हिमाचल प्रदेश की सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार में बड़ा बदलाव होने वाला है। मुख्य संसदीय सचिवों की नियुक्ति रद्द होने के बाद मंत्रिमंडल में फेरबदल की चर्चा तेज हो गई है। सरकार जल्द ही एक रिक्त मंत्री पद को भर सकती है। क्षेत्रीय और राजनीतिक संतुलन बनाने के लिए कई बदलाव किए जा सकते हैं जिसमें मंत्रियों के विभागों में फेरबदल या किसी मंत्री को हटाया जाना भी शामिल है।
शिमला: (HD News); हिमाचल प्रदेश की सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार में बड़ा बदलाव होगा। मुख्य संसदीय सचिवों की नियुक्ति रद्द होने के बाद इस बात की चर्चा तेज हो गई है।
सूत्रों की माने तो सरकार जल्द ही एक रिक्त मंत्री पद भरेगी। हिमाचल में कांग्रेस के पास 40 विधायक है, जिन में दो महिला विधायक भी शामिल हैं। एक निश्चित संख्या के अनुसार ही मंत्री बना सकते हैं। इसलिए सरकारें क्षेत्रीय, जातीय व राजनीतिक संतुलन अपने मंत्रिमंडल में बनाती है।
सीपीएस की नियुक्तियां भी इसी का हिस्सा रहती हैं। सूत्रों की माने तो सरकार क्षेत्रीय व राजनीतिक संतुलन बनाने के लिए कई बदलाव अपने मंत्रिमंडल में कर सकती है। इसके लिए मंत्रियों के विभागों में फेरबदल भी हो सकता है या किसी मंत्री को ड्रॉप भी किया जा सकता है। चूंकि मंत्रिमंडल में केवल एक ही स्थान खाली पड़ा हुआ है।
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार का 2 वर्ष का कार्यकाल अगले माह पूरा होने वाला है। दो सालों के भीतर कई तरह की राजनीतिक उठापठक हो चुकी है। राज्य सभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग, फिर विधायकों का पार्टी छोड़ना व उप चुनाव होता।
सीपीएस की नियुक्तियां रद्द होने के बाद विपक्ष चुप बैठने वाला नहीं है। ऐसे में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू को अपने विधायकों को एकजुट रखने के लिए सरकार कुछ फैसले लेने होंगे जिनमें नई नियुक्तियां व मंत्रिमंडल बदलाव भी शामिल होगा।
किसकी लगेगी लॉटरी यह चर्चा
मंत्रिमंडल में खाली पद को जल्द भरा जाएगा यह तय है। इसमें किसकी लाटरी लगती है इस पर सबकी निगाहें हैं। जिन सीपीएस को हटाया गया है सरकार उनमें से ही मंत्री बनाती है या फिर वरिष्ठ विधायक जिनमें संजय रतन शामिल हैं उन्हें मौका देती है। जबकि महिला विधायकों को भी मंत्री बनाने की चर्चा है।
क्या कहता है एक्ट 2006
प्रदेश हाई कोर्ट में मुख्य संसदीय सचिव (सीपीएस) की नियुक्तियों के संवैधानिक दर्जे को लेकर एक बड़ा निर्णय सुनाया। अदालत ने यह एक्ट रद कर दिया। हिमाचल में हाई कोर्ट ने हिमाचल प्रदेश मुख्य संसदीय सचिव एक्ट 2006 के तहत मुख्य संसदीय सचिवों की तैनाती की शक्ति मुख्यमंत्री के पास थी।