शारदीय नवरात्रि की इस बार कई खास बातें हैं. यह आश्विन शुक्ल पक्ष की शारदीय नवरात्रि को शक्ति प्राप्त करने की नवरात्रि कहा जाता है। इस बार यह नवरात्रि 17 अक्टूबर से आरम्भ हो रही है और इसका समापन 24 अक्टूबर को होगा। शारदीय नवरात्र इस साल 8 दिन के ही होंगे। इसके बाद 25 अक्टूबर को दशहरा यानी विजय दशमी मनाई जाएगी।
कलश स्थापना का मुहूर्त
कलश की स्थापना आश्विन शुक्ल प्रतिपदा को की जाती है। इस बार प्रतिपदा रात्रि 09.08 तक रहेगी। कलश की स्थापनाय रात्रि 09.08 के पूर्व की जाएगी। इसके चार शुभ मुहूर्त होंगे। सुबह 07.30 से 09.00 तक। दोपहर 01.30 से 03.00 तक. दोपहर 03.00 से 04.30 तक और शाम को 06.00 से 07.30 तक।
कलश की स्थापना कैसे करें?
कलश स्थापना के लिए सबसे पहले पूजा स्थल को शुद्ध कर लेना चाहिए। एक लकड़ी का पटरा रखकर उस पर लाल रंग का कपड़ा बिछाएं। इस कपड़े पर थोड़े चावल रखने चाहिए। चावल रखते हुए सबसे पहले गणेश जी का स्मरण करना चाहिए। एक मिट्टी के पात्र में जौ बोना चाहिए। इस पात्र पर जल से भरा हुआ कलश स्थापित करें। कलश पर रोली से स्वस्तिक या ऊं बनाना चाहिए। इसके मुख पर रक्षा सूत्र बांधें। फिर इसमें सुपारी, सिक्का डालकर आम या अशोक के पत्ते रखने चाहिए।
कलश के मुख को ढक्कन से ढकें। ढक्कन को चावल से भरकर रखें। एक नारियल लें और उस पर चुनरी लपेटकर रक्षा सूत्र से बांधें। इस नारियल को कलश के ढक्कन पर रखते हुए सभी देवताओं का आवाहन करना चाहिए।
अंत में दीप जलाकर कलश की पूजा करनी चाहिए। कलश पर फूल और मिठाइयां चढ़ाएं। नवरात्र में देवी पूजा के लिए जो कलश स्थापित किया जाता है वह सोना, चांदी, तांबा, पीतल या मिट्टी का ही होना चाहिए।
नवरात्रि के व्रत में इन बातों का रखें ध्यान
नवरात्रि में नौ दिन भी व्रत रख सकते हैं और दो दिन भी। जो लोग नौ दिन व्रत रखेंगे वो लोग दशमी को पारायण करेंगे और जो लोग प्रतिपदा और अष्टमी को व्रत रखेंगे वो लोग नवमी को पारायण करेंगे। व्रत के दौरान जल और फल का सेवन करें।