हिमाचल प्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र में गुरुवार को कर्मचारियों के लंबित डीए और एरियर का मुद्दा गरमाया। विपक्ष ने सरकार पर कर्मचारियों के हक़ को नजरअंदाज करने और वादाखिलाफी का आरोप लगाते हुए सदन से वॉकआउट किया। इस बीच नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि कर्मचारी वर्षों से अपने मेहनताना के हिस्से के लिए इंतजार कर रहे हैं और सरकार की अनदेखी से उनकी वित्तीय स्थिति पर गंभीर असर पड़ रहा है। कर्मचारियों के हक़ की रक्षा और समय पर डीए-एरियर जारी करने की मांग इस हंगामे का केंद्र बनी।
शिमला : (HD News); हिमाचल प्रदेश विधानसभा का गुरुवार का सत्र कर्मचारियों के डीए और एरियर के मुद्दे पर जमकर गरमाया। विपक्ष ने सरकार पर वादाखिलाफी और छल का आरोप लगाते हुए सदन में हंगामा किया और अंततः वॉकआउट कर दिया। भाजपा विधायक सतपाल सत्ती ने जब यह सवाल उठाया तो सरकार के गोलमोल जवाब से विपक्ष आगबबूला हो गया।
नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने मुख्यमंत्री पर सीधा निशाना साधते हुए कहा कि बार-बार सिर्फ राजनीतिक जवाब दिए जा रहे हैं, जबकि कर्मचारियों को उनके हक़ की एक किस्त तक नहीं मिली। जयराम ने कहा - “मुख्यमंत्री ने मई तक डीए जारी करने का वादा किया था, लेकिन अगस्त खत्म होने को है और कर्मचारी अब भी ठगे बैठे हैं। यह सरकार सिर्फ घोषणाओं और जुमलों तक सीमित है।”

जयराम ठाकुर ने खुलासा किया कि कर्मचारियों का 11 प्रतिशत डीए अब भी लंबित है, जिससे करोड़ों रुपये का बोझ बन चुका है। उन्होंने इसे सदन के विशेषाधिकार हनन का मामला बताते हुए कहा कि सदन में मुख्यमंत्री जो कहते हैं, वह अंतिम निर्णय माना जाता है। “लेकिन यह सरकार अपने ही वादों को तोड़कर कर्मचारियों की पीठ में छुरा घोंप रही है।”
नेता प्रतिपक्ष ने सरकार पर पिछली सरकारों का हवाला देकर बचने का आरोप भी लगाया। उन्होंने कहा - “जब वीरभद्र सरकार सत्ता से गई थी तब भी एरियर बाकी था, लेकिन भाजपा सरकार ने उसे चुकता किया। मौजूदा सरकार बहानेबाज़ी और पिछली सरकार को कोसने में ही व्यस्त है, जबकि कर्मचारियों को राहत देने की उसकी नीयत ही नहीं है।”
जयराम ठाकुर ने सवाल दागा - “क्या कांग्रेस सरकार का मतलब यही है कि जब तक आर्थिक हालात ठीक नहीं होंगे, तब तक कर्मचारियों को उनका डीए नहीं मिलेगा? क्या मौजूदा कार्यकाल में कर्मचारियों को उनका हक़ कभी मिल भी पाएगा या सिर्फ चुनावी मंचों से वादे सुनने को मिलेंगे?”
विपक्ष ने सरकार को चेतावनी दी है कि अगर तुरंत लंबित डीए-एरियर जारी नहीं किया गया तो यह मुद्दा सड़क से सदन तक आंदोलन का रूप लेगा। विपक्ष ने साफ कहा है कि अब कर्मचारियों को सब्र के नाम पर और बेवकूफ नहीं बनाया जा सकता।