करवाचौथ पर नवविवाहित महिलाएं इस साल व्रत ना करें यहीं नहीं जो महिलाएं व्रत का उद्यापन करवाना चाहती हैं तो वो भी शुभ नहीं है. ज्योतिष शास्त्र में हर साल के कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर मनाया जाता है. हालांकि व्रत करना या नहीं करना आपका खुद का निर्णय है और आप इसके लिए किसी ज्योतिष से भी संपर्क कर सकती हैं. वैसे जो भी महिलाएं इस बार करवाचौथ का व्रत कर रही है, उनके लिए शुभ विशेष योग इस बार बन रहे हैं.
शुभ मुहूर्त
चतुर्थी तिथि आरंभ-13 अक्तूबर 2022 को सुबह 01 बजकर 59 मिनट पर
चतुर्थी तिथि का समापन- 14 अक्तूबर 2022 को सुबह 03 बजकर 08 मिनट पर
पूजा का शुभ मुहूर्त : 13 अक्तूबर को शाम 06 बजकर 01 मिनट लेकर शाम 07 बजकर 15 मिनट तक
अमृतकाल मुहूर्त - शाम 04 बजकर 08 मिनट से शाम 05 बजकर 50 मिनट तक
अभिजीत मुहूर्त - सुबह 11 बजकर 21 मिनट से दोपहर 12 बजकर 07 मिनट तक
करवा चौथ पर चंद्रोदय
13 अक्तूबर को रात 08 बजकर 04 मिनट पर
करवा चौथ का उद्यापन : विवाहिता एक बार उद्यापन कर लें तो फिर उसके बाद के सालों में वो व्रत के दौरान एक बार पानी या चाय पी सकती है या फिर व्रत बंद भी कर सकती है.
करवा चौथ के व्रत का उद्यापन करवा चौथ के दिन ही करना चाहिए जिसके लिए 13 महिलाओं को 13 सुपारी देकर भोजन कराये जो व्रत में हो. ये महिलाएं करवा चौथ का व्रत, पूजन और व्रत का पारण आपके घर ही करें. भोजन में लहसुन का प्रयोग ना करें.
नवविवाहिता अपने पति की सलामती के लिए करवा चौथ के व्रत की शुरुआत करती है. एक बार शुरू किया गया करवा चौथ का व्रत पति के जीवित रहने तक करना होता है. करवा चौथ का व्रत निर्जल और निराहार रहकर करना पड़ता है, लेकिन जिंदगी में विभिन्न कारणों से ऐसी स्थिति भी उत्पन्न हो जाती है. जब पत्नी के लिए निर्जल व्रत रख पाना मुश्किल होता है, जबकि वह व्रत नहीं छोड़ना चाहती.
शुक्रास्त में कोई भी शुभ कार्य आरम्भ ने करें : पंडित उमेश नोटियाल
शिमला कृष्ण मंदिर के पंडित उमेश नोटियाल ने बताया कि शुक्रास्त के चलते इस वर्ष नवविवाहिताओं के लिए व्रत का समय ठीक नही है। उन्हें इस वर्ष व्रत नही रखना चाहिए साथ ही जिन सुहागिनों ने व्रत का उद्यापन करना है वह भी उस वर्ष उद्यापन नहीं कर सकती।
शास्त्रों के अनुसार शुक्रास्त के समय किसी भी शुभ कार्य को आरम्भ नही किया जा सकता उसके परिणाम बेहतर नही होते। वहीं अन्य सुहागिन प्रतिवर्ष की तरह व्रत रख सकती हैं । चांद के दीदार ठीक 8 बजकर 4 मिनट पर होंगे जिसके पश्चात अर्घ्य के साथ वह अपना व्रत पूरा कर सकती हैं। पूजा का समय शाम 4 बजकर 8 मिनट से 5:50 तक है।