शिमला में कामला नेहरू अस्पताल (KNH) को IGMC में स्थानांतरित करने के सरकार के निर्णय का कर्मचारियों, एनजीओ और आम जनता ने कड़ा विरोध किया है। 1923 से सेवाएँ दे रहा यह अस्पताल शिमला की ऐतिहासिक धरोहर होने के साथ-साथ मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य के क्षेत्र में अहम भूमिका निभा रहा है। पढ़ें पूरी खबर -
शिमला: (HD News); शिमला के कामला नेहरू अस्पताल को आईजीएमसी में स्थानांतरित करने के प्रस्ताव के खिलाफ कर्मचारियों और एनजीओ ने सरकार से तत्काल पुनर्विचार की मांग की। विरोध जताने वालों का कहना है कि IGMC पहले से ही अत्यधिक भीड़ और दबाव में है। अगर केएनएच को वहां स्थानांतरित किया गया, तो मरीजों को लंबी प्रतीक्षा और असुविधा का सामना करना पड़ेगा।
कर्मचारी और एनजीओ का यह भी कहना है कि मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता प्रभावित होगी और कर्मचारियों की कार्यप्रणाली बाधित होगी। महिलाओं और बच्चों को मिलने वाली विशेष स्वास्थ्य सेवाएँ सीमित रह जाएँगी।

विरोध जताने वालों ने सरकार से आग्रह किया है कि केएनएच को स्थानांतरित करने के बजाय इसे मजबूत किया जाए, आधुनिक उपकरण लगाए जाएँ और अतिरिक्त स्टाफ की नियुक्ति की जाए। साथ ही अस्पताल में एक औषधि विशेषज्ञ (Medicine Specialist) की नियुक्ति भी जरूरी बताई गई है, ताकि मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएँ मिल सकें।
मनोज़ शर्मा, अध्यक्ष, एनजीओ केएनएच शिमला और स्वास्थ्य विभाग कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष, ने कहा कि यह ऐतिहासिक धरोहर शिमला और प्रदेश की मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य सेवाओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने सरकार से अपील की कि कामला नेहरू अस्पताल को स्वतंत्र मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य केंद्र के रूप में ही जारी रखा जाए।
कर्मचारियों और जनता का मानना है कि कामला नेहरू अस्पताल न केवल स्वास्थ्य सेवाओं का केंद्र है, बल्कि शिमला की सामाजिक और ऐतिहासिक पहचान का भी हिस्सा है। इसलिए, इसे IGMC में स्थानांतरित करने के बजाय इसके विकास और सुधार पर ध्यान देना अधिक जरूरी है।