हिमाचल विधानसभा में सोमवार को लोकतंत्र का संवाद गूंज उठा, जब झारखंड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस तरलोक सिंह चौहान ने विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया से सौहार्दपूर्ण भेंट की। इस अवसर पर जस्टिस चौहान ने एशिया के सबसे बड़े और आधुनिक न्यायिक परिसर का जिक्र करते हुए कहा, “लोकतंत्र में संतुलन ही सर्वोच्च न्याय है।”
मुख्य न्यायाधीश की धर्मपत्नी अमनदीप चौहान भी उनके साथ मौजूद रहीं। हिमाचल से संबंध रखने वाले तरलोक चौहान इस समय चार दिवसीय प्रदेश प्रवास पर हैं। भेंट के दौरान दोनों गणमान्य हस्तियों ने विधानपालिका और न्यायपालिका की लोकतांत्रिक भूमिका पर गहन विचार-विमर्श किया और संवैधानिक संस्थाओं के सहयोग व समन्वय की अहमियत पर चर्चा की।

विधानसभा पहुंचे झारखंड के मुख्य न्यायाधीश, विधानसभा अध्यक्ष से की सौहार्दपूर्ण भेंट, विधानसभा में हुआ गर्मजोशी से स्वागत - एशिया के सबसे बड़े न्यायिक परिसर का जिक्र करते हुए जस्टिस चौहान बोले, “लोकतंत्र में संतुलन ही सर्वोच्च न्याय”

शिमला (HD News): झारखंड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस तरलोक सिंह चौहान ने सोमवार, 27 अक्तूबर 2025 को हिमाचल प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया से विधानसभा सचिवालय में सौजन्य भेंट की। यह मुलाकात अपराह्न 3:30 बजे अध्यक्ष के कार्यालय कक्ष में हुई, जिसमें सौहार्द, संवाद और संवैधानिक संस्थाओं के आपसी सहयोग की भावना झलकी।
मुख्य न्यायाधीश की धर्मपत्नी अमनदीप चौहान भी इस अवसर पर उपस्थित रहीं। शिमला ज़िले से संबंध रखने वाले जस्टिस चौहान इन दिनों चार दिवसीय हिमाचल प्रवास पर हैं।

मुलाकात के दौरान दोनों गणमान्य हस्तियों ने विधानपालिका और न्यायपालिका की लोकतांत्रिक व्यवस्था में भूमिका पर गहन विचार-विमर्श किया। इस अवसर पर जस्टिस चौहान ने बताया कि झारखंड उच्च न्यायालय का नया न्यायिक परिसर एशिया का सबसे बड़ा और अत्याधुनिक न्यायिक ढांचा है, जो 167 एकड़ भूमि पर निर्मित किया गया है।
विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने जस्टिस चौहान का स्नेहपूर्वक स्वागत करते हुए उन्हें हिमाचल आगमन पर शुभकामनाएँ दीं और कहा कि “प्रदेश के लिए यह गर्व का विषय है कि हिमाचल से संबंध रखने वाले न्यायविद् देश की न्यायपालिका में प्रतिष्ठित पदों पर कार्यरत हैं।”

जस्टिस तरलोक सिंह चौहान और विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया के बीच यह शिष्टाचार भेंट न केवल हिमाचल और झारखंड के न्यायिक संबंधों को मजबूत करती है, बल्कि लोकतंत्र की संस्थाओं के बीच सहयोग और संतुलन की अहमियत को भी उजागर करती है। इस मुलाकात से यह स्पष्ट हुआ कि संवैधानिक संस्थाओं का संवाद और सौहार्दपूर्ण समन्वय लोकतंत्र की सफलता के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।