मंडी: (HD News); हिमाचल की शांत घाटियों में अब सिर्फ देवताओं की पुकार नहीं, बल्कि जागरूक जनता की हुंकार भी गूंज रही है। मंडी जिले के सराज क्षेत्र में जो कुछ हुआ, उसने सत्ता में बैठे हर उस नेता को एक सीधा संदेश दे दिया है - "अब जनता सिर्फ सुनने वाली नहीं, हिसाब मांगने वाली है।" शुक्रवार को जो दृश्य सराज में देखने को मिले, वे लोकतंत्र के नए तेवरों को दिखाते हैं। जब सत्ता की संवेदनहीनता जनता के जख्मों पर नमक छिड़के, तो फूलों की जगह जूते चलना स्वाभाविक है।
सराज की त्रासदी और मंत्री जी का 'बयान बम':
30 जून और 1 जुलाई को आई विनाशकारी आपदा ने सराज घाटी को हिला कर रख दिया। अब तक 27 लोग लापता हैं, 15 शव बरामद हुए, और बुनियादी ढांचा चकनाचूर हो चुका है। लेकिन जब राहत और जवाबदेही की उम्मीद थी, तब मंत्री जगत सिंह नेगी का असंवेदनशील बयान लोगों के घावों को कुरेदने वाला बन गया।

जगत सिंह नेगी जैसे ही थुनाग रेस्ट हाउस पहुंचे, वहां पहले से मौजूद सैंकड़ों लोगों ने उन्हें घेर लिया। "कॉलेज शिफ्टिंग" के मुद्दे पर पहले से नाराज़ जनता को जब मंत्री के मुंह से कोई स्पष्ट आश्वासन नहीं मिला, तो लोगों का धैर्य टूट गया। भीड़ ने 'नेता जी' की फार्च्यूनर को घेर लिया, और फिर शुरू हुआ विरोध का असली चेप्टर - काले झंडे हवा में थे, जूते भी लहराए गए।
वीडियो में साफ दिखी बेकाबू जनता और हक्का-बक्का मंत्री:
सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में देखा जा सकता है कि कैसे मंत्री की गाड़ी को आगे बढ़ने से रोक दिया गया। लोगों ने हाथों में लिए काले झंडे और जूते फेंके और गुस्से में नारेबाजी करते हुए कहा, "इनको इन्हीं के साथ सराज से विदा किया जाए!" पुलिस अधिकारियों को काफी मशक्कत करनी पड़ी, लेकिन तब तक मंत्री जी की इमेज को जनता के आक्रोश ने तार-तार कर दिया था।
जनता जागी है, अब डराने से नहीं दबेगी:
डीसी, एसपी और डीएसपी खुद मैदान में उतरे, लेकिन नारेबाजी और विरोध की लहर को नहीं थाम सके। क्योंकि अब जनता समझ चुकी है कि जुमले और झूठे वादों की राजनीति ज्यादा दिन नहीं चलती। नेताओं के लिए यह एक चेतावनी है कि सत्ता का नशा छोड़कर जमीनी हकीकत को समझें, नहीं तो अगला जूता उनके भाषण के मंच पर भी उड़ सकता है।
पुलिस करेगी FIR, लेकिन सवाल अभी भी जिंदा हैं:
एसपी मंडी ने बताया कि गाड़ी पर वस्तुएं फेंकने वालों की पहचान कर एफआईआर दर्ज की जाएगी। लेकिन जनता के सवाल अब भी हवा में तैर रहे हैं-
सराज की आपदा में लापता लोग कब मिलेंगे ?
कॉलेज शिफ्टिंग का फैसला कौन करेगा ?
असंवेदनशील बयान देने वालों की जवाबदेही कौन तय करेगा ?
बता दें कि सरकार किसी भी पार्टी की हो, अगर वह जनता की संवेदनाओं को कुचलने का काम करेगी तो ऐसे दृश्य आम हो जाएंगे। आज सराज में जूते चले हैं, कल पूरे हिमाचल में असंतोष की आंधी चल सकती है। अब जनता खामोश नहीं रहेगी - अब सवाल भी पूछे जाएंगे, और जवाब भी लिया जाएगा। लोकतंत्र का असली चेहरा यही है - जब जनता जागती है, तो सत्ता की नींद उड़ जाती है।
