हिंदू धर्म में नवरात्र का बहुत अधिक महत्व है। हर साल 2 मुख्य नवरात्र के अलावा गुप्त नवरात्र भी होती है। जिसके बारे में शास्त्रों में उल्लेख किया गया है। हिंदू पंचांग के अनुसार शारदीय नवरात्र की शुरूआत 29 सितंबर से हो रहे है जोकि 7 अक्टूबर तक होगे। इस बार पूरे नौ दिन मां की उपासना की जाएगी। वहीं 8 अक्टूबर को बहुत ही धूमधाम के साथ विजयदशमी यानि दशहरा के अलावा दुर्गा विसर्जन का त्योहार मनाया जाएगा। आपको बता दें कि इस बार मां दुर्गा घोड़े पर सवार हो कर आएगी और उनका प्रस्थान भी घोड़े पर ही होगा। नवरात्रों में माता के भक्त उन्हें प्रसन्न् करने के लिए उनके 9 अलग-अलग स्वरूपों की पूजा-अर्चना करने के साथ उपवास भी रखते हैं। नवरात्र के पहले दिन घर में कलश स्थापना कि जाती है।
कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त-
मां दुर्गा की कृपा पाने के लिए कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 6 बजकर 16 मिनट से लेकर 7 बजकर 40 मिनट तक रहने वाला है। इसके अलावा जो भक्त सुबह कलश स्थापना न कर पा रहे हो उनके लिए दिन में 11 बजकर 48 मिनट से लेकर 12 बजकर 35 मिनट तक का समय कलश स्थापना के लिए शुभ रहने वाला है।
ये है कलश स्थापना का सही तरीका-
नवरात्रि के पहले दिन जो घट स्थापना की जाती है उसे ही कलश स्थापना भी कहा जाता है। कलश स्थापना करने के लिए व्यक्ति को नदी की रेत का उपयोग करना चाहिए। इस रेत में जौ डालने के बाद कलश में गंगाजल, लौंग, इलायची, पान, सुपारी, रोली, कलावा, चंदन, अक्षत, हल्दी, रुपया, पुष्पादि डालें। इसके बाद 'ॐ भूम्यै नमः' कहते हुए कलश को 7 अनाज के साथ रेत के ऊपर स्थापित कर दें। कलश की जगह पर नौ दिन तक अखंड दीप जलते रहें।
कलश स्थापना जुड़े इन खास नियमों की बिल्कुल न करें अनदेखी--कलश की स्थापना हमेशा शुभ मुहूर्त में ही करें।-कभी भी कलश का मुंह खुला न रखें। अगर आप कलश को किसी ढक्कन से ढक रहे हैं, तो उस ढक्कन को भी चावलों से भर दें। इसके बाद उसके बीचों-बीच एक नारियल भी रखें।-पूजा करने के बाद मां को दोनों समय लौंग और बताशे का भोग लगाएं।-मां को लाल फूल बेहद प्रिय है। लेकिन भूलकर भी माता रानी को आक, मदार, दूब और तुलसी बिल्कुल ना चढ़ाएं।
नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की उपासना की तिथि
29 सितंबर, प्रतिपदा - बैठकी या नवरात्रि का पहला दिन- घट/ कलश स्थापना - शैलपुत्री
30 सितंबर, द्वितीया - नवरात्रि 2 दिन तृतीय- ब्रह्मचारिणी पूजा
1 अक्टूबर, तृतीया - नवरात्रि का तीसरा दिन- चंद्रघंटा पूजा
2 अक्टूबर, चतुर्थी - नवरात्रि का चौथा दिन- कुष्मांडा पूजा
3 अक्टूबर, पंचमी - नवरात्रि का 5वां दिन- सरस्वती पूजा, स्कंदमाता पूजा
4 अक्टूबर, षष्ठी - नवरात्रि का छठा दिन- कात्यायनी पूजा
5 अक्टूबर, सप्तमी - नवरात्रि का सातवां दिन- कालरात्रि, सरस्वती पूजा
6 अक्टूबर, अष्टमी - नवरात्रि का आठवां दिन-महागौरी, दुर्गा अष्टमी , नवमी पूजन
7 अक्टूबर, नवमी - नवरात्रि का नौवां दिन- नवमी हवन, नवरात्रि पारण
8 अक्टूबर, दशमी - दुर्गा विसर्जन, विजयादशमी