सिरमौर (HD News): हिमाचल प्रदेश के सिरमौर ज़िले से सामने आया यह मामला भ्रष्टाचार के खिलाफ एक कड़े संदेश के रूप में उभरा है। भूमि तकसीम के एक मामूली से विवाद ने तब बड़ा रूप ले लिया, जब एक लाख रुपये की रिश्वत की डील का खुलासा हुआ। इस पूरे प्रकरण में न केवल रिश्वत मांगने वाला पटवारी फंसा, बल्कि रिश्वत देने वाला शिकायतकर्ता भी अब कानून के शिकंजे में है। राजगढ़ थाना क्षेत्र की पंचायत सैरजगास से जुड़ा यह मामला साफ तौर पर दिखाता है कि अब भ्रष्टाचार के किसी भी रूप को बख्शा नहीं जाएगा - चाहे रिश्वत लेने वाला हो या देने वाला।

हिमाचल प्रदेश के जिला सिरमौर में एक लाख रुपये की रिश्वत के इस सनसनीखेज मामले ने प्रशासनिक गलियारों में हलचल मचा दी है। राजगढ़ पुलिस ने भूमि तकसीम के मामले में पटवारी अदब सिंह और शिकायतकर्ता राजेश कुमार - दोनों के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत केस दर्ज किया है।

पुलिस जांच में खुलासा हुआ कि सैरजगास निवासी राजेश कुमार ने अप्रैल माह में शिकायत दी थी कि पटवारी अदब सिंह ने भूमि विभाजन में सहयोग के बदले एक लाख रुपये की रिश्वत मांगी थी। इसके लिए पटवारी ने एक बैंक खाता नंबर साझा किया था, जिसमें राजेश ने ₹94, 000 आरटीजीएस से और ₹6, 000 नकद दिए। यह रकम पटवारी के ससुर के बैंक खाते में जमा की गई थी। इतना ही नहीं, पैसे मिलने के बाद पटवारी ने व्हाट्सएप पर ‘धन्यवाद’ संदेश भेजा था, जिसने रिश्वत की पुष्टि कर दी।

राजेश कुमार ने अपनी शिकायत में बताया कि उसने सैरजगास की शामलात भूमि से रूपलाल और सुंदरी देवी आदि से पहले 11 बिस्वा और बाद में 14 बिस्वा भूमि — कुल एक बीघा छह बिस्वा — खरीदी थी। इसी भूमि से सुप्रीति कौर नामक महिला ने भी दो बीघा ग्यारह बिस्वा भूमि खरीदी थी। दोनों के बीच कब्जे और सीमा को लेकर विवाद हुआ, जिसके चलते राजेश कुमार ने सुप्रीति कौर के खिलाफ भूमि तकसीम का दावा दाखिल किया था। आरोप है कि इसी मामले में सहयोग के बदले पटवारी ने रिश्वत की मांग की थी।

⚖️ दोनों पक्षों पर कार्रवाई
पुलिस जांच में राजेश कुमार के आरोप सही पाए गए। इसके बाद पटवारी अदब सिंह के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7 के तहत रिश्वत लेने का मामला दर्ज किया गया है। वहीं, शिकायतकर्ता राजेश कुमार पर भी धारा 8 के तहत मुकदमा दर्ज हुआ है, क्योंकि उसने रिश्वत देने के बाद सात दिन के भीतर पुलिस को सूचना नहीं दी, जो कानूनन अपराध है।
डीएसपी राजगढ़ वीसी नेगी ने बताया कि - “जांच में आरोप सही पाए गए हैं। पुलिस ने बैंक लेन-देन, कॉल रिकॉर्ड और व्हाट्सएप चैट के सभी साक्ष्य एकत्रित कर लिए हैं। मामले की गहनता से जांच जारी है और जो भी तथ्य सामने आएंगे, उनके आधार पर कार्रवाई की जाएगी।”

सिरमौर का यह रिश्वत कांड न केवल प्रशासनिक व्यवस्था पर सवाल उठाता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि अब भ्रष्टाचार के किसी भी रूप को बख्शा नहीं जाएगा। यह मामला प्रदेश में बढ़ते भ्रष्टाचार पर नकेल कसने की दिशा में एक सख्त उदाहरण बनकर उभरा है - जहाँ “रिश्वत देने वाला भी उतना ही दोषी है, जितना लेने वाला।”