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हिमाचल

हिमाचल में महिला कर्मियों को 2 साल की चाइल्ड केयर लीव देने की तैयारी, SC के आदेश पर सक्रिय हुई सरकार, क्या है पूरा मामला, पढ़ें पूरी खबर..

May 13, 2024 07:25 AM

हिमाचल में महिला कर्मियों को 2 साल की चाइल्ड केयर लीव देने की तैयारी, SC के आदेश पर सक्रिय हुई सरकार,  क्या है पूरा मामला, पढ़ें पूरी खबर..

शिमला : सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर हिमाचल में महिला कर्मचारियों को दो साल की चाइल्ड केयर लीव (child care leave) मिलने का रास्ता साफ हो गया है. हिमाचल हाईकोर्ट के एक फैसले को पलटते हुए सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि महिला कर्मचारियों को ये हक दिया जाए. सुप्रीम कोर्ट ने इस बारे में हिमाचल सरकार को मुख्य सचिव की अगुवाई में एक कमेटी बनाने का आदेश दिया था. सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर सक्रिय हुई राज्य सरकार के मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना ने अगले सप्ताह बुधवार यानी 15 मई को बैठक तय की है. इस बैठक में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लागू करने की प्रक्रिया तय करने पर विचार होगा. हिमाचल में महिला कर्मचारियों को दो साल की चाइल्ड केयर लीव नहीं मिलती है. केंद्र सरकार की महिला कर्मचारियों के लिए ये प्रावधान है.

उल्लेखनीय है कि हिमाचल के एक सरकारी कॉलेज की प्रवक्ता ने अपने बीमार बच्चे की देखभाल के लिए चाइल्ड केयर लीव का आग्रह किया था. हिमाचल सरकार ने तब कहा था कि राज्य में ये प्रावधान लागू नहीं है. मामला हाईकोर्ट पहुंचा था. हाईकोर्ट में इसी आधार पर कि हिमाचल में ये प्रावधान लागू नहीं है, याचिका को खारिज कर दिया था. बाद में इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई, जहां से राज्य सरकार को चाइल्ड केयर लीव देने का निर्देश हुआ. सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई के दौरान एक अहम तथ्य सामने आया कि राइट्स ऑफ पर्सन्स विद डिसेबिलिटी एक्ट-2016 के तहत मिलने वाले अवकाश से महिला कर्मचारियों के हक को अलग नहीं किया जा सकता. यहां गौरतलब है कि केंद्र सरकार यानी गवर्नमेंट ऑफ इंडिया लीव रूल्स के तहत उपरोक्त अवकाश की सुविधा देती है.

क्या है पूरा मामला

हिमाचल में सरकारी कॉलेज नालागढ़ में अध्यापन कार्य करने वाली प्रोफेसर शालिनी ने अपने बीमार बेटे की देखभाल के लिए चाइल्ड केयर लीव की सुविधा मांगी थी. वर्ष 2018 में शालिनी ने एक गंभीर जेनेटिक बीमारी से पीड़ित अपने बच्चे की देखभाल के लिए चाइल्ड केयर अवकाश के लिए अप्लाई किया. नवंबर 2018 में कॉलेज के प्रधानाचार्य ने बताया कि राज्य सरकार के नियमों में ऐसा प्रावधान नहीं है.

प्रधानाचार्य ने बताया कि हिमाचल सरकार ने चाइल्ड केयर लीव के प्रावधानों को अडॉप्ट नहीं किया है. ऐसे में उपरोक्त अवकाश की अनुमति देना संभव नहीं है. इस पर शालिनी ने 26 दिसंबर 2018 को हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की. हाईकोर्ट में मामले की सुनवाई हुई. बाद में 23 अप्रैल 2012 को हाईकोर्ट में याचिका खारिज हो गई. बाद में मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा. सुप्रीम कोर्ट ने अप्रैल 2024 में अपने आदेश के तहत राज्य सरकार को चाइल्ड केयर लीव देने के प्रावधानों पर गौर करने के लिए कहा. साथ ही मुख्य सचिव की अगुवाई वाली कमेटी गठित करने के भी निर्देश दिए.

अगस्त में सुप्रीम कोर्ट में होगी अगली सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस जेबी परदीवाला ने राज्य सरकार को चाइल्ड केयर लीव के प्रावधानों पर फिर से गौर करने के लिए कहा है. साथ ही मामले की सुनवाई 5 अगस्त को तय की है. तब तक राज्य सरकार को इस बारे में निर्णायक फैसला लेना है. इसके लिए राज्य सरकार की मशीनरी जुट गई है. मुख्य सचिव की अगुवाई वाली कमेटी में तीन और सदस्य शामिल किए गए हैं. कमेटी में स्टेट कमिश्नर डिसेबिलिटी एक्ट, सचिव महिला एवं बाल विकास विभाग और सचिव सोशल वेलफेयर विभाग सदस्य के रूप में शामिल हैं. सुप्रीम कोर्ट ने इस साल जुलाई महीने के आखिर में रिपोर्ट देने को कहा है.

चाइल्ड केयर लीव पर सुप्रीम कोर्ट का आदेश

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