सुन्नी दशहरा उत्सव में गूंजे विकास के नगाड़े : मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने दी पीजीआई बस सेवा और करोड़ों की सौगात - पढ़ें पूरी खबर       श्री नयना देवी में अश्विन नवरात्रि भक्ति और पूर्ण आहुति के साथ संपन्न, बिजली-पानी की खामियों ने बढ़ाई स्थानीय लोगों की नाराजगी - पढ़ें पूरी खबर..       दुःखद हादसा: अर्की के धैणा से सिरमौर जा रही बारात की कार नैना टिक्कर के पास खाई में गिरी, दो की मौत, तीन घायल - पढ़ें पूरी खबर..       लंदन में भारतीय दूतावास पहुँचे पठानियां, हिमाचल में सतत पर्यटन मॉडल लागू करने पर जोर - पढ़ें पूरी खबर       शिमला कालीबाड़ी मंदिर में विजयदशमी पर भक्ति और रंगों का संगम, सिंदूर की होली से गूंजी परंपरा, बंगाली महिलाओं ने मां दुर्गा को दी विदाई - पढ़ें पूरी खबर..       आज का राशिफल : 2 अक्टूबर 2025; मेष से मीन तक जानें किसका दिन रहेगा खास, किसे मिलेगी सफलता       हिमाचल प्रदेश: रिश्वतखोरी का बड़ा खुलासा - GST इंस्पेक्टर 50 हजार रुपये की रिश्वत लेते दबोचा, क्वार्टर से 1.71 लाख रुपये बरामद, तीन दिन की रिमांड पर भेजा - पढ़ें पूरी खबर       विश्वविद्यालय में आउटसोर्स कर्मचारियों को 6 दिन का ब्रेक, 200 कर्मचारियों की अनुपस्थिति से कामकाज ठप - पढ़ें पूरी खबर       दिवाली धमाका 2025: महालक्ष्मी फर्नीचर शोरूम, कैथलीघाट में 25% से 40% तक की बम्पर छूट और स्पेशल गिफ्ट्स ! - पढ़ें पूरी खबर..       हिमाचल प्रदेश: 3 तीन दिन मौसम रहेगा साफ, 4 अक्टूबर से बारिश का दौर शुरू - पढ़ें पूरी खबर      

धर्म

विश्व विख्यात शक्तिपीठ आदिशक्ति जगजननी का पावन धाम श्री नैना देवी, माँ के दर्शन मात्र से पूरी होती हैं हर मनोकामनाएं..

April 18, 2020 08:41 AM

मां दुर्गा के 51 शक्तिपीठों में से एक नैना देवी मंदिर, हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले में स्थित है। ऐसी मान्यता है कि इस स्थान पर माता सती के नेत्र गिरे थे। इसी कारण इस शक्तिपीठ का नाम नैना देवी पड़ा। यह मंदिर दुर्गा माता के भक्तों की आराधना का केंद्र है। जानें, माँ के मन्दिर में हर रोज होने वाली श्रृंगार आरती दर्शन का समय..

मंगल आरती - माता की पहली आरती मंगल आरती कहलाती है । प्रात: ब्रह्ममुहूर्त में लगभग 04:00 बजे पुजारी मंदिर खोलता है और मन्दिर में घण्टी बजा कर माता को जगाया जाता है। तदनंतर माता की शेय्या समेट कर रात को गडवी में रखे जल से माता के चक्षु और मुख धोये जाते है। उसी समय माता को काजू, बादाम, खुमानी, गरी, छुआरा, मिश्री, किशमिश, आदि में से पांच मेवों का भोग लगाया जाता है। जिसे 'मोहन भोग ' कहते है ।

मंगल आरती में दुर्गा सप्तशती में वर्णित महाकाली, महालक्ष्मी, महासरस्वती, के ध्यान के मंत्र बोले जाते है । माता के मूल बीज मंत्र और माता श्रीनयनादेवी के ध्यान के विशिष्ट मंत्रो से भी माता का सत्वन होता है । ये विशिष्ट मन्त्र गोपनीय है । इन्हें केवल दीक्षित पुजारी को ही बतलाया जा सकता है ।

