शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
चाणक्य की नीतियों से कोई वाकिफ़ न हो, ऐसा शायद ही कोई व्यक्ति होगा। इन्होंने समाज में अपने ज्ञान के दम पर एक ऐसा रूतबा हासिल किया जिसके पाने का चाहवान हर कोई होगा। यहीं कारण है कि आज के समय भी न केवल पुराने ज़माने की पीढ़ी बल्कि आज का युवा भी इन नीतियों को अपनाने में विश्वास रखता है और इनको अपनाता भी है।
अपनी वेबसाइट के माध्यम से हम आपको आए दिन आचार्य चाणक्य के नीतिशास्त्र में वर्णित नीतियों के बारे में जानकारी हम अब देते रहेंगे। इसी कड़ी को शुरू करते हुए आज हम आपको इनके नीतिशास्त्र में दिए गए एक श्लोक का उल्लेख करने आएं हैं, जिसें हम आपको बताएंगे कि कब इंसान के मन में संस्कार पैदा होते हैं।
दया धर्मस्य जन्मभूमि:।
भावार्थ : मन में दया अथवा परजन हिताय की भावना के उदय होते ही अच्छे संस्कारों का भी जन्म हो जाता है इसलिए दया को धर्म की जन्म भूमि कहा गया है।