आज का राशिफ़ल 03 जनवरी; 2025; इन 5 राशि वालों को मिलेगा भाग्य का साथ, पढ़ें मेष से मीन तक का राशिफल..       शर्मसार ! भोरंज में महज 40 रुपये को लेकर साथी मजदूर की हत्या, इलाज के दौरान तोड़ा दम, पढ़ें पूरी खबर..       अर्की से एम्स के लिए बस सेवा शुरू, इस बस सेवा से इन 10 ग्राम पंचायतों के ग्रामीण होंगे लाभान्वित, पढ़ें पूरी खबर..       शिमला में ऑल्टो कार दुर्घनाग्रस्त, एक की मौत, 3 घायल, पढ़ें पूरी खबर..       मौसम अपडेट: हिमाचल में इस दिन से फिर करवट लेगा मौसम, दो दिन भारी बारिश और बर्फबारी की चेतावनी, इन 7 जिलों के लिए येलो अलर्ट जारी, मौसम विभाग ने वाहन चालकों को सावधानी बरतने की दी सलाह, पढ़ें पूरी खबर..       हिमाचल : तांदी भीषण अग्निकांड; 17 घर और 6 गौशालाएं जलकर राख, ग्रामीणों के तन पर बचे सिर्फ कपड़ें.. आंखों में बचे आंसू, पानी की कमी ने किया आग में घी का काम, इतनी दूर से ढोना पड़ा पानी, पढ़ें पूरी खबर..       हिमाचल में गोली लगने से युवक की मौत, शिकार खेलने जंगल गए थे 3 दोस्त, जानिए फिर कैसे हुआ गोलीकांड, पढ़ें पूरी खबर..       आज का राशिफ़ल : 2 जनवरी 2025; इन 4 राशि वालों को आज का दिन रहेगा बेहद खास, पढ़ें मेष से मीन का तक का राशिफल       शिमला के मतियाना में दर्दनाक सड़क हादसा, तीन युवकों की मौत, मातम में बदली नए साल की खुशी, पढ़ें पूरी खबर..       आज का राशिफल : 1 जनवरी 2025 : सभी 12 राशियों के लिए कैसा रहेगा 2025 का पहला दिन ? पढ़ें 1 जनवरी का राशिफल      

धार्मिक स्थान

जानें श्रावण मास की कैसे हुई शुरुआत, क्यों भोले नाथ का नाम पड़ा नीलकंठ?

July 10, 2020 07:27 AM

भगवान शिव को सावन का महीना यानी श्रावण मास अत्यंत प्रिय है। सावन के महीने में महादेव की अराधना करने का बड़ा महत्व होता है। सावन में भक्त अपनी मनोकामनाओं के लिए महादेव की उपासना करते हैं, क्योंकि सावन में भगवान शिव की कृपा जल्दी प्राप्त हो जाती है। श्रावण मास शुरू होने के पीछे एक पौराणिक कथा है।

पौराणिक कथा के अनुसार जब देवता और दानवों ने मिलकर समुंद्र मंथन किया तो हलाहल विष निकला था। विष के प्रभाव से संपूर्ण सृष्टि में हलचल मच गई थी। ऐसे में सृष्टि की रक्षा के लिए महादेव ने विष का पान कर लिया और शिव जी ने विष को अपने कंठ में धारण कर लिया था। विष के प्रभाव से भगवान भोले का कंठ नीला पड़ गया और उनका एक नाम नीलकंठ पड़ गया।

विष का ताप शिव जी के ऊपर बढ़ने लगा तो तब विष का प्रभाव कम करने के लिए पूरे महीने घनघोर वर्षा हुई और विष का प्रभाव कुछ कम हुआ। लेकिन अत्यधिक वर्षा से सृष्टि को बचाने के लिए भगवान शिव ने अपने मस्तक पर चन्द्र धारण किया क्योंकि चन्द्रमा शीतलता का प्रतीक है और भगवान शिव को इससे शीतलता मिली।

ये घटना सावन मास में घटी थी, इसीलिए इस महीने का इतना महत्व है और इसीलिए इस पौराणिक कथा के अनुसार तब से हर वर्ष सावन में भगवान शिव को जल चढ़ाने की परम्परा की शुरुआत हुई थी। 

Have something to say? Post your comment

धार्मिक स्थान में और

माता के दरबार में चढ़ा 28 क्विंटल मक्खन, मिटेंगे बड़े-बड़े रोग

शिमला के कालीबाड़ी मन्दिर में धूमधाम से मनाया गया दुर्गापूजा, महिलाओं ने खेली सिंदूर की होली

7 अक्टूबर से शुरू हो रही शारदीय नवरात्रि, जानें- कलश स्थापना का मुहूर्त, पूजा विधि और सभी जरूरी बातें, पढ़े विस्तार से..

बगलामुखी मंदिर बनखंडी में दी जाए हवन करवाने की अनुमति, पुजारी वर्ग ने सौंपा ज्ञापन, पढ़े पूरी खबर

हनुमान मन्दिर में किया गया विशाल भण्डारे का आयोजन, भक्तों का लगा तांता

हनुमान मंदिर में कल भंडारे का आयोजन, आप सभी सादर आमंत्रित..

जानिए नवरात्रि में कलश स्थापना का क्या है शुभ मुहूर्त? इन बातों का रखें ध्यान

पर्स में जरूर रखनी चाहिए ये 5 चीजें, कभी नहीं रहेगी जेब खाली

अयोध्या में शुरू हुआ राम मंदिर निर्माण

जन्माष्टमी के दिन घर लायें ये चीजें कभी नही होगी धन की कमी