हिमाचल प्रदेश की पंचायत व्यवस्था पर बड़ा सवाल उठाने वाला मामला सामने आया है। कांगड़ा जिले की गगल पंचायत में परिवार रजिस्टर के फर्जीवाड़े ने प्रशासन को हिला कर रख दिया है। जांच में पता चला है कि करीब 250 लोगों को फर्जी तरीके से स्थानीय निवासी बनाकर योजनाओं का लाभ दिलाया गया, वहीं चौंकाने वाली बात यह है कि एक विवाहित महिला विधवा पेंशन ले रही है। इस खुलासे ने न केवल पंचायत की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए हैं बल्कि योजनाओं की पारदर्शिता पर भी गहरा संदेह पैदा कर दिया है। पढ़ें पूरी खबर..

धर्मशाला: कांगड़ा जिले की गगल पंचायत में फर्जी परिवार पंजीकरण का चौंकाने वाला मामला सामने आया है। जांच में पता चला है कि पंचायत के परिवार रजिस्टर में करीब 250 लोगों को नियमों को ताक पर रखकर फर्जी तरीके से पंजीकृत कर दिया गया। सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि एक सुहागिन महिला विधवा पेंशन का लाभ उठा रही है, जबकि उसका पति जिंदा है और दोनों के बीच तलाक भी नहीं हुआ है।
रिपोर्ट के अनुसार, उक्त महिला का मायका गगल पंचायत में है और उसकी शादी नेरटी में हुई है। बावजूद इसके, महिला का नाम मायके और ससुराल दोनों जगहों के परिवार रजिस्टर में दर्ज है। नियमों के अनुसार, शादी के बाद महिला का नाम केवल एक ही पंचायत में दर्ज होना चाहिए, लेकिन इस मामले में ऐसा नहीं हुआ। इतना ही नहीं, गगल पंचायत से महिला को विधवा पेंशन भी जारी कर दी गई, जबकि उसका पति जिंदा है।
250 फर्जी पंजीकरण से खुला घोटाला
गगल पंचायत में सामने आए इस मामले ने पंचायत व्यवस्था की पोल खोल दी है। अब तक की जांच में पता चला है कि करीब 250 लोगों ने फर्जी तौर पर स्थानीय निवासी बनकर योजनाओं का लाभ उठाया। खंड विकास अधिकारी (बीडीओ) धर्मशाला की ओर से जांच की जा रही है और 18 परिवारों के बयान दर्ज हो चुके हैं। फिलहाल, 4 परिवार गगल पंचायत में रहते ही नहीं हैं और 5 परिवारों को अभी तक नोटिस जारी किया गया है।
आरोप पूर्व पंचायत प्रतिनिधियों पर
वर्तमान पंचायत प्रधान रेणु पठानिया और उपप्रधान भुवनेश चड्ढा का कहना है कि यह गड़बड़ी पूर्व पंचायत प्रतिनिधियों द्वारा वोट बैंक बनाने के लिए की गई थी। दोनों ने साफ किया कि मौजूदा पंचायत इस मामले की जांच में पूरी तरह सहयोग कर रही है।
प्रशासन सख्त, जांच जारी
खंड विकास अधिकारी धर्मशाला ने मामले की पुष्टि करते हुए कहा है कि फर्जीवाड़े की पूरी जांच की जा रही है। दोषियों के खिलाफ नियमों के तहत कार्रवाई तय है। यह मामला न सिर्फ पंचायत व्यवस्था की पारदर्शिता पर सवाल उठाता है, बल्कि सरकारी योजनाओं के दुरुपयोग की गंभीर तस्वीर भी सामने लाता है।
गगल पंचायत का यह मामला हिमाचल की पंचायत व्यवस्था में फर्जीवाड़े और राजनीतिक स्वार्थ की गहरी जड़ें उजागर करता है। वोट बैंक की राजनीति के लिए पूर्व प्रतिनिधियों द्वारा की गई इस गड़बड़ी ने सरकारी योजनाओं की साख पर गंभीर प्रश्नचिह्न लगा दिया है। अब देखने वाली बात यह होगी कि खंड विकास अधिकारी की जांच के बाद दोषियों पर कितनी सख्त कार्रवाई होती है और क्या वाकई भविष्य में ऐसे घोटालों पर अंकुश लग पाएगा।