भीषण गर्मी के चलते शिमला शहर को पानी की सप्लाई करने वाली परियोजनाओं में पानी सूखने लगा है। इसके कारण शहर में भयानक जल संकट पैदा हो गया है। शहर में कहीं चार दिन बाद तो कहीं पांच दिन बाद भी पर्याप्त पानी नही मिल रहा है। शहर लगती पंचायतों में चौथे दिन भी पानी की आपूर्ति आधी रात को दी जा रही है। लोगों का कहना है कि कभी रात को 11:00 तो कभी 2:00 बजे पानी दिया जा रहा है। आधी रात को पानी भरने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। पढ़ें पूरी खबर..
शिमला: राजधानी से लगते पंचायती क्षेत्रों में इन दिनों पीने के पानी के लिए लोग प्राकृतिक स्रोतों का रूख करने के लिए मजबूर हो गए हैं। इसकी एक ही वजह है कि पंचायती क्षेत्रों में पिछले कई दिनों से पेयजल सप्लाई नहीं मिल पाई है। जहां पानी आया भी है, वहां पर प्रेशर की कमी है। इसके चलते कई लोगों के घरों तक पानी की सप्लाई ही नहीं पहुंच पाई है। दूसरी और पेयजल सप्लाई का समय भी कम कर दिया है, जिसके चलते लोग पानी को स्टोर भी नहीं कर पा रहे हैं। आलम यह है कि पंचायती क्षेत्र के लोगों ने टैंकरों से पानी मंगवाना शुरू कर दिया है।
शिमला से लगती रज्ञान पंचायत की बात करें तो यहां पर काफी समय से लोग जल शक्ति विभाग के अधिकारियों से पेयजल किल्लत को लेकर शिकायत कर रहे हैं, लेकिन यहां की पानी की समस्या ज्यों की त्यों बनी हुई है। ऐसे में अब लोगों को पीने के पानी के लिए हैंडपंप या अन्य प्राकृतिक स्रोतों से पानी लाना पड़ रहा है।
बता दें कि भले ही बाँवड़ी व हैंड पंप का पानी शिमला के लोगों के लिए इस भीषण गर्मी में अमृत है लेकिन प्राकृतिक स्रोतों को डब्ल्यूएचओ की गाइडलाइन के अनुसार पीने योग्य नहीं है। यह लोगों को भी पता है, लेकिन मजबूरन लोगों को पानी प्राकृतिक स्रोतों से ही लाना पड़ रहा है। यहां तक कुछ लोगों ने पानी की बोतलें खरीदना भी शुरू कर दिया है।
रज्ञान क्षेत्र के लोगों का कहना है कि हर साल गर्मी में यहां पर पानी की किल्लत होती है, लेकिन चौथे या पांचवे दिन पानी की सप्लाई आ जाती थी, लेकिन इस बार पानी की पर्याप्त सप्लाई नहीं मिल रही है। आधी रात को पानी की सप्लाई दी जा रही है जिससे लोगों की नींद खराब हो रही है।
राजधानी शिमला में गहराया पेयजल संकट..
जिस शिमला शहर को रोजाना 43 एमएलडी पानी की जरूरत होती है, वहां सिर्फ 31 एमएलडी तक ही पानी मिल पा रहा है। ऐसे में लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। आलम यह है कि लोगों को तीन दिन बाद भी पानी की पर्याप्त सप्लाई नही मिल रही है। इससे आम जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हो रहा है। शिमला में पर्यटकों की आमद बढ़ने से होटल में भी पानी की खपत बढ़ गई है।
वहीं शिमला के मेयर सुरेंद्र चौहान का कहना है कि लंबे वक्त से बारिश न होने की वजह से प्राकृतिक जल स्रोत सूख रहे हैं। इसकी वजह से शिमला को पर्याप्त मात्रा में पानी नहीं मिल पा रहा है। उन्होंने बताया कि शहर के लोगों को चौथे दिन पानी दिया जा रहा है, ताकि परेशानी को कम किया जा सके उन्होंने लोगों से भी अपील की है कि गर्मी के इस मौसम में पानी का किफायत के साथ इस्तेमाल करें। मेयर सुरेंद्र चौहान ने कहा कि कई स्थानों से पानी के टैंक की भी डिमांड आ रही है। जहां-जहां लोग पानी का टैंक मांग रहे हैं, उन्हें टैंक से भी पानी उपलब्ध करवाया जा रहा है। फिलहाल नगर निगम शिमला और शिमला जल प्रबंधन निगम लिमिटेड को बारिश का इंतजार है, ताकि जल स्तर बढ़ने से लोगों को पानी पहुंचाया जाए।
गौरतलब है कि शिमला शहर की जनता को पानी उपलब्ध करवाने के लिए छह अलग-अलग जल परियोजनाओं से पानी की सप्लाई होती है। इसमें सबसे बड़ी योजना गुम्मा जल परियोजना है. गुम्मा के अलावा गिरि, चुरट, चैड़ और कोटी-ब्रांडी से शिमला शहर तक पानी पहुंचाया जाता है. सोमवार को गुम्मा से 20.49, गिरि से 8.43, चुरट से 1.22, सेओग 0.00, चैरह 0.45 और कोटी ब्रांडी 0.95 एमएलडी पानी मिला।