शिमला सचिवालय के बाहर सोमवार को एक बार फिर दृष्टिहीन संगठन का गुस्सा फूट पड़ा। पिछले दो वर्षों से अपनी मांगों को लेकर संघर्षरत दृष्टिहीन जन संगठन ने इस बार सुक्खू सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। संगठन का आरोप है कि सरकार ने पूर्व जयराम सरकार के समय शुरू की गई सहारा पेंशन योजना बंद कर दी है और दृष्टिबाधितों को न तो नौकरी दी जा रही है, न ही पर्याप्त पेंशन। नाराज दृष्टिहीनों ने चेतावनी दी है कि अगर जल्द सुनवाई नहीं हुई तो वे आमरण अनशन और नग्न प्रदर्शन जैसे चरम कदम उठाने को मजबूर होंगे..
शिमला (HD News): प्रदेश सचिवालय के बाहर आज एक बार फिर दृष्टिहीन संगठन का गुस्सा फूटा। अपनी मांगों को लेकर दो साल से संघर्ष कर रहे दृष्टिहीन जन संगठन ने छोटा शिमला में जोरदार प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने सुक्खू सरकार पर वादा खिलाफी का आरोप लगाते हुए चेतावनी दी कि यदि उनकी मांगें जल्द नहीं मानी गईं तो वे आमरण अनशन और फिर नग्न प्रदर्शन करने को मजबूर होंगे। उन्होंने कहा - “अगर हमारी आवाज़ नहीं सुनी गई, तो इसकी पूरी जिम्मेदारी सरकार की होगी।”
दृष्टिहीन संगठन के सचिव राजेश ठाकुर ने बताया कि सरकार विभिन्न विभागों में दृष्टिबाधितों के लिए आरक्षित बैकलॉग पदों को वर्षों से खाली रखे हुए है। “हमारी मांग है कि इन सभी पदों को एकमुश्त भर्ती मेले के माध्यम से भरा जाए, ताकि दृष्टिहीन युवाओं को रोजगार का अवसर मिल सके।"

राजेश ठाकुर ने आरोप लगाया कि कांग्रेस सरकार ने पूर्व जयराम सरकार के कार्यकाल में शुरू की गई 3, 000 रुपये की सहारा पेंशन योजना बंद कर दी, जिससे सैकड़ों दृष्टिहीन प्रभावित हुए हैं। फिलहाल उन्हें केवल 1, 700 रुपये पेंशन दी जा रही है, जो उनकी जरूरतों के लिए नाकाफी है। उन्होंने मांग की कि यदि सरकार नौकरी नहीं दे सकती, तो कम से कम 5, 000 रुपये मासिक पेंशन सुनिश्चित की जाए।
दृष्टिहीन संगठन ने कहा कि उन्होंने अपनी मांगों को लेकर सरकार से कई दौर की वार्ताएं कीं, लेकिन नतीजा सिफर रहा। हर बार आश्वासन मिलता है, और फिर महीनों तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया जाता। संगठन का कहना है कि 1995 से अब तक दृष्टिबाधित वर्ग के कोटे के पद नहीं भरे गए, जबकि सुप्रीम कोर्ट तक इस संबंध में निर्देश जारी कर चुका है।

दृष्टिहीन संगठन ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी आवाज एक बार फिर अनसुनी की गई, तो वे शिमला सचिवालय के बाहर आमरण अनशन और नग्न प्रदर्शन करने से पीछे नहीं हटेंगे। उन्होंने कहा कि अब यह सिर्फ रोजगार या पेंशन की नहीं, बल्कि सम्मान और अस्तित्व की लड़ाई है।
दृष्टिहीन संगठन का यह विरोध सिर्फ पेंशन या नौकरी का नहीं, बल्कि सम्मान और समान अधिकारों की लड़ाई बन चुका है। दो साल से लगातार सचिवालय के बाहर धरना देने के बावजूद उनकी मांगें अनसुनी रहना सरकार की संवेदनहीनता को उजागर करता है। अब जब संगठन ने आमरण अनशन और नग्न प्रदर्शन की चेतावनी दी है, तो यह सरकार के लिए एक गंभीर संकेत है कि अब और देरी नहीं चलेगी - या तो निर्णय हो, या आंदोलन और उग्र होगा।
