिली हैं। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा -
"सरकार ने सभी सार्वजनिक और निजी बैंकों को निर्देश दिए हैं कि वे ऋण वसूली के मामलों को मानवीय और संवेदनशील तरीके से हैंडल करें। कठोर और बर्बर कदम उठाने से बचें।"
तो अब सवाल उठता है
जब खुद वित्त मंत्री संसद में चेतावनी दे चुकी हैं, तो फिर बैंक मैनेजर और उनके एजेंट किसके आदेश पर ग्राहकों को धमका रहे हैं? क्या वे सरकार और संसद से भी ऊपर हैं?
RBI की 2008 से ही सख्त हिदायत – फिर भी नहीं बदले हालात
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने 2008 में ही एक सख्त परिपत्र जारी कर बैंकों को आगाह कर दिया था कि यदि रिकवरी एजेंटों की ओर से उत्पीड़न या धमकाने की शिकायतें मिलती हैं, तो संबंधित बैंक को रिकवरी एजेंट नियुक्त करने से रोका जा सकता है।इस चेतावनी को जारी हुए 16 साल हो गए, लेकिन जमीनी हालात में कोई सुधार नहीं! आज भी रिकवरी एजेंट धमकी, गाली-गलौच, सामाजिक बदनामी और मानसिक उत्पीड़न जैसे हथकंडों का धड़ल्ले से इस्तेमाल कर रहे हैं।
₹2.27 करोड़ का जुर्माना – क्या बैंक की आंखें अब भी नहीं खुलीं ?
मार्च 2024 में RBI ने RBL बैंक पर ₹2.27 करोड़ का जुर्माना लगाया क्योंकि उनके रिकवरी एजेंटों ने तय दिशा-निर्देशों का उल्लंघन किया था। इसके अलावा अगस्त 2023 में RBI ने सख्त नियम लागू किए —
रिकवरी एजेंट सुबह 8 बजे से पहले और रात 7 बजे के बाद किसी भी ग्राहक को कॉल नहीं कर सकते। डराने-धमकाने की भाषा या व्यवहार पूरी तरह प्रतिबंधित है। महिलाओं और वरिष्ठ नागरिकों के मामलों में अतिरिक्त संवेदनशीलता बरतनी जरूरी है।
लेकिन जमीनी हकीकत क्या है? आज भी बैंक एजेंट लोगों के घरों में घुस रहे हैं, पड़ोसियों के सामने अपमानित कर रहे हैं, और मानसिक प्रताड़ना देकर लोगों को आत्महत्या तक के कगार पर पहुंचा रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट भी बोल चुका है – "बाहुबल नहीं चलेगा"
भारत का सर्वोच्च न्यायालय भी इस मुद्दे पर स्पष्ट निर्देश दे चुका है "लोन वसूली के लिए बैंक बाहुबल, दबाव या जबरदस्ती का इस्तेमाल नहीं कर सकते।" "यह संविधान और व्यक्ति की गरिमा के खिलाफ है।"
एक जनहित याचिका के जवाब में अदालत ने कहा कि बैंक यदि बाहरी निजी एजेंटों का उपयोग कर उत्पीड़न करवा रहे हैं, तो यह अस्वीकार्य है और इन पर रोक लगनी चाहिए।
जब जनता प्रताड़ित होती है, तो सरकार और संस्थाएं कहां हैं?
बैंकों के रवैये ने कई ईमानदार ग्राहकों को मानसिक रोगी बना दिया है। EMI न चुकाने पर पूरा सिस्टम उनके पीछे पड़ जाता है, लेकिन धोखाधड़ी करने वाले बड़े उद्योगपतियों को बेल आउट पैकेज दिया जाता है।
क्या सिर्फ गरीब और मध्यमवर्ग ही लोन चुकाने की जिम्मेदारी निभाए?क्या बैंक मैनेजरों और उनके एजेंटों को संविधान और न्यायिक प्रक्रिया से ऊपर माना जाए?
अब चुप रहने का समय नहीं !
यदि आप या आपके किसी जानने वाले के साथ भी लोन वसूली के नाम पर गुंडागर्दी, डराने-धमकाने, सामाजिक बदनामी या अपमानजनक व्यवहार हुआ है — तो चुप न रहें!
✅ RBI में शिकायत करें
✅ बैंकिंग लोकपाल से संपर्क करें
✅ RTI दाखिल करें और सच्चाई उजागर करें
✅ मीडिया का सहारा लें और सबूतों के साथ आवाज़ उठाएं
यह देश कानून से चलता है, बैंक मैनेजरों और रिकवरी एजेंटों की तानाशाही से नहीं !
📢 Note:इस खबर को ज्यादा से ज्यादा शेयर करें ताकि पीड़ितों को न्याय मिल सके और बैंकों को अपनी हद का एहसास हो! यदि आप या आपके परिचित किसी भी बैंक या उनके गुंडों जैसे रिकवरी एजेंटों की धमकी, उत्पीड़न या दुर्व्यवहार का शिकार हुए हैं, तो चुप मत रहें!
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