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हिमाचल सरकार में 'ऑल इज वेल' का भ्रम टूटा: डिप्टी सीएम अग्निहोत्री का अल्टीमेटम- 'अफसरशाही पर कसें नकेल'; सड़कों पर रोती रहीं नर्सें, नदारद रहे मंत्री - पढ़ें पूरी खबर

December 12, 2025 09:39 AM
Om Prakash Thakur

मंडी में आयोजित कांग्रेस सरकार के जश्न से शिमला की सर्द हवाओं में सियासी तपिश अचानक बढ़ गई है। 'व्यवस्था परिवर्तन' का नारा देकर सत्ता में आई सुक्खू सरकार के दो साल के जश्न पर 'असंतोष का ग्रहण' लग गया है। सरकार का दावा था कि "ऑल इज वेल", लेकिन यह भ्रम उस वक्त चकनाचूर हो गया जब सरकार के 'नंबर-2' यानी उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने सार्वजनिक मंच से अपनी ही सरकार के सिस्टम को नंगा कर दिया। अग्निहोत्री का यह कहना कि "अफसरशाही सिर पर चढ़कर नाच रही है, " विपक्ष का आरोप नहीं, बल्कि सत्ता के भीतर सुलग रही बगावत का 'कड़वा सच' है। एक तरफ डिप्टी सीएम की दहाड़ ने अफसरों की नींद उड़ा दी, तो दूसरी तरफ मंडी के पड्डल मैदान में न्याय की भीख मांगती 'बेरोजगार नर्सों' के आंसुओं ने सरकार के जश्न को फीका कर दिया। लंदन में होने के कारण मंत्री विक्रमादित्य सिंह की गैरमौजूदगी और वीरभद्र सिंह के पोस्टरों का गायब होना - यह सब संकेत दे रहा है कि हिमाचल की सियासत में एक बड़ा 'तूफान' दस्तक दे रहा है। पढ़ें और विस्तार से..

"सता के गलियारों में 'विस्फोट': जब डिप्टी सीएम ने ही खोल दी अपनी सरकार की पोल, और सड़कों पर रुलीं 'कोरोना वॉरियर्स'..."  

शिमला/मंडी: हिमाचल प्रदेश की सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार के 3 साल के जश्न पर अंदरूनी कलह और प्रशासनिक अव्यवस्था की काली छाया पड़ गई है। सत्ता के गलियारों में 'सब कुछ ठीक' होने के दावे उस वक्त हवा हो गए, जब सरकार के 'नंबर-2' यानी उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री का धैर्य जवाब दे गया। एक सार्वजनिक मंच से अपनी ही सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए अग्निहोत्री ने बेलगाम अफसरशाही के खिलाफ सीधा मोर्चा खोल दिया। उन्होंने दो टूक शब्दों में प्रशासन को चेताया— "ऐसे काम नहीं चलेगा, जनता ने हमें चुना है, अफसरों को नहीं।" वहीं, मंडी के ऐतिहासिक पड्डल मैदान में आयोजित ‘जन संकल्प सम्मेलन’ में सरकार को उस समय भारी असहजता का सामना करना पड़ा, जब 'कोरोना वॉरियर्स' (बेरोजगार नर्सों) ने नारेबाजी और तख्तियों के जरिए अपना दर्द बयां किया।

1. डिप्टी सीएम का 'रौद्र रूप': नौकरशाही को सीधी चेतावनी

उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री के तल्ख तेवरों ने स्पष्ट कर दिया है कि सरकार और संगठन के बीच सब कुछ सामान्य नहीं है। उनका यह बयान कि "अफसरशाही सिर पर चढ़कर नाच रही है, " सरकार के भीतर चल रहे 'पावर स्ट्रगल' (Power Struggle) की ओर इशारा करता है।

सीधा हमला: अग्निहोत्री ने बिना लाग-लपेट के कहा कि कुछ अधिकारी फाइलों को दबाकर बैठे हैं और जानबूझकर जनहित के कार्यों में रोड़े अटका रहे हैं। उन्होंने साफ किया कि चुनी हुई सरकार के आदेशों की अवहेलना अब बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

सीएम को संदेश: सियासी पंडितों का मानना है कि अग्निहोत्री का यह गुस्सा केवल अफसरों पर नहीं, बल्कि परोक्ष रूप से मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की कार्यशैली पर भी था। यह एक स्पष्ट संकेत है कि वरिष्ठ मंत्री अब प्रशासनिक उपेक्षा और फैसलों में देरी को बर्दाश्त करने के मूड में नहीं हैं।

2. जश्न के बीच विरोध के सुर: पड्डल मैदान में सिसकती रहीं 'कोरोना वॉरियर्स'

मंडी के पड्डल मैदान में एक तरफ सरकार अपनी उपलब्धियों का बखान करने में जुटी थी, तो दूसरी तरफ मंच के ठीक सामने की तस्वीर कुछ और ही बयां कर रही थी।

तख्तियों पर लिखा था दर्द: प्रशिक्षित बेरोजगार नर्सों ने हाथों में तख्तियां लेकर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया। उनका कहना था कि कोरोना काल में जब सब घरों में दुबके थे, तब उन्होंने जान की बाजी लगाई थी, लेकिन आज वे रोजगार के लिए सड़कों पर धक्के खा रही हैं।

दबा दी गई आवाज: चश्मदीदों के अनुसार, वीआईपी मूवमेंट और सरकार की छवि बचाने के लिए पुलिस और प्रशासन ने आनन-फानन में नर्सों की तख्तियां हटवा दीं और उन्हें शांत कराने की कोशिश की। लेकिन उनकी नारेबाजी ने 'जश्न' के माहौल में खलल जरूर डाल दिया और सरकार की संवेदनशीलता पर प्रश्नचिन्ह लगा दिया।

3. विक्रमादित्य सिंह नदारद: लंदन में सम्मान, यहाँ पोस्टरों से भी गायब

इस पूरे घटनाक्रम में लोक निर्माण मंत्री (PWD Minister) विक्रमादित्य सिंह और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रतिभा सिंह की अनुपस्थिति ने सियासी चर्चाओं को और हवा दे दी है।

लंदन में 'यूथ आइकॉन' अवॉर्ड: विक्रमादित्य सिंह इस समय लंदन में हैं, जहां 12 दिसंबर को ब्रिटिश संसद परिसर में वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स द्वारा उन्हें ‘यूथ एंड आइकॉन’ (Youth and Icon) अवॉर्ड से नवाजा जाएगा। यह प्रदेश के लिए गर्व की बात है, लेकिन उनकी अनुपस्थिति ने विरोधियों को बोलने का मौका दे दिया।

वीरभद्र सिंह की अनदेखी?: सबसे ज्यादा हैरानी इस बात पर जताई जा रही है कि रैली स्थल से छह बार के मुख्यमंत्री रहे स्वर्गीय वीरभद्र सिंह ('राजा साहब') के पोस्टर पूरी तरह नदारद थे। यह तब हुआ है, जब हाल ही में सरकार ने शिमला के रिज मैदान पर उनकी प्रतिमा का अनावरण कर उनकी विरासत को नमन किया था। इस 'पोस्टर वॉर' ने कांग्रेस के भीतर गुटबाजी की अटकलों को फिर से हवा दे दी है।

4. विपक्ष को मिला 'ब्रह्मास्त्र', सुक्खू सरकार के लिए चुनौती

मुकेश अग्निहोत्री की नाराजगी, नर्सों का प्रदर्शन और विक्रमादित्य सिंह की गैर-मौजूदगी - इन तीनों घटनाओं ने विपक्ष को सरकार घेरने का ब्रह्मास्त्र दे दिया है। भाजपा का कहना है कि जब उपमुख्यमंत्री ही अपनी सरकार की व्यवस्था से नाखुश हैं, तो आम जनता का क्या हाल होगा, समझा जा सकता है। यह 'विस्फोट' मुख्यमंत्री सुक्खू के लिए एक बड़ी चुनौती है - क्या वे अपने डिप्टी की नाराजगी दूर कर अफसरशाही पर लगाम कस पाएंगे, या यह कलह सरकार के लिए नई मुसीबत खड़ी करेगी ?

इस पूरे घटनाक्रम का निष्कर्ष केवल बयानों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह हिमाचल कांग्रेस के भविष्य पर एक बड़ा प्रश्नचिन्ह है। उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री द्वारा भरी सभा में 'अफसरशाही बनाम सरकार' की लकीर खींचना यह साबित करता है कि सरकार में 'कमांड एंड कंट्रोल' की स्थिति डांवाडोल है। विपक्ष के लिए यह स्थिति किसी 'सियासी जैकपॉट' से कम नहीं है। जब घर का ही वरिष्ठ सदस्य (डिप्टी सीएम) व्यवस्था पर सवाल उठाए, और 'कोरोना वॉरियर्स' (नर्सें) सड़कों पर अपमानित महसूस करें, तो सरकार की विश्वसनीयता पर आंच आना लाजमी है। अब गेंद मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के पाले में है। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या वे अपने डिप्टी की इस 'खुली चेतावनी' को सकारात्मक सुझाव के रूप में लेते हुए नौकरशाही पर चाबुक चलाते हैं, या फिर यह अंदरूनी कलह और गुटबाजी आने वाले चुनावों से पहले सरकार के लिए एक बड़ी मुसीबत बन जाएगी।

डिस्क्लेमर (Disclaimer)

अस्वीकरण: इस रिपोर्ट में प्रस्तुत तथ्य और घटनाक्रम सार्वजनिक बयानों, रैलियों में देखी गई स्थितियों और उपलब्ध जानकारी पर आधारित हैं। इसमें व्यक्त विचार नेताओं के निजी मत हैं। हमारा उद्देश्य राजनीतिक घटनाक्रम का निष्पक्ष विश्लेषण करना है, न कि किसी पक्ष का समर्थन या विरोध करना। मामला राजनीतिक और प्रशासनिक होने के कारण इसमें भविष्य में बदलाव संभव हैं।

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