शिमला: (HD News); हिमाचल प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी, कांग्रेस सरकार पर फिर से सियासी संकट खड़ा करने की तैयारी में है। सूत्रों की माने तो बीजेपी ने इसकी रणनीति बना ली है। अब पार्टी हाईकमान के आदेशों का इंतजार है। इस रणनीति के तहत बीजेपी ने हिमाचल में पदों से हटाए गए 6 मुख्य संसदीय सचिव (CPS) के अलावा कैबिनेट रैंक वाले 3 अन्य विधायकों की सदस्यता को भी चुनौती देने का निर्णय लिया है।
इसे लेकर कानूनी विशेषज्ञों से राय ली जा रही है। लीगल ओपिनियन के बाद बीजेपी नेता राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल से मिलकर कांग्रेस के 9 विधायकों की सदस्यता को रद्द करने की मांग कर सकते हैं। राज्यपाल से इनकी सदस्यता रद्द करने के बाद केंद्रीय चुनाव आयोग को मामला भेजे जाने का आग्रह किया जाएगा।
शिमला में मीडिया से बातचीत में भाजपा के राज्यसभा सांसद हर्ष महाजन ने कहा कि कांग्रेस के 9 विधायकों की सदस्यता को राज्यपाल से मिलकर चुनौती दी जाएगी। उन्होंने कहा, बीजेपी पार्टी हाईकमान के आदेशों का इंतजार कर रही है।
सरकार को आज भी गिरा सकते है: महाजन
राज्यसभा सांसद हर्ष महाजन ने कहा कि कांग्रेस ने CPS के अलावा दूसरे विधायकों को भी कैबिनेट रेंक दिए है। ये सभी लाभ के पद हैं। ये विधायक अनसीट होंगे। इससे इनकी सीटों पर दोबारा उप चुनाव तय है।
हर्ष महाजन ने दावा किया कि कांग्रेस के कई विधायक भाजपा के संपर्क में भी है। कांग्रेस के विधायकों के सिरमौर, कांगड़ा और ऊना में गुट बने हुए हैं। महाजन ने कहा कि अब हमारे पर निर्भर करता है कि कौन का गुट लेना है। अब फैसला हम करेंगे। सरकार आज भी गिरा सकते हैं।
CM सुक्खू को बताया एसेट
हर्ष महाजन ने कहा कि सीएम सुक्खू हमारे (BJP) लिए एसेट (संपत्ति) हैं। सुक्खू ऐसा काम कर रहे हैं कि 15-20 साल कांग्रेस की सरकार दोबारा सत्ता में नहीं आएंगी।
हिमाचल में बीते मार्च-अप्रैल माह के दौरान सरकार पर सियासी संकट के बाद सीएम सुक्खू ने कई विधायकों को कैबिनेट रैंक दिए। उन्होंने कांगड़ा के फतेहपुर से विधायक भवानी सिंह पठानिया को स्टेट प्लानिंग बोर्ड का डिप्टी चेयरमैन मनोनीत किया और उन्हें कैबिनेट रैंक दिया।कांगड़ा जिला के ही नगरोटा बगवा से विधायक एवं सुक्खू के करीबी आरएस बाली को भी सरकार ने कैबिनेट रैंक के साथ हिमाचल पर्यटन विकास निगम का चेयरमैन बनाया।
वहीं शिमला जिला के रामपुर से होली लॉज गुट के विधायक नंद लाल को पंचायती राज एक्ट और म्युनिसिपल एक्ट के प्रावधानों के तहत सातवें वित्त आयोग का अध्यक्ष लगाया है। ऐसे में बीजेपी के निशाने पर पूर्व सीपीएस किशोरी लाल, आशीष बुटेल, एमएल ब्राक्टा, सुंदर सिंह ठाकुर, संजय अवस्थी और दून से राम कुमार चौधरी के अलावा कैबिनेट रैंक वाले तीन विधायक भी आ गए हैं।
हिमाचल विधानसभा का मौजूदा गणित
68 विधायकों वाली हिमाचल विधानसभा में अभी कांग्रेस 40 और बीजेपी के पास 28 विधायक है। ऐसे में लाभ का पद के तहत यदि कांग्रेस के नौ विधायकों की सदस्यता चली जाती है तो कांग्रेस के पास 31 विधायक रह जाएंगे, जो कि बीजेपी से तीन ज्यादा होंगे। कांग्रेस सरकार के पास फिर पूरा बहुमत होगा। इसके बाद 9 सीटों पर उप चुनाव होंगे। 9 में से कांग्रेस को फिर से कम से कम 4 सीटें जीतनी होगी।