हिमाचल प्रदेश में इस बार का मानसून केवल बारिश नहीं, तबाही लेकर आया है। मंडी ज़िले और खासकर सराज क्षेत्र में भारी जान-माल की हानि ने आमजन को असहाय बना दिया है। यह त्रासदी किसी पार्टी, विचारधारा या समूह तक सीमित नहीं रही - यह समूचे समाज की साझा पीड़ा बन गई है। लेकिन जब लोग राहत और संवेदनशीलता की उम्मीद कर रहे थे, तब सरकार और उसके मंत्री महज़ औपचारिक दौरों और बयानबाज़ी में व्यस्त दिखे। सराज की जनता नेताओं के इसी उपेक्षापूर्ण रवैये से आक्रोशित हुई, और जब मंत्री जगत सिंह नेगी वहां पहुंचे, तो उन्हें फूलों से नहीं, जूतों और काले झंडों से "स्वागत" मिला। यह विरोध कोई अचानक भड़का जनाक्रोश नहीं था, बल्कि वह ग़ुस्सा था जो हफ्तों से सरकार की चुप्पी और निष्क्रियता के खिलाफ उबल रहा था। लेकिन दुखद पहलू यह है कि इस जनआक्रोश के बाद प्रशासन ने संवेदना के बजाय सख्ती दिखाई, और 65 से अधिक लोगों पर एफआईआर दर्ज कर दी, जिनमें स्थानीय ग्रामीण, भाजपा कार्यकर्ता और महिलाएं शामिल हैं। यह कार्रवाई अब राजनीतिक तनाव को और हवा देने वाली साबित हो रही है। पढ़ें विस्तार से..
मंडी: (HD News); हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले के थुनाग में बागवानी एवं वानिकी महाविद्यालय के स्थानांतरण को लेकर विरोध लगातार उग्र होता जा रहा है। इसी कड़ी में हिमाचल प्रदेश के राजस्व एवं बागवानी मंत्री जगत सिंह नेगी के खिलाफ प्रदर्शन, रास्ता रोकने, काले झंडे दिखाने, पत्थरबाजी और जूता फेंकने जैसी घटनाओं को लेकर जंजैहली थाना में भाजपा कार्यकर्ताओं सहित कुल 65 लोगों के खिलाफ तीन अलग-अलग एफआईआर दर्ज की गई हैं।
यह घटना उस वक्त घटी जब मंत्री नेगी सराज क्षेत्र में बाढ़ और भूस्खलन प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर रहे थे और थुनाग विश्राम गृह में रुके थे। विरोध प्रदर्शन की शिकायतें कांग्रेस नेता जगदीश रेड्डी और वीरेंद्र कुमार द्वारा 25 जुलाई को दर्ज करवाई गईं। पहली एफआईआर में 57 लोगों पर मंत्री का रास्ता रोकने और काले झंडे दिखाने का आरोप है, जबकि दूसरी एफआईआर में पत्थरबाजी और जान से मारने की धमकी की बात कही गई है। यह मामला भारतीय न्याय संहिता की धारा 125, 351(2) और 352 के तहत दर्ज किया गया है। तीसरी एफआईआर में 7 महिलाओं पर मंत्री की गाड़ी रोकने और जूता फेंकने के आरोप लगाए गए हैं।

सराज में सरकार के खिलाफ जनाक्रोश, "जूतों की बरसात" से दिखी नाराजगी
सराज विधानसभा क्षेत्र में इस बार के मानसून ने भयंकर तबाही मचाई है। सबसे ज्यादा नुकसान मंडी जिले को हुआ है — जान-माल दोनों की दृष्टि से। स्थिति यह है कि त्रासदी के बाद न तो सरकार और न ही मंत्रीगण समय रहते लोगों के बीच पहुंचे, जिससे आमजन में गहरी नाराजगी व्याप्त है। यहां केवल किसी पार्टी विशेष के कार्यकर्ता नहीं, बल्कि पूरे समाज का नुकसान हुआ है।
स्थानीय जनता का आरोप है कि नेता केवल राजनीतिक दिखावे और फोटो खिंचवाने के लिए मौके पर पहुंच रहे हैं, लेकिन पीड़ितों की सुध लेने और राहत देने में गंभीरता नहीं दिखाई जा रही। यही आक्रोश मंत्री के थुनाग पहुंचने पर फूट पड़ा, जब स्थानीय लोगों ने फूलों की जगह काले झंडे, नारेबाज़ी और जूते बरसाए। यह प्रदर्शन न केवल राजनीतिक असंतोष का प्रतीक था, बल्कि यह संदेश भी कि आपदा के वक्त उपेक्षा जनता को माफ नहीं है।
पुलिस ने दी कार्रवाई की जानकारी
पुलिस ने बताया कि मौके पर मौजूदगी की पुष्टि के आधार पर शिकायतों को गंभीरता से लिया गया है और जांच शुरू कर दी गई है। सभी आरोपियों के खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।
बता दें कि सराज की त्रासदी ने हिमाचल प्रदेश की राजनीति और प्रशासन की संवेदनशीलता पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। जब जनता को राहत, भरोसा और साथ की ज़रूरत थी, तब उन्हें मिला उपेक्षा, औपचारिकता और अब एफआईआर जैसी सख्त कार्रवाइयों का डर। जनता का विरोध कोई राजनीतिक चाल नहीं, बल्कि पीड़ा से उपजा स्वाभाविक आक्रोश था। लेकिन इसके जवाब में दमनात्मक रवैया अपनाना लोकतंत्र के मूल भावना के खिलाफ है। सरकार को चाहिए कि वह जनता की आवाज़ को दबाने के बजाय उसे सुने, समझे और ज़मीनी स्तर पर राहत और पुनर्वास के ठोस प्रयास करे - क्योंकि इस बार मामला सिर्फ राजनीति का नहीं, बल्कि आमजन की असल तकलीफ़ और भरोसे का है।