धर्मशाला: (एचडी न्यूज); मशरूम विकास परियोजना पालमपुर में मशरूम दिवस के उपलक्ष्य पर आयोजित विशेष कार्यक्रम में किसानों को मशरूम उत्पादन के महत्व और संभावनाओं के बारे में जागरूक किया गया। इस मौके पर विशेषज्ञों ने बताया कि मशरूम की खेती न केवल अतिरिक्त आय का साधन बन सकती है बल्कि यह पोषक तत्वों और औषधीय गुणों से भरपूर आहार भी है।
किसानों को योजनाओं और संभावनाओं से कराया अवगत
कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि बागवानी विभाग के संयुक्त निदेशक कमलशील नेगी ने कहा कि विभाग किसानों को लगातार नई योजनाओं से जोड़ रहा है। मशरूम की खेती से किसान अपनी आय में वृद्धि कर सकते हैं और परिवार को पौष्टिक आहार उपलब्ध करा सकते हैं। इस अवसर पर विभिन्न प्रजातियों के मशरूम की प्रदर्शनी भी लगाई गई, जिसे किसानों ने गहरी रुचि से देखा।

विशेषज्ञों ने दी तकनीकी जानकारी
बागवानी विभाग के उपनिदेशक कांगड़ा डॉ. अलक्ष पठानिया ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि शिटाके, बटन और ढींगरी मशरूम जैसी किस्में आर्थिक रूप से लाभकारी हैं और बाजार में उनकी बड़ी मांग है।
विषय विशेषज्ञ डॉ. सपन ठाकुर ने शिटाके मशरूम की उपयोगिता और औषधीय गुणों के बारे में विस्तार से बताया, वहीं डॉ. हितेंद्र पटियाल ने किसानों को प्रशिक्षण शिविर के तहत मशरूम की खेती, उसकी बीमारियों, मार्केटिंग और बैंकिंग सहायता संबंधी जानकारी दी।
अनुभव साझा कर किया प्रेरित
इस अवसर पर मशरूम उत्पादक डॉ. सुनील कुमार और किसान विनोद ने अपने अनुभव साझा करते हुए मशरूम उत्पादन को स्वरोजगार का बेहतर साधन बताया। उन्होंने कहा कि सही तकनीक और मार्गदर्शन से किसान कम लागत में बेहतर आमदनी कमा सकते हैं।
हंस फाउंडेशन ने जताया आभार
हंस फाउंडेशन के परियोजना प्रबंधक ओम राज शर्मा ने किसानों का धन्यवाद करते हुए कहा कि मशरूम उत्पादन गांवों में आय और रोजगार का मजबूत आधार बन सकता है।
कार्यक्रम में विषय विशेषज्ञ डॉ. उमंग भारद्वाज, उद्यान विकास अधिकारी डॉ. राजेश पटियाल, डॉ. हितेश ठाकुर, सहायक उद्यान विकास अधिकारी संजय मेहता, उद्यान प्रसार अधिकारी किरण कुमारी, तथा हंस फाउंडेशन से डॉ. अरुण और डॉ. चेतना सहित कई प्रगतिशील किसान मौजूद रहे।