हिमाचल प्रदेश में कानून व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं, जब एक मंत्री की उपस्थिति में नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) के अधिकारियों के साथ खुलेआम मारपीट की गई। इस घटना ने प्रशासनिक व्यवस्था और लोकतांत्रिक मूल्यों को झकझोर कर रख दिया है। नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने इस पूरे घटनाक्रम को “शर्मनाक और लोकतंत्र के लिए खतरा” बताया है और मुख्यमंत्री से दोषी मंत्री को तत्काल मंत्रिमंडल से हटाने की मांग की है। पढ़ें पूरी खबर..
शिमला, 30 जून: हिमाचल प्रदेश की राजनीति में सोमवार को उस समय सनसनी फैल गई जब एक मंत्री की मौजूदगी में नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) के दो अधिकारियों के साथ कथित तौर पर मारपीट की गई। इस घटनाक्रम की कड़ी निंदा करते हुए नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने इसे "कानून व्यवस्था का शर्मनाक पतन" करार दिया है और मुख्यमंत्री से दोषी मंत्री को मंत्रिमंडल से बर्खास्त करने की मांग की है।
जयराम ठाकुर ने कहा कि यह घटना न केवल प्रशासन और कानून व्यवस्था पर सवाल उठाती है, बल्कि प्रदेश की लोकतांत्रिक संस्थाओं की गरिमा को भी ठेस पहुंचाती है। उन्होंने आरोप लगाया कि मंत्री की उपस्थिति में अधिकारियों को एक कमरे में बुलाकर, मीडिया को धमकाकर कैमरे बंद करवाए गए और फिर कमरे के अंदर अधिकारियों के साथ बर्बरता की गई। बाहर निकलने पर भी उन पर हमले जारी रहे, यहां तक कि गमले तक फेंके गए। मारपीट में घायल अधिकारी किसी तरह मीडिया कर्मियों के सहयोग से भाग निकले और वर्तमान में आईजीएमसी अस्पताल में भर्ती हैं।

प्रशासन बना रहा मूक दर्शक
नेता प्रतिपक्ष ने यह भी आरोप लगाया कि मौके पर मौजूद एसडीएम और पुलिस अधिकारी मूकदर्शक बने रहे। न तो उन्होंने बीच-बचाव किया, न ही पीड़ितों को तुरंत अस्पताल पहुंचाया गया। यही नहीं, अब आरोपियों के खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई भी नहीं की गई है।
मीडिया को दी जा रही धमकियां
ठाकुर ने यह भी कहा कि इस मामले को दबाने के लिए मीडिया पर दबाव बनाया जा रहा है। उन्हें खबर न चलाने की चेतावनी दी जा रही है और पीड़ित अधिकारियों पर भी दबाव डाला जा रहा है।
"जनता को जानने का अधिकार है"
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि जनता को यह जानने का अधिकार है कि सरकार इस पूरे मामले में क्या कदम उठा रही है। उन्होंने मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू से मांग की है कि इस मामले में दोषियों के खिलाफ निष्पक्ष जांच हो और दोषी मंत्री को तुरंत मंत्रिमंडल से बर्खास्त किया जाए।
नेता प्रतिपक्ष की तीखी प्रतिक्रिया और मीडिया कर्मियों की भूमिका ने इस गंभीर मामले को उजागर किया है, जिससे स्पष्ट होता है कि प्रदेश में लोकतंत्र और कानून की रक्षा के लिए कड़े कदम उठाने की आवश्यकता है। यदि दोषियों के विरुद्ध तुरंत कार्रवाई नहीं की गई, तो इससे न केवल प्रशासनिक तंत्र की साख गिरेगी, बल्कि आम जनता का विश्वास भी सरकार से डगमगाएगा। मुख्यमंत्री को चाहिए कि वह इस घटना की निष्पक्ष जांच करवाएं और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई सुनिश्चित करें।