श्रृंगार आरती - श्रृंगार आरती के लिए मंदिर के पृष्ठ भाग की ढलान की और निचे लगभग 2 किलोमीटर की दुरी पर स्थित 'झीडा' नामक बाऊडी से एक व्यक्ति जिसे 'गागरिया' कहते है , नंगे पांव माता के स्नान एवं पूजा के लिए पानी की गागर लाता है । श्रृंगार आरती लगभग 6:00 बजे शुरू होती है जिसमे षोडशोपचार विधि से माता का स्नान तथा हार श्रृंगार किया जाता है । इस समय सप्तशलोकी दुर्गा और रात्रिसूक्त के श्लोको से माता की स्तुति की जाती है । माता को हलवा और बर्फी का भोग लगता है जिसे 'बाल भोग' कहते है ।

श्रृंगार आरती उपरांत दशमेश गुरु गोविन्द सिंह जी द्वारा स्थापित यज्ञशाला स्थल पर हवन यज्ञ किया जाता है । जिसमे स्वसित वाचन, गणपति पुजन, संकल्प, स्त्रोत, ध्यान, मन्त्र जाप, आहुति आदि सभी परिक्राएं पूर्ण की जाती है ।

मध्यान्ह आरती - इस अवसर पर माता को राज भोग लगता है । राज भोग में चावल, माश की दाल, मुंगी साबुत या चने की दाल, खट्टा, मधरा और खीर आदि भोज्य व्यंजन तथा ताम्बूल अर्पित किया जाता है । मध्यान्ह आरती का समय दोपहर 12:00 बजे है । इस आरती के समय सप्तशलोकी दुर्गा के श्लोको का वाचन होता है ।

सायं आरती - सायं आरती के लिए भी झीडा बाऊडी से माता के स्नान के लिए गागरिया पानी लाता है । लगभग 6:30 बजे माता का सायंकालीन स्नान एवं श्रृंगार होता है । इस समय माता को चने और पूरी का भोग लगता है । ताम्बूल भी अर्पित किया जाता है । इस समय के भोग को 'श्याम भोग' कहते है । सायं आरती में सोंदर्य लहरी के निम्नलिखित श्लोको का गायन होता है।

शयन आरती - रात्रि 9:39 बजे माता को शयन करवाया जाता है । इस समय माता की शेय्या सजती है । दुध् और बर्फ़ी का भोग लगता है । जिसे 'दुग्ध् भोग' के नाम से जाना जाता है । शयन आरती के समय भी श्रीमदशकराचार्य विरचित सोन्दर्य लहरी के निम्नलिखित श्लोको के सस्वर गायन के साथ् माता का सत्वन होता है ।

Have something to say? Post your comment

धर्म में और

गुरु अस्त 2023: नवरात्रि में अस्त हुए बृहस्पति, आइए जानते हैं कि अस्त गुरु किन राशियों को दे सकते नुकसान, पढ़ें विस्तार से..

भाई दूज - 2021: भाई को टीका करने का सबसे शुभ मुहूर्त और विधि, डेढ़ घंटे राहुकाल में न करें भाई का तिलक, देखें शुभ मुहूर्त

दीवाली 2021: लक्ष्मी पूजन से बरसेगा धन! नोट कर लें पूजन का शुभ मुहूर्त, जानें कब होगा प्रदोष काल ? पढ़े पूरी खबर..

यह हैं पितृदोष शांति के 11 उपाय, इसके बाद खुलेंगे तरक्की के रास्ते

जानिए छठ पूजा का शुभ महूर्त

सूर्य का राशि परिवर्तन चमका देगा इन 5 राशि वालों का भाग्य

आज है गोवर्धन पूजा, जानिए कैसे शुरू हुई यह परंपरा, ये है शुभ मुहूर्त व पूजा विधि

धनतेरस 2020 : आज या कल कब मनाया जाएगा धनतेरस का पर्व, जानें पूजा का शुभ मुहूर्त व विधि

रविवार के दिन ये उपाय लाएंगे जीवन में खुशहाली

करवा चौथ: सोलह श्रृंगार से मिलता है करवा माता का आशीर्वाद