ठियोग उपमंडल की शड़ी पंचायत मत्याना में विकास कार्यों के नाम पर सरकारी धन के दुरुपयोग का मामला सामने आया है। सूचना के अधिकार (RTI) के तहत प्राप्त दस्तावेजों और जिला पंचायत अधिकारी (DPO) शिमला की विभागीय जांच रिपोर्ट में कुछ कार्यों को कागजों में पूरा दिखाकर उनकी राशि का भुगतान किए जाने की पुष्टि हुई है। रिपोर्ट के अनुसार खर्च और धरातल पर हुए वास्तविक कार्यों में अंतर पाया गया है, जिसके बाद संबंधित राशि की रिकवरी के आदेश जारी किए गए हैं। इस प्रकरण ने पंचायत स्तर पर पारदर्शिता, जवाबदेही और प्रशासनिक कार्रवाई को लेकर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। पढ़ें विस्तार से..
शिमला/ठियोग: जिला शिमला के विकास खंड ठियोग की शड़ी पंचायत मत्याना में विकास कार्यों के नाम पर वित्तीय अनियमितताओं का मामला अब तूल पकड़ चुका है। जिला पंचायत अधिकारी (DPO) और खंड विकास अधिकारी (BDO) की जांच रिपोर्टों ने पंचायत में सरकारी धन की बंदरबांट की पुष्टि की है। इस खुलासे के बाद ग्रामीणों ने एकजुट होकर प्रधान को पद से निलंबित करने और उनके पिछले 5 वर्षों के कार्यकाल के समस्त कार्यों का ऑडिट करवाने की मांग प्रशासन से की है।

वित्तीय अनियमितता: ₹4.21 लाख के व्यय के विरुद्ध मात्र ₹1.66 लाख का कार्य
कार्यालय जिला पंचायत अधिकारी (DPO) शिमला की जांच रिपोर्ट (संख्या: PCH-SML(4) शड़ी मत्याना/2017-686-689) के अनुसार, लिंक रोड मरम्मत (मझोगड़ा नाला से मझोगड़ा मोहल) में भारी गड़बड़ी पाई गई है।
पंचायत ने इस कार्य पर ₹4, 21, 500 की राशि व्यय होना दर्शाया था।
कनिष्ठ अभियंता (JE) के तकनीकी मूल्यांकन में मौके पर केवल ₹1, 66, 375 का ही कार्य पाया गया।
विभाग ने पाया कि कार्य में ₹2, 55, 125 की राशि का अंतर है, जिसे अब तत्कालीन प्रधान से वसूलने (Recovery) के आदेश दिए गए हैं।

नियमों का उल्लंघन: मजदूरों के स्थान पर JCB का उपयोग
भ्रष्टाचार का यह खेल यहीं नहीं रुका; जांच में पाया गया कि जिस सोलिंग कार्य के लिए स्थानीय मजदूरों का 'मस्टरोल' लगाया जाना अनिवार्य था, उसे प्रधान ने दरकिनार कर पूरी अदायगी JCB मशीन द्वारा कार्य दर्शाकर कर दी। इसके अतिरिक्त, SDRF मद के तहत सड़क सुरक्षा दीवार (डंगा) बनाने के नाम पर भी धांधली सामने आई है। बी.डी.ओ. (BDO) ठियोग की जांच के अनुसार, ₹79, 400 की राशि बिना किसी तकनीकी मूल्यांकन (M.B.) के ही ठेकेदार को अदा कर दी गई, जबकि मौके पर आज तक उस दीवार का निर्माण ही नहीं हुआ है। कुल मिलाकर SDRF मद में ₹1, 19, 400 की राशि को वसूली योग्य और आपत्तिजनक पाया गया है।
रिकॉर्ड में दर्ज नहीं है ₹18 लाख का 'एंबुलेंस रोड' प्रस्ताव
प्रशासनिक कार्यप्रणाली पर बड़ा सवाल तब उठा जब जांच में पाया गया कि 'मझोगड़ा नाला से मझोगड़ा गांव' तक एंबुलेंस रोड के रख-रखाव के लिए ₹18, 00, 000 का एक प्रस्ताव विभाग को भेजा गया था। जांच दल ने पाया कि पंचायत के आधिकारिक कार्यवाही (Proceedings) रजिस्टर में इस तरह के किसी भी प्रस्ताव का कोई उल्लेख मौजूद नहीं है। यह बिना किसी सामूहिक सहमति के लाखों रुपये के फर्जी प्रस्ताव तैयार करने की ओर इशारा करता है।

ग्रामीणों का आक्रोश और प्रशासन से गुहार
ग्रामीणों ने प्रशासन के ढुलमुल रवैये पर कड़ा विरोध जताया है। ग्रामीणों का कहना है कि भ्रष्टाचार सिद्ध होने के बाद DPO ने प्रधान को निष्कासित किया था, लेकिन जिला प्रशासन द्वारा उस आदेश को निरस्त कर उन्हें दोबारा बहाल कर दिया गया। आक्रोशित ग्रामीणों ने बताया कि मानसून के दौरान जब सड़कें बंद हुईं, तो पंचायत ने कोई मदद नहीं की, जिसके बाद ग्रामीणों ने निजी चंदा इकट्ठा कर सड़क बहाल करवाई।
ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि यदि सरकारी धन के दुरुपयोग पर लगाम नहीं लगाई गई और दोषियों पर कार्रवाई नहीं हुई, तो वे माननीय उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने के लिए मजबूर होंगे।
अब गेंद प्रशासन के पाले में है। शड़ी मत्याना की जनता अब केवल आश्वासनों से संतुष्ट होने वाली नहीं है। उनकी स्पष्ट मांग है कि प्रमाणित रिकवरी तुरंत की जाए, आरोपी अमी चंद चेन्देल प्रधान को अविलंब निलंबित किया जाए और उनके पिछले 5 वर्षों के कार्यकाल का गहन ऑडिट (Special Audit) करवाया जाए। भ्रष्टाचार के विरुद्ध यह लड़ाई तब तक जारी रहेगी जब तक पंचायत की नींव में बैठे भ्रष्ट तत्वों को बाहर नहीं किया जाता और जनता के खून-पसीने की कमाई का एक-एक पैसा वापस नहीं लिया जाता।
डिस्क्लेमर: भ्रष्टाचार के आरोपों पर अंतिम प्रशासनिक या कानूनी निर्णय सक्षम अधिकारियों अथवा माननीय न्यायालय द्वारा ही लिया जाएगा। यह लेख उपलब्ध RTI दस्तावेजों, विभागीय जांच रिपोर्ट और आधिकारिक रिकॉर्ड पर आधारित है। इसमें उल्लिखित तथ्य जांच एजेंसियों द्वारा दर्ज निष्कर्षों और सार्वजनिक दस्तावेजों के संदर्भ में प्रस्तुत किए गए हैं। संबंधित पक्षों का पक्ष सामने आने या किसी सक्षम प्राधिकारी द्वारा अंतिम निर्णय लिए जाने के बाद तथ्यों में परिवर्तन संभव है। यह रिपोर्ट किसी व्यक्ति की छवि को ठेस पहुँचाने के उद्देश्य से नहीं, बल्कि जनहित में सूचनात्मक और निष्पक्ष प्रस्तुति के रूप में प्रकाशित की गई है।
