शिमला: (HD News); आज पूर्वाह्न 11:00 बजे भारत में निर्वासित तिबतियन सरकार के सांसद सदस्यों दोनटूप टशी तथा सेरिंग यांगचैन ने हिमाचल प्रदेश विधान सभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानियां से उनके कार्यालय कक्ष में मुलाकात की। यह एक शिष्टाचार भेंट थी। उनके साथ शिमला स्थित तिबतियन सरकार के मुख्य प्रतिनिधि अधिकारी सेवांग फिंगचौग तथा सचिव पलदीन भी शामिल थे। मुलाकात के दौरान सांसदों ने कहा कि वह हिमाचल प्रदेश सरकार तथा विधान सभा अध्यक्ष का निर्वासित तिबतियन सरकार को अभूतपूर्व सहयोग देने के लिए धन्यवाद करने आए हैं। उन्होने विधान सभा अध्यक्ष से आग्रह किया है कि वह यह सहयोग भविष्य में भी चाहेंगे ताकि उनकी निर्वासित सरकार जिसका मुख्यालय धर्मशाला में है अपना काम धैर्यपूर्वक तथा अविलम्ब कर सकें।
उन्होने कहा कि उनका मुख्य लक्ष्य तिब्बत की आजादी है जिसे वे हर हालात में हासिल करना चाहेंगे। सांसदों ने कहा कि निर्वासित तिबतियन सरकार के कुल 45 सांसद हैं जिन्हें भारत के अलग – अलग हिस्सों में तिबतियन समुदायों के लोगों का दु:ख दर्द सुनने के लिए भेजा गया है तथा उन्हें उत्तरी भारत का जिम्मा सौंपा गया है। विधान सभा अध्यक्ष के साथ मुलाकात करते हुए सांसद सेरिंग यांगचैन ने कहा कि उन्हें विशेष रूप से जिम्मेवारी सौंपी गई है कि वे भारत तथा हिमाचल सरकार व विधान सभा अध्यक्ष को तिबतियन सरकार की ओर से उनकी सरकार को संरक्षण प्रदान करने के लिए धन्यवाद दें तथा यह शिष्टाचार भेंट उसी का हिस्सा है।
मुलाकात के दौरान विधान सभा अध्यक्ष ने कहा कि निर्वासित तिबतियन सरकार भारत में विशेषकर धर्मशाला में पिछले 65 वर्षों से काम कर रही है। उन्होने कहा कि हमारे देश में करोड़ों लोग बौद्व धर्म को मानते हैं और हमारे देश में इस धर्म को मानने की पूर्ण स्वतन्त्रता है। पठानियां ने कहा कि हमारी सरकार ने हमेशा ही निर्वासित तिबतियन सरकार को अपना पूर्ण सहयोग दिया है और भारत सरकार भी सहयोग देने में बचनबद्व है और भविष्य में भी यह सहयोग अविलम्ब जारी रहेगा।
पठानियां ने कहा कि वह स्वयं तिबतियन धर्मगुरू दलाई लामा का हृदय से सम्मान करते हैं तथा शीघ्र ही उपलब्धता पर उनसे मुलाकात के लिए धर्मशाला मुख्यालय जाएँगे। पठानियां ने कहा कि हमारी सरकार तिबतियन समुदाय के लोगों को हिमाचली लोगों की तरह मानते हैं तथा वर्ष 1987 के बाद जन्में सभी तिबतियन लोगों को मत देने का अधिकार भी हिमाचल सरकार ने दिया है। विधान सभा अध्यक्ष ने कहा कि हिमाचल का तिब्बत के साथ पुरातन व्यापारिक तथा वाणिजियक सम्बन्ध रहा है जो आज भी बदस्तूर जारी है जिसे हमने कायम रखा है।