इम्यूनिटी हमारे शरीर की टॉक्सिन्स से लड़ने की क्षमता होती है। ये टॉक्सिन्स बक्टीरिया, वायरस, फंगस, पैरासाइट या कोई दूसरे नुकसानदायक पदार्थ हो सकते हैं। अगर हमारी इम्यूनिटी मजबूत है तो यह हमे न सिर्फ सर्दी और खांसी से बचाती है बल्कि हेपैटाइटिस, लंग इनफेक्शन, किडनी इनफेक्शन सहित और कई बीमारियों से हमारा बचाव होता है।
हमारे आसपास कई तरह के पैथोजंस होते हैं। हमें पता भी नहीं होता और हम खाने के साथ, पीने के साथ यहां तक की सांस लेने के साथ भी हानिकारक तत्वों को अवशोषित कर लेते हैं। ऐसा होने के बाद भी हर कोई बीमार नहीं पड़ता। जिनका इम्यून सिस्टम मजबूत होता है वे इन बाहरी संक्रमणों से बेहतर तरीके से मुकाबला करते हैं। हमारी प्रतिरोधक क्षमता कैसी है इस बारे में हम ब्लड रिपोर्ट से पता कर सकते हैं लेकिन हमारा शरीर भी हमें कई तरह के सिग्नल्स देने लगता है। ऐसे चेक करें...
बार-बार संक्रमण होना या ऐलर्जी
अगर आपको लगता है कि आप दूसरों की अपेक्षा बार-बार बीमार होते हैं, जुकाम की शिकायत रहती है, खांसी, गला खराब होना या स्किन रैशेज जैसी समस्या रहती है तो बहुत पॉसिबल है कि यह आपके इम्यून सिस्टम की वजह से हो। कैंडिडा टेस्ट का पॉजिटिव होना, बार-बार यूटीआई, डायरिया, मसूड़ों में सूजन, मुंह में छाले वगैरह भी खराब इम्यूनिटी के लक्षण हैं।
कुछ लोग जरा सा मौसम बदलते ही बीमार हो जाते हैं। यह शरीर का तापमान कम होने से हो सकता है। मजबूत इम्यून सिस्टम के लिए नॉर्मल ऑरल बॉडी टेंपरेचर 36.3 डिग्री से. से नीचे नहीं होना चाहिए। क्योंकि सर्दी के वायरस 33 डिग्री पर सर्वाइव करते हैं। रोजाना एक्सर्साइज करने से आप अपनी बॉडी का तापमान और इम्यूनिटी बढ़ा सकते हैं। साथ ही गर्माहट पैदा करने वाले मसाले जैसे लहसुन अदरक, दालचीनी लौंग वगैरह भी बेहद काम के हैं।
बुखार न आए तो
जब शरीर को बुखार आना चाहिए तो भी न आए इसका मतलब है कि आपकी प्रतिरोधक क्षमता कमजोर है। बुखार से शरीर बीमारियों से लड़ता है और हम में से ज्यादातर लोग बुखार की दवा खा लेते हैं जिससे बुखार हमारे लिए पॉजिटिव तरीके से काम नहीं कर पाता। अगर आपको संक्रमण के बाद भी कई साल से बुखार न आया हो तो यह भी कमजोर इम्यूनिटी का लक्षण है।
विटमिन डी की कमी
विटमिन डी इम्यूनिटी को बढ़ाता है और ज्यादातर लोगों में इसकी कमी होती है। अगर आपकी ब्लड रिपोर्ट में विटमिन डी की कमी है तो आपको इसका लेवेल सही करने की हर कोशिश करनी चाहिए। इसके अलावा लगातार थकान, आलस या ऐसे घाव जो लंबे वक्त तक न भरें, नींद न आना, डिप्रेशन और डार्क सर्कल भी कमजोर प्रतिरोधक क्षमता की निशानी है।