शिमला की ऐतिहासिक धड़कन माने जाने वाले लोअर बाजार का नाम बदलकर ‘लोअर मॉल’ करने का निर्णय राजधानी में तीखी बहस और नाराज़गी की लहर ले आया है। नगर निगम के इस कदम को शहर की आत्मा और पहचान के साथ खिलवाड़ बताया जा रहा है। व्यापारिक संगठनों, स्थानीय लोगों और इतिहासकारों ने इसे “शिमला के चरित्र पर सीधा प्रहार” करार दिया है। मॉल बिजनेस्मेन एसोसिएशन ने खुलकर विरोध जताते हुए कहा है कि यह निर्णय न केवल जनता की भावनाओं के विपरीत है, बल्कि उस सांस्कृतिक धरोहर को मिटाने की कोशिश है जिसने सदियों से शिमला को “पहाड़ियों की रानी” का दर्जा दिलाया। लोअर बाजार की पुरानी गलियों, पारंपरिक दुकानों और स्थानीय जीवन की पहचान को “मॉल” के चमकदार नाम में समेटना न सिर्फ गलत दिशा में उठाया गया कदम है, बल्कि प्रशासन की संवेदनहीनता का उदाहरण भी है।
शिमला में लोअर बाजार का नाम बदलने पर व्यापारी भड़के - मॉल बिजनेस्मेन एसोसिएशन ने नगर निगम को चेतावनी दी: “इतिहास मिटाने की गलती मत कीजिए” - पढ़ें पूरी खबर
शिमला (HD News): राजधानी शिमला की पहचान और गौरव का प्रतीक लोअर बाजार (Lower Bazaar) इस समय एक बड़े विवाद के केंद्र में है। नगर निगम द्वारा लोअर बाजार का नाम बदलकर लोअर मॉल (Lower Mall) करने के फैसले ने शहर में विरोध की आग भड़का दी है। शिमला की सड़कों से लेकर सोशल मीडिया तक, लोगों के बीच इस निर्णय को लेकर नाराज़गी साफ़ देखी जा रही है। मॉल बिजनेस्मेन एसोसिएशन (The Mall Businessmen Association) ने इस कदम को “शिमला की आत्मा पर सीधा प्रहार” बताते हुए नगर निगम, मेयर और एमसी कमिश्नर को कड़ी चेतावनी दी है कि यह निर्णय वापस लिया जाए, अन्यथा व्यापारी समुदाय बड़े आंदोलन के लिए तैयार है।

“लोअर बाजार केवल नाम नहीं, बल्कि शिमला की पहचान है”
एसोसिएशन के महासचिव द्वारा जारी आपत्ति पत्र में कहा गया है कि लोअर बाजार कोई सामान्य व्यापारिक क्षेत्र नहीं, बल्कि शिमला की जीवंत विरासत है, जिसने वर्षों से इस शहर की संस्कृति, व्यापार और लोक जीवन को आकार दिया है। यह वही इलाका है, जहां से शिमला की सामाजिक और आर्थिक धड़कन महसूस होती है। पत्र में कहा गया है कि “लोअर बाजार केवल एक नाम नहीं, बल्कि शिमला की पहचान है। इसे ‘लोअर मॉल’ कहना एक ऐतिहासिक गलती होगी, जो स्थानीय निवासियों के साथ-साथ पर्यटकों में भी भारी भ्रम उत्पन्न करेगी।” व्यापारियों का आरोप है कि नगर निगम ने यह निर्णय बिना किसी जनसुनवाई या स्थानीय परामर्श के मनमाने ढंग से लिया है, जो लोकतांत्रिक परंपराओं और जनता की भावनाओं के खिलाफ है।
“शिमला की आत्मा के साथ खिलवाड़ नहीं किया जा सकता”
व्यापारियों ने साफ कहा है कि शिमला के लोअर बाजार और मॉल रोड दोनों की अपनी-अपनी विशिष्ट पहचान और ऐतिहासिक महत्व है। मॉल रोड ब्रिटिश स्थापत्य और आधुनिकता का प्रतीक है, वहीं लोअर बाजार स्थानीय जीवन, संस्कृति और जनव्यापार का केंद्र रहा है। दोनों को एक नाम में समेटना शहर की आत्मा के साथ खिलवाड़ है। उनका कहना है कि इस निर्णय से न केवल सांस्कृतिक पहचान कमजोर होगी, बल्कि पर्यटकों में भी भ्रम बढ़ेगा। एसोसिएशन के मुताबिक, जब कोई सैलानी शिमला आता है तो वह मॉल रोड की भव्यता और लोअर बाजार की परंपरागत जीवन शैली - दोनों का अनुभव करना चाहता है। यदि इन दोनों को एक ही नाम से पुकारा गया तो शिमला की विशिष्टता धुंधली पड़ जाएगी और शहर की ऐतिहासिक पहचान खत्म हो जाएगी।

“नाम नहीं, व्यवस्था बदलो - दिशा-सूचक बोर्ड लगाओ”
एसोसिएशन ने नगर निगम को यह भी सुझाव दिया है कि नाम बदलने जैसी दिखावटी कवायद के बजाय वास्तविक सुधारों पर ध्यान दिया जाए। व्यापारियों का कहना है कि यदि प्रशासन शहर की छवि और व्यवस्था को बेहतर बनाना चाहता है तो उसे ट्रैफिक और दिशानिर्देश व्यवस्था सुधारनी चाहिए। उन्होंने शेर-ए-पंजाब चौक और डीसी ऑफिस तिराहे पर स्पष्ट दिशा-सूचक बोर्ड (Directional Signage) लगाने की मांग की है, जिन पर “Way to Mall Road” और “Way to Lower Bazaar” लिखा हो। इससे न केवल ट्रैफिक व्यवस्था सुधरेगी बल्कि पर्यटकों और स्थानीय नागरिकों दोनों को शहर में आवाजाही के दौरान सही मार्गदर्शन मिलेगा। उनका कहना है कि यही कदम असली विकास की दिशा में होगा और इससे शिमला की मेहमाननवाज़ी की छवि और मजबूत बनेगी।
“यह विरोध नहीं, विरासत की रक्षा का संकल्प है”
मॉल बिजनेस्मेन एसोसिएशन ने यह भी स्पष्ट किया है कि उनका विरोध किसी राजनीतिक मकसद से प्रेरित नहीं है, बल्कि यह विरोध शिमला की पहचान और इतिहास को बचाने की भावना से उपजा है। उन्होंने कहा कि लोअर बाजार का नाम बदलना केवल एक प्रशासनिक गलती नहीं, बल्कि शिमला की विरासत को मिटाने की कोशिश है। “शहर की खूबसूरती उसके नामों, गलियों और इतिहास में बसती है। इन्हें बदलना विकास नहीं, इतिहास मिटाने की शुरुआत है।” एसोसिएशन ने मेयर और एमसी कमिश्नर से जनता की भावनाओं का सम्मान करने और इस निर्णय पर पुनर्विचार करने की अपील की है।

“इतिहास को सजाइए, मिटाइए मत” - व्यापारियों ने दी आंदोलन की चेतावनी
व्यापारियों ने चेतावनी दी है कि अगर नगर निगम ने इस फैसले को वापस नहीं लिया, तो वे जनसमर्थन के साथ शांतिपूर्ण लेकिन सशक्त आंदोलन शुरू करेंगे। उन्होंने कहा कि वे विरोध नहीं, चेतावनी दे रहे हैं - “लोअर बाजार का नाम बदलना, शिमला की आत्मा पर प्रहार है। इतिहास को सजाइए, मिटाइए मत।” एसोसिएशन का यह बयान शिमला नगर निगम और प्रशासन के लिए एक स्पष्ट संदेश है कि जनता अब अपनी विरासत को मिटने नहीं देगी।
“लोअर बाजार का नाम मिटाना, शिमला की आत्मा मिटाने जैसा होगा”
शिमला की असली पहचान उसकी वादियों या मौसम में नहीं, बल्कि उसकी संस्कृति, स्थापत्य और उन ऐतिहासिक नामों में बसती है जो पीढ़ियों से इस शहर की आत्मा बने हुए हैं। लोअर बाजार सिर्फ एक बाज़ार नहीं, बल्कि उस पुराने शिमला की जीवंत याद है - जहां की गलियां, दुकानों की पुकार और पुरानी इमारतों की खुशबू आज भी शहर के इतिहास की कहानी कहती हैं। यह वही स्थान है जिसने ब्रिटिश काल से लेकर आज तक शिमला की धड़कन को संजोए रखा है। ऐसे में लोअर बाजार को “लोअर मॉल” में बदल देना मात्र एक नाम परिवर्तन नहीं होगा, बल्कि उस विरासत के एक हिस्से का अंत होगा जो शिमला को “पहाड़ों की रानी” बनाता है।
यह समय प्रशासन के आत्ममंथन का है - क्योंकि विकास की राह विरासत मिटाने से नहीं, उसे सहेजने से गुजरती है। जो शहर अपने इतिहास को भूल जाता है, वह अपनी पहचान भी खो देता है। इसलिए आवश्यक है कि नगर निगम इस निर्णय पर पुनर्विचार करे, जनता की भावनाओं का सम्मान करे और शिमला की उस पहचान को सुरक्षित रखे, जो उसकी असली शक्ति और गौरव का प्रतीक है।

डिस्क्लेमर: यह खबर केवल सूचना और जागरूकता के उद्देश्य से प्रकाशित की गई है। इसमें उद्धृत विचार और प्रतिक्रियाएं मॉल बिजनेस्मेन एसोसिएशन (MBA) के लिखित पत्र और संबंधित प्रेस नोट पर आधारित हैं